हाई स्कूल मुख्य परीक्षा वर्ष - 2022
कक्षा-10वी
विषय : सामाजिक विज्ञान
समय 03ः00 घण्टे पूर्णाक : 80
निर्देश :
1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
2. प्रश्न क्रमांक 1 से 5 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं जिसके कुल अंक 32 हैं।
3. प्रश्न क्रमांक 6 से 23 तक प्रत्येक में आंतरिक विकल्प दिये गये हैं।
4. प्रश्न क्रमांक 6 से 15 तक प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है। उत्तर लिखने की शब्द सीमा लगभग 30 शब्द है।
5. प्रश्न क्रमांक 16 से 19 तक प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। उत्तर लिखने की शब्द सीमा लगभग 75 शब्द है।
6. प्रष्न क्रमांक 20 मानचित्र आधारित है।
7. प्रश्न क्रमांक 20 से 23 तक प्रत्येक प्रश्न 4 अंक का है। उत्तर लिखने की शब्द सीमा लगभग 120 शब्द है।
प्रश्न.1 सही विकल्प चुनिये - (1x6=6)
(i फ्रेड्रिक सारयू कलाकार थे -
(अ) संयुक्त राज्य अमेरिका (ब) फ्रांस
(स) स्विटजरलैंड (द) आयरलैंड
(ii) प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हुआ -
(अ) 1905 (ब) 1907
(स) 1915 (द) 1914
(iii) मुम्बई में प्रथम कपड़ा मिल स्थापित हुई -
(अ) 1854 (ब) 1830
(स) 1840 (द) 1864
(iv) ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ योजना आरंभ हुई -
(अ) 1980 (ब) 1976
(स) 1973 (द) 1970
(v) एक उद्योग, जो चूना पत्थर को कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त करता है -
(अ) ऐलुमीनियम (ब) प्लास्टिक
(स) सीमेंट (द) मोटरगाड़ी
(vi) बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक थे -
(अ) काषीराम (ब) साहू महाराज
(स) बी. आर. अम्बेडकर (द) ज्योतिबा फुले
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (1ग7त्र7)
(i) फ्रांसीसी कलाकार फ्रेड्रिक सारयू ने .............. चित्रों की एक श्रृंखला बनाई।
(ii) श्रीलंका में गृहयुद्ध की समाप्ति वर्ष ................... में हुई।
(iii) नेपाल की राजधानी ......................... है।
(iv) एक प्रजातांत्रिक सरकार ......................... के प्रति उत्तरदायी होती है।
(v) साम्प्रदायिकता ............................... के मार्ग में एक मुख्य बाधा है।
(vi) भारत में सर्वाधिक साक्षर वाला राज्य ......................... है।
(vii) भारत में ............................. अनुपात में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं।
प्रश्न 3 सही जोड़ी मिलाइये - (1x6=6)
अ ब
1. वंदे मातरम (i) ओद्योगिक वस्तुएं
2. हिन्द स्वराज (ii) 1991
3. गुलामगिरि (iii) गर्वनर जनरल बैंटिक
4. प्रेस कानून की पुनर्समीक्षा (iv) ज्योतिबा फुले
5. भारत में वैश्वीकरण (v) महात्मा गाँधी
6. आई.एस.आई. (vi) बंकिमचन्द्र चट्टोपध्याय
प्रश्न. 4. एक वाक्य / शब्द में उत्तर लिखिये - (1x7=7)
(i) औद्योगिक क्रांति सबसे पहले किस देश प्रारम्भ हुई ?
(ii) सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान किस राज्य में हैं ?
(iii) बांधों को ‘आधुनिक भारत के मंदिर’ किसने कहा था ?
(iv) भारत की दो खाद्यान्न फसलों के नाम लिखिए।
(v) प्रतिरक्षा तथा विदेशी मामले कौन - सी सूची में शामिल होते हैं ?
(vi) सामाजिक विभाजनों का प्रमुख आधार क्या है ?
(vii) भारत में केन्द्रीय सरकार की तरफ से करेसी नोट कौन जारी करता है ?
प्रश्न. 5 सत्य/असत्य की पहचान कीजिये- (1x6=6)
(i) उत्पत्ति के आधार पर जैव एवं अजैव संसाधन हैं।
(ii) भूमि एक असीमित संसाधन है।
(iii) एंथ्रेसाइट एक सर्वोत्तम कोयला है।
(iv) बंदरगाह, जल एवं थल का मिलन स्थल हाते हैं।
(v) यूरोपीय संघ का मुख्यालय ब्रुसेल्स है।
(vi) लैंगिक असमानता का आधार स्त्री व पुरूष की जैविक बनावट है।
प्र.6- ओद्योगिक उत्पादन से क्या आषय है ? 2
अथवा
जमशेदजी जीजीभोमे कौन थे?
प्र7- गाथा गीत से क्या आाय है ? 2
अथवा
प्लाटेन से क्या आशय है ?
प्र.8-. मृदा अपरदन से क्या तात्पर्य है ? 2
अथवा
बांगर क्या है?
प्र.9- अभयारण्य किसे कहते हैं? 2
अथवा
केन्द्रीय वन आयोग क्या है ?
प्र.10- नकद एवं व्यापारिक फसलों से क्या आशय है ? 2
अथवा
जूट को सुनहरा रेशा क्यों कहा जाता है ?
प्र.11- समरूप समाज से क्या आशय है ? 2
अथवा
अश्वेत शक्ति आंदोलन क्या था ?
प्र.12- लोकतंत्र में निर्णय लेने मे देरी का कारण लिखिए। 2
अथवा
आर्थिक विकास किस पर निर्भर करता है?
प्र.13- मुद्रा क्या है ? 2
अथवा
विकास के लिए ऋण की भूमिका लिखिए।
प्र.14- वैश्वीकरण क्या है ? 2
अथवा
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से क्या आशय है?
प्र.15- कालाबाजारी क्या है ? 2
अथवा
सूचना का अधिकार किसे कहते हैं।
प्र.16- स्टेपलर्स, फुलर्स और कार्डिंग से क्या आशय है ? 3
अथवा
1840 के दशक के बाद रोजगार की स्थिति का विष्लेषण कीजिए।
प्र.17- हमें खनिजों के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है ? 3
अथवा
ऊर्जा के परम्परागत साधनों को उदाहरण सहित लिखिए।
प्र.18- आधारभूत उद्योग से क्या आशय है ? उदाहरण सहित लिखिए। 3
अथवा
जल प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु कोई तीन उपाय लिखिए।
प्र.19- राजनीतिक दल से क्या आशय है ? 3
अथवा
राजनीतिक दल की कोई तीन विशेषताएं लिखिए।
प्र.20- दिए गये भारत के मानचित्र में अभ्रक तथा मैंगनीज के क्षेत्रों को दर्शाइए - 4
(1) अजमेर (2) हजारीगाग (3) बालाघाट (4) सुन्दरगढ़
अथवा
निम्नलिखित को दिए गए भारत के मानचित्र में दर्शाइए।
(1) रानीगंज (2) कोरबा (3) विजयपुर (4) सोनीपत
प्र.21- असहयोग आंदोलन के कोई चार कारण लिखिए। 4
अथवा
सविनय अवज्ञा आंदोलन का वर्णन कीजिए।
प्र.22- लोकतंत्र की सफलता में बाधक किन्हीं चार तत्वों को लिखिए। 4
अथवा
लोकतंत्र की बाधाओं को दूर करने के कोई चार उपाय लिखिए।
प्र.23- उपभोक्ता जागरूकता का महत्व चार बिंदुओं में लिखिए। 4
अथवा
उपभोक्ता शोषण के चार बिंदु लिखिए।
...000...
हाई स्कूल मुख्य परीक्षा वर्ष - 2022
कक्षा-10वी
विषय : सामाजिक विज्ञान
समय 03ः00 घण्टे पूर्णाक : 80
मॉडल आंसर
निर्देश :
1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
2. प्रश्न क्रमांक 1 से 5 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं जिसके कुल अंक 32 हैं।
3. प्रश्न क्रमांक 6 से 23 तक प्रत्येक में आंतरिक विकल्प दिये गये हैं।
4. प्रश्न क्रमांक 6 से 15 तक प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है। उत्तर लिखने की शब्द सीमा लगभग 30 शब्द है।
5. प्रश्न क्रमांक 16 से 19 तक प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। उत्तर लिखने की शब्द सीमा लगभग 75 शब्द है।
6. प्रष्न क्रमांक 20 मानचित्र आधारित है।
7. प्रश्न क्रमांक 20 से 23 तक प्रत्येक प्रश्न 4 अंक का है। उत्तर लिखने की शब्द सीमा लगभग 120 शब्द है।
प्रश्न.1 सही विकल्प चुनिये - (1x6=6)
(i) फ्रेड्रिक सारयू कलाकार थे -
(अ) संयुक्त राज्य अमेरिका (ब) फ्रांस
(स) स्विटजरलैंड (द) आयरलैंड
उत्तर : (ब) फ्रांस।
(ii) प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हुआ -
(अ) 1905 (ब) 1907
(स) 1915 (द) 1914
उत्तर : (द) 1914
(iii) मुम्बई में प्रथम कपड़ा मिल स्थापित हुई -
(अ) 1854 (ब) 1830
(स) 1840 (द) 1864
उत्तर : (अ) 1854
(iv) ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ योजना आरंभ हुई -
(अ) 1980 (ब) 1976
(स) 1973 (द) 1970
उत्तर : (स) 1973
(v) एक उद्योग, जो चूना पत्थर को कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त करता है -
(अ) ऐलुमीनियम (ब) प्लास्टिक
(स) सीमेंट (द) मोटरगाड़ी
उत्तर : (स) सीमेंट
(vi) बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक थे -
(अ) काशीराम (ब) साहू महाराज
(स) बी. आर. अम्बेडकर (द) ज्योतिबा फुले
उत्तर : (अ) काशीराम
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (1x7=7)
(i) फ्रांसीसी कलाकार फ्रेड्रिक सारयू ने .............. चित्रों की एक श्रृंखला बनाई।
उत्तर : चार
(ii) श्रीलंका में गृहयुद्ध की समाप्ति वर्ष ................... में हुई।
उत्तर : 2009
(iii) नेपाल की राजधानी ......................... है।
उत्तर : काठमांडू
(iv) एक प्रजातांत्रिक सरकार ......................... के प्रति उत्तरदायी होती है।
उत्तर : जनता / नागरिक / प्रजा (v) साम्प्रदायिकता ............................... के मार्ग में एक मुख्य बाधा है।
उत्तर : लोकमत / लोकतंत्र / लोकशाही / प्रजातंत्र / गणतंत्र
(vi) भारत में सर्वाधिक साक्षर वाला राज्य ......................... है।
उत्तर : केरल
(vii) भारत में ............................. अनुपात में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं।
उत्तर : बड़े / ज्यादा / अधिक
प्रश्न 3 सही जोड़ी बनाइये- (1x6=6)
अ ब
1. वंदे मातरम (i) औद्योगिक वस्तुएं
2. हिन्द स्वराज (ii) 1991
3. गुलामगिरि (iii) गर्वनर जनरल बैंटिक
4. प्रेस कानून की पुनर्समीक्षा (iv) ज्योतिबा फुले
5. भारत में वैष्वीकरण (v) महात्मा गाँधी
6. आई.एस.आई. (vi) बंकिमचन्द्र चट्टोपध्याय
उत्तर :-
अ ब
1. वंदे मातरम (vi) बंकिमचन्द्र चट्टोपध्याय
2. हिन्द स्वराज (v) महात्मा गाँधी
3. गुलामगिरि (iv) ज्योतिबा फुले
4. प्रेस कानून की पुनर्समीक्षा (iii) गर्वनर जनरल बैंटिक
5. भारत में वैश्वीकरण (ii) 1991
6. आई.एस.आई. (i) औद्योगिक वस्तुएं
प्रश्न. 4. एक वाक्य / शब्द में उत्तर लिखिये - (1x7=7)
(i) औद्योगिक क्रांति सबसे पहले किस देश प्रारम्भ हुई ?
उत्तर : इंग्लैंड
(ii) सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान किस राज्य में हैं ?
उत्तर : पश्चिम बंगाल
(iii) बांधों को ‘आधुनिक भारत के मंदिर’ किसने कहा था ?
उत्तर : पंडित जवाहरलाल नेहरू
(iv) भारत की दो खाद्यान्न फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर : गेंहूँ / चावल / चना / मटर / मसूर / मक्का / ज्वार / बाजरा आदि आदि
(v) प्रतिरक्षा तथा विदेषी मामले कौन - सी सूची में शामिल होते हैं ?
उत्तर : संघ सूची / केन्द्रीय सूची
(vi) सामाजिक विभाजनों का प्रमुख आधार क्या है ?
उत्तर : जन्म पर आधारित
(vii) भारत में केन्द्रीय सरकार की तरफ से करेसी नोट कौन जारी करता है ?
उत्तर : भारतीय रिजर्व बैंक
प्रश्न. 5 सत्य/असत्य की पहचान कीजिये- (1x6=6)
(i) उत्पत्ति के आधार पर जैव एवं अजैव संसाधन हैं।
उत्तर : सत्य
(ii) भूमि एक असीमित संसाधन है।
उत्तर : असत्य
(iii) एंथ्रेसाइट एक सर्वोत्तम कोयला है।
उत्तर : सत्य
(iv) बंदरगाह, जल एवं थल का मिलन स्थल हाते हैं।
उत्तर : सत्य
(v) यूरोपीय संघ का मुख्यालय ब्रुसेल्स है।
उत्तर : सत्य
(vi) लैंगिक असमानता का आधार स्त्री व पुरूष की जैविक बनावट है।
उत्तर : असत्य
प्र.6- औद्योगिक उत्पादन से क्या आशय है ? 2
अथवा
जमषेदजी जीजीभोमे कौन थे?
उत्तर : औद्योगिक उत्पादन से सामान्य रूप से आषय फेक्ट्रियों में होने वाले उत्पादन से होता है।
अथवा
जमशेदजी जीजी भोये :- एक पारसी बुनकर के बेटे थे। उन्होंने चीन के साथ व्यापार और जहाजरानी का काम किया। अंग्रेज और अमेरिकी जहाज कम्पनियों से प्रतिस्पर्धा नही कर पाने के कारण उन्हें अपने सारे जहाज बेचने पड़े थे।
प्र7- गाथा गीत से क्या आशय है ? 2
अथवा
प्लाटेन से क्या आशय है ?
उत्तर : गाथा गीत - लोकगीत का ऐतिहासिक आख्यान, जिसे गाया या सुनाया जाता है। अर्थात किसी की प्रषंसा में सरल शब्दों में स्थानीय भाषा में गाए जाने वाले लोकगीत जिनमें ऐतिहासिकता होती है।
अथवा
प्लाटेन :- लेटरप्रेस छपाई में प्लाटेन एक बोर्ड होता है, जिसे कागज के पीछे दबाकर टाइप की छाप ली जाती थी। पहले यह बोर्ड लकड़ी का होता था, बाद में स्टील का बनने लगा।
प्र.8-. मृदा अपरदन से क्या तात्पर्य है ? 2
अथवा
बांगर क्या है?
उत्तर : मिट्टी के कटाव को मृदा अपरदन कहते हैं।
अथवा
पुरानी जलोढ़ मिट्टी को बांगर कहते हैं। यह कम उपजाऊ होती है।
प्र.9- अभयारण्य किसे कहते हैं? 2
अथवा
केन्द्रीय वन आयोग क्या है ?
उत्तर :
अभयारण्य :- अभयारण्य का अर्थ है अभय $ अरण्य। जिसमें अभय अर्थात जानवर बिना किसी भय के घूम सकें , ऐसा अरण्य या वन। यह राष्ट्र्रीय उद्यान से छोटा होता है जिसमें सरकार अथवा किसी अन्य संस्था द्वारा संरक्षित पशुओं का संरक्षण किया जाता है।
अथवा
केन्द्रीय वन आयोग :- 1965 में केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय वन आयोग की स्थापना की गई। जिसका उद्देश्य वन विकास के कार्यां में लगी संस्थाओं के कार्यों को समन्वित कर उनके डाटा और सूचनाओं को एकत्र कर बाजार का अध्ययन है।
प्र.10- नकद एवं व्यापारिक फसलों से क्या आशय है ? 2
अथवा
जूट को सुनहरा रेशा क्यों कहा जाता है ?
उत्तर - नकद एवं व्यापारिक फसल :- वे फसल जिनको बेचकर धन कमाया जा सकता है नकद अथवा व्यापारिक फसल कहलाती हैं। जैसे : गन्ना, कपास, तम्बाकू इत्यादि।
अथवा
चमकीले भूरे रंग का जो सोने की तरह दिखाई देता है इसलिए जूट को सुनहरा रेशा कहते हैं।
प्र.11- समरूप समाज से क्या आशय है ? 2
अथवा
अश्वेत शक्ति आंदोलन क्या था ?
उत्तर :- समरूप समाज :- एक ऐसा समाज जिसमें सामुदायिक, सांस्कृतिक या जातीय विभिन्नताएं ज्यादा गहरी नहीं होती है। समरूप समाज कहलाता है। इस तरह के समाज में कोई महत्वपूर्ण जातीय अंतर दिखाई नहीं देता है।
अथवा
अश्वेत शक्ति आंदोलन :- यह ओदालन 1966 में उभरा और 1975 तक चलता रहा। नस्लवाद को लेकर इस आंदोलन का रवैया ज्यादा उग्र था। इसका मानना था कि अमरीका से नस्लवाद मिटाने के लिए हिंसा का सहारा लेने में भी हर्ज नहीं है।
प्र.12- लोकतंत्र में निर्णय लेने मे देरी का कारण लिखिए। 2
अथवा
आर्थिक विकास किस पर निर्भर करता है?
उत्तर : लोकतांत्रिक व्यवस्था में निर्णय लेने में देरी होती है क्योंकि लोकतंत्र विचार-विमर्श और बातचीत पर आधारित होता है। इसे लोकतंत्र के दोषों में से एक माना जाता है। इसे लोगों के प्रति जवाबदेह माना जाता है इसलिए लोगों के हितों को ध्यान में रखना आवश्यक है जिसके परिणामस्वरूप निर्णय लेने की प्रक्रिया में देरी होती है।
अथवा
किसी देश का आर्थिक विकास निम्नलिखित तीन कारकों पर निर्भर करता है :-
1. प्राकृतिक संसाधान 2. पूंजी निर्माण तथा 3. बाजार का आकार
प्र.13- मुद्रा क्या है ? 2
अथवा
विकास के लिए ऋण की भूमिका लिखिए।
उत्तर : मुद्रा :- मुद्रा एक ऐसी वस्तु है जिसे सामान्य सहमति द्वारा आर्थिक विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है। यह वह माध्यम है जिसमें कीमतों और मूल्यों को व्यक्त किया जाता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति और एक देश से दूसरे देश में व्यापार की सुविधा प्रदान करता है, और यह धन का प्रमुख उपाय है।
अथवा
ऋण के माध्यम से लोगों की आय बढ़ती है जिसमें बहुत से लोग विभिन्न जरूरतों की पूर्ति के लिए सस्ती दरों पर कर्ज़ लेते। ऋण लेकर वे फ़सल उगा सकते हैं, कोई कारोबार शुरू कर सकते हैं ,नए उद्योग लगा सकते हैं या वस्तुओं का व्यापार कर सकते हैं । इस तरह ऋण से लोगों के प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होगी और उनका जीवन स्तर ऊंचा होगा।
प्र.14- वैश्वीकरण क्या है? 2
अथवा
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से क्या आशय है?
उत्तर : वैश्वीकरण :- वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो विभिन्न देशों के बीच परस्पर संबंध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण है।
अथवा
बहुराष्ट्रीय कम्पनी :- वे बड़ी कम्पनियां जिनकी व्यापारिक गतिविधियां एक से अधिक देशों में संचालित रहती हैं। उन्हें बहुराष्ट्रीय कम्पनी कहते हैं।
प्र.15- कालाबाजारी क्या है ? 2
अथवा
सूचना के अधिकार किसे कहते है?
उत्तर :
कालाबाजारी - एक ऐसी बाजार व्यवस्था जो अपनी आर्थिक गतिविधियों का संचालन सरकार द्वारा स्वीकृत नियमों के खिलाफ चोरी छिपे करती है। यह एक तरह का छुपा बाजार होता है जिसमें गैर कानूनी आर्थिक गतिविधियां चल रही होती हैं।
अथवा
सूचना का अधिकार :- सूचना का अधिकार का तात्पर्य है, सूचना पाने का अधिकार, जो सूचना अधिकार कानून लागू करने वाला राष्ट्र अपने नागरिकों को प्रदान करता है। सूचना अधिकार के द्वारा राष्ट्र अपने नागरिकों को, उसके द्वारा जिन वस्तुओं और सेवाओं को खरीदता है, उसके बारे में सूचना पाने का अधिकार है। यह कानून अक्टुबर 2005 में भारत में लागू किया गया।
प्र.16- स्टेपलर्स, फुलर्स और कार्डिंग से क्या आशय है ? 3
अथवा
1840 के दशक के बाद रोजगार की स्थिति का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर : स्टेपलर्स - ऐसा व्यक्ति जो रेषों के हिसाब से ऊन को छाँटता है।
फुलर्स - ऐसा व्यक्ति जो चुन्नटों के सहारे कपड़े को समेटता है।
कार्डिंग - वह प्रक्रिया जिसमें कपास या ऊन को कताइ्र के लिए तैयार किया जाता है।
अथवा
1840 के दशक के बाद नगरों में निर्माण की गतिविधियों में तेजी आई। लोगों के लिए नए रोजगार पैदा हुए। सड़कों को चौड़ा किया गया, नए रेल्वे स्टेशन बने, रेलवे लाइनों का विस्तार किया गया, सुरंगे बनाई गई, निकासी और सीवर व्यवस्था बिछाई गई, नदियों के तटबंध बनाए गए, परिवहन उद्योग में तेजी आई। इस प्रकार 1840 के दशक के बाद रोजगार के साधनों में वृद्धि दर्ज की गई जिसके निम्नलिखित कारण हैं -
1. रेल्वे का विस्तार
2. कपास उद्योग में वृद्धि
3. लोहा एवं इस्पात उद्योग कर प्रसार
उपरोक्त कारणों से बाजार में श्रम की बहुतायत हो गई और रोजगार की तलाष में मजदूर गांवों से नगरों की तरफ बड़ी संख्या में जाने लगे। किन्तु रोजगार उसी को मिलता जिसका कोई रिश्तेदार या पहचान वाला पहले से कारखाने में काम करता हो। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि 1840 के दशक में रोजगार की स्थिति में सुधार हुआ।
प्र.17- हमें खनिजों के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है ? 3
अथवा
ऊर्जा के परम्परागत साधनों को उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर-खनिजों को एक बार उपयोग करने के उपरांत उसे दुबारा नहीं पाया जा सकता। खनिजों का दुरुपयोग किया गया तो आने वाली पीढ़ियों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए खनिजों का संरक्षण आवश्यक है।
खनिजों के संरक्षण की तीन विधियाँ-
(क) खनिजों का उपयोग सुनियोजित ढंग से करना चाहिए।
(ख) खनिजों को बचाने के लिए उनके स्थान पर अन्य वस्तुओं के उपयोग के बारे में सोचना चाहिए।
(ग) जहाँ जैसे संभव हो धातुओं के चक्रीय उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। जैसे- लोहे को गलाकर लोहा बनाना, सोने को गलाकर सोना बनाना आदि।
अथवा
उत्तर- ऊर्जा के परम्परागत साधन :- ऊर्जा सभी क्रियाकलापों के लिए आवष्यक है। खाना पकाने में, रोषनी और ताप के लिए, गाड़ियों के संचालन में तथा उद्योगों में मषीनों के संचालन में ऊर्जा की आवष्यकता होती है। इनमें ऊर्जा के संसाधन दो प्रकार के होते हैं। 1. परम्परागत और 2. गैर परम्परागत। परम्परागत संसाधन वे होते हैं जिनका उपयोग हम नियमित रूप से करते चले आ रहे हैं। जो कि निम्नलिखित हैंः-
लकड़ी, कंडे, कोयला, प्राकृतिक गैस, विद्युत, पेट्रोलियम आदि। किन्तु वर्तमान में ऊर्जा के परम्परागत स्रोतों का अत्यधिक दोहन होने के कारण उनकी उपलब्धता में भारी कमी आ रही है।।
प्र.18- आधारभूत उद्योग से क्या आशय है ? उदाहरण सहित लिखिए। 3
अथवा
जल प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु कोई तीन उपाय लिखिए।
उत्तर : आधारभूत उद्योग :- वे उद्योग जिनमें उत्पादित उत्पादों का उपयोग दूसरे उद्योगों को कच्चे माल और अन्य सामान के रूप में करते हैं उन्हें आधारभूत उद्योग कहते हैं। उदाहरणः लोहा इस्पात, तांबा प्रगलन, अलमुनियम प्रगलन, आदि।।
अथवा
जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के तीन उपाय निम्नलिखित हैं :-
1. रासायनिक उद्योग जो जल को सर्वाधिक प्रदूषित करते हैं उनको जलाशयों या नदियों से दूर स्थापित करना।
2. उद्योगों में प्रयोग किए गए जल का सीधे जलाषयों या नदियों में विसर्जन नहीं करना बल्कि उपचार करने के बाद विसर्जित करना।
3. जल उपचार की व्यवस्था हेतु कारखाना स्थापना के साथ ही की जाना चाहिए।
4. सड़क के किनारे तथा कारखानों के निकट खाली भूमि पर पेड़ लगाए जाना चाहिए।
5. उद्योग संचालकों को नियमित रूप से जल प्रदूषण नियंत्रण हेतु परामर्श देना चाहिए तथा अद्यतन गैर प्रदूषणकारी व्यवस्था को अपनाने हेतु प्रेरित करना चाहिए।
प्र.19- राजनीतिक दल से क्या आशय है ? 3
अथवा
राजनीतिक दल की कोई तीन विषेषताएं लिखिए।
उत्तर : राजनीतिक दल से आशय है :-
1. चुनाव लड़ने तथा सरकार में राजनीतिक सता हासिल करने हेतु प्रयासरत लोगों का संगठित समूह।
2. यह समूह समाज के सामूहिक हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियां और कार्यक्रम तय करता है।
3. राजनीतिक दल के तीन प्रमुख हिस्से होते हैं - 1. नेता 2. सक्रिय सदस्य 3. अनुयायी या समर्थक।
अथवा
राजनीतिक दल की तीन विषेषताएं -
उत्तर -राजनीतिक दल एक ऐसा संगठन होता है जिसके सदस्यों में एक जैसे विचार होते हैं, एक जैसी नीतियों होती है और जो देश की विभिन्न समस्याओं पर एकमत होते हैं। एक राजनीतिक दल में निम्नांकित विषेषताएं होती हैं-
(क) एक विशेष संगठन - हर एक राजनीतिक दल का एक संगठित ढांचा होता है। नीचे से लेकर ऊपर तक के पदाधिकारियों को चुनने की विशेष व्यवस्था होती है। हर एक सदस्य को यह पता होता है कि उसे क्या करना है। ऐसे व्यवस्थित संगठन के बिना कोई राजनीतिक दल लम्बे समय तक टिक नहीं सकता।
(ख) विचारधारा में एकता - एक सुव्यवस्थित संगठन के साथ किसी भी राजनीतिक दल में विचारधारा की एकता का होना आवश्यक है। हर एक दल के लक्ष्य होते हैं जो ये लोगों के सामने रखते हैं, उनका विश्वास प्राप्त करते हैं और चुनाव जीतने के प्रयत्न करते हैं। पार्टी का हर सदस्य इस उद्देश्यों और नीतियों को प्राप्त करने में प्रयत्नशील रहते हैं।
(ग) संवैधानिक तरीकों में अडिग विश्वास - कोई भी राजनीतिक दल हो उसे अपने देश के संविधान में अडिग विश्वास होता है। वे स्वच्छ और स्वतंत्र चुनाव पद्धति में विश्वास रखते हैं और चुनावों के परिणामों से अपनी सहमति प्रकट करते हैं। किसी भी हालत में वे गुण्डाबाजी और चुनाव केन्द्रों पर कब्जा करने की नहीं सोचते।
(घ) जीतने के पश्चात् अपनी नीतियों पर अमल करनादृ हर राजनीतिक दल, यदि वह अपनी सरकार बना लेता है, उन नीतियों को पूरा करने का प्रयत्न करता है जो उसने अपने अपने घोषणा-पत्रों में दे रखी होती है।
प्र.20- दिए गये भारत के मानचित्र में अभ्रक तथा मैंगनीज के क्षेत्रों को दर्शाइए - 4
(1) अजमेर (2) हजारीबाग (3) बालाघाट (4) सुन्दरगढ़
अथवा
निम्नलिखित को दिए गए भारत के मानचित्र में दर्शाइए।
(1) रानीगंज (2) कोरबा (3) विजयपुर (4) सोनीपत
उत्तर :-
प्र.21- असहयोग आंदोलन के कोई चार कारण लिखिए। 4
अथवा
सविनय अवज्ञा आंदोलन का वर्णन कीजिए।
उत्तर : असहयोग आंदोलन के चार कारण :-
असहयोग आंदोलन की शुरुआत के कई कारण है। अंग्रेजों के अत्याचार इसकी मुख्य वजह थी। गांधीजी ने अपनी किताब ’हिंद स्वराज’ में लिखा था कि अगर भारतीयों ने अग्रेजों का सहयोग करना बंद कर दे तो ब्रिटिश साम्राज्य का पतन हो जाएगा और हमें स्वराज मिल जाएगा। इस आंदोलन के प्रमुख चार कारण निम्नलिखित हैं :-
1. प्रथम विश्व युद्ध - इस दौरान रक्षा व्यय में भारी वृद्धि के साथ सीमा शुल्क भी बढ़ा दिया गया था। जिससे सभी चीजों की कीमतें दोगुनी हो गई। बढ़ती महंगाई के कारण आम लोगों काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस के बाद देश में निर्मित के उपयोग पर जोर दिया गया और विदेशी चीजों का बहिस्कार किया।
2. सरकार के क्रूरतापूर्ण कार्य - रॉलेट एक्ट , पंजाब में मार्शल लॉ लागू करने और जलियांवाला बाग हत्याकांड ने विदेशी शासन के क्रूर और असभ्य चेहरे को उजागर करने का कार्य किया।
3. अखिल भारतीय स्तर के आंदोलन खड़ा करने की इच्छा - रोलेट एक्ट के खिलाफ आंदोलन एक बड़ा आंदोलन तो था किन्तु इससे पूरे देष में माहौल नहीं बन पा रहा था। अतः महात्मा गांधी पूरे भारत में और भी ज्यादा जनाधार वाला आंदोलन खड़ा करना चाहते थे जिससे अंग्रेजों के खिलाफ आम जन भी आक्रोषित हो।
4. साम्प्रदायिक सौहार्द :- गांधी जी का मानना था कि हिंदू - मुसलमान को एक साथ लाए बिना कोई व्यापक जनाधार वाला आंदोलन नहीं चलाया जा सकता अतः तुर्की के खलीफा का अंग्रेजों द्वारा अपमान किए जाने से दोनों सम्प्रदाय असहयोग-खिलाफत आंदोलन में आ गए।
5. आर्थिक कठिनाइयाँ - प्रथम विश्व युद्ध के बाद के वर्षों में देश की आर्थिक स्थिति विशेषकर वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, भारतीय उद्योगों के उत्पादन में कमी, करों और किराये के बोझ में वृद्धि आदि के साथ और खतरनाक हो गई थी। समाज के लगभग सभी वर्गों को युद्ध के कारण आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ा रहा था जिससे लोगों में ब्रिटिश विरोधी रवैया और मज़बूत हो गया तथा असहयोग आंदोलन जरूरी हो गया।
अथवा
नेहरू रिपोर्ट में भारत के लिए औपनिवेशिक स्वराज की बात कही गई और चेतावनी दी गई कि एक वर्ष के अंदर मांग नहीं मानी गई तो कांग्रेस पूर्ण स्वराज की मांग प्रस्तुत करेगी। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इस चेतावनी पर कोई ध्यान नहीं दिया तो 1929 ई. में लाहौर के काँग्रेस अधिवेशन में काँग्रेस कार्यकारणी ने गाँधीजी को यह अधिकार दिया कि पूर्ण स्वराज के लक्ष्य के साथ वह सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करें। तद्नुसार 1930 में साबरमती आश्रम में कांग्रेस कार्यकारणी की बैठक हुई। इसमें एक बार पुनः यह सुनिश्चित किया गया कि गाँधीजी जब चाहें जैसे चाहें सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करें।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण
1. साइमन कमीशन के बहिष्कार आंदोलन के दौरान जनता के उत्साह को देखकर यह लगने लगा अब एक आंदोलन आवश्यक है।
2. सरकार ने मोतीलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट अस्वीकार कर दी थी इससे असंतोष व्याप्त था।
3. चौरी-चौरा कांड (1922) को एकाएक रोकने से निराशा फैली थी, उस निराशा को दूर करने भी यह आंदोलन आवश्यक प्रतीत हो रहा था।
4. 1929 की आर्थिक मंदी भी एक कारण थी।
5. क्रांतिकारी आंदोलन को देखते हुए गांधीजी को डर था कि कहीं समस्त देश हिंसक आंदोलन की ओर न बढ़ जाए, अतः उन्होंने नागरिक अवज्ञा आंदोलन चलाना आवश्यक समझा।
6. देश में साम्प्रदायिकता की आग भी फैल रही थी इसे रोकने भी आंदोलन आवश्यक था।
30 जनवरी, 1930 ई. को गाँधीजी ने अपने पत्र ‘यंग इण्डिया’ में वायसराय के सम्मुख ग्यारह माँगे रखीं और शासन को चेतावनी दी, कि यदि वह माँगें नहीं मानता है तो उसे एक सषक्त आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए । अंग्रेज सरकार द्वारा कोई ध्यान नही ंदेने पर आंदोलन आरंभ करने का तय हुआ और मुख्य लक्ष्य नमक कर को समाप्त करना रखा गया।
आंदोलन प्रारम्भ होना-
12 मार्च, 1930 ई. को गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने के उद्देश्य से अपने चुने हुए 78 साथियों को लेकर गुजरात के समुद्र तट पर स्थित दाण्डी नामक गांव को प्रस्थान किया और 6 अप्रैल को उन्होंने दाण्डी समुद्र तट पर स्वयं नमक कानून का उल्लंघन कर सत्याग्रह का श्रीगणेश किया । जगह-जगह सार्वजनिक सभाएं हुई ।
कलकत्ता, मद्रास, पटना, करांची, दिल्ली, नागपुर और पेशावर आदि स्थानों में प्रदर्शनों और हड़तालों का अत्यधिक जोर था । सैकड़ों सरकारी कर्मचारियों ने अपनी नौकरियां छोड़ दीं, अनेक विधायकों ने कौंसिलों से त्याग पत्र दे दिये । महिलाओं ने शराब और अफीम की दुकानों पर धरने दिये तथा उनके गुण्डों की मार सही । विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई । नवयुवकों ने सरकारी स्कूलों और कॉलेजों को त्याग कर राष्ट्रीय शिक्षा को अपनाया । कहीं-कहीं किसानों ने लगान देना बंद कर दिया । बम्बई में अंग्रेज व्यापारियों की मिलें बंद हो गई ।
गांधीजी के आव्हान पर लोगों ने जाति-भेद व छुआछूत को समाज से समाप्त कर देने का बीड़ा उठाया । समस्त सरकारी कार्य ठप्प हो गये । जून, 1930 ई. तक सारा देश विद्रोह के पथ पर चलता हुआ दिखाई दे रहा था ।
सरकार का दमन-चक्र-
सरकार ने देशव्यापी आन्दोलन के दमन के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी । कांग्रेस गैर-कानूनी संस्था घोषित कर दी गई । आंदोलन आरम्भ भी नहीं होने पाया था कि उससे पहले ही हजारों स्वयसंसेवक किसी न किसी बहाने जेलों में डाल दिये गये । सरकार ने आंदोलन को निर्ममतापूर्वक कुचलना शुरू किया । पिलस ने लाठी-गोली चलाना अपना दैनिक कार्य बना लिया । कलकत्ता और पेशावर आदि स्थानों में स्वयंसेवकों की टोली पर गोलियों और बमों की वर्षा की गई, परनतु जनता के उत्साह के कारण आंदोलन थमने का नाम ही नहीं लेता था ।
5 मई को सरकार ने गांधीजी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, डॉं. राजेन्द्र प्रसाद आदि नेताओं सहित हजारों लोगों को बन्दी बना लिया ।
गांधी-इरविन समझौता-
जब सरकार सख्ती से आंदोलन का दमन नहीं कर पायी तो उसने समझौते के लिए हाथ बढ़ाया । तेज बहादुर सप्रू और डॉं. जयकर आदि ने समझौते का प्रयत्न किया । अतः जनवरी, 1931 ई. में गांधीजी और कुछ मान्य नेताओं को कारावास से मुक्त कर दिया गया । इसी वर्ष 5 मार्च को ‘गांधी-इरविन समझौतैता’ हुआ जिसके अन्तर्गत आंदोलन समाप्त कर दिया गया ।
सविनय अवज्ञा आंदोलन का महत्व
सविनय अवज्ञा आंदोलन के अत्यन्त व्यापक व दूरगामी प्रभाव हुए जो हैं-
1. इस आंदोलन में पहली बार बड़ी संख्या में भारतीयों ने भाग लिया, जिसमें मजदूर व किसानों से लेकर उच्चवर्गीय लोग तक थे ।
2. इस आंदोलन में करबन्दी को प्रोत्साहन दिये जाने के फलस्वरूप किसानों में भी राजनीतिक चेतना एवं अधिकारों की मांग के लिए संघर्ष करने की क्षमता का विकास हुआ ।
3. इस आंदोलन के फलस्वरूप जनता में निर्भयता, स्वावलंबन और बलिदान के गुण उत्पन्न हो गये जो स्वतंत्रता की नींव हैं ।
4. जनता ने अब समझ लिया कि युगों से देश के दुःखों के निवारण के लिए दूसरों का मुख ताकना एक भ्रम था, अब अंग्रेजों के वायदों और सद्भावना में भारतीय जनता का विश्वास नहीं रहा। अब जनता के सारे वर्ग स्वतंत्रता चाहने लगे थे ।
इस आंदोलन में कांग्रेस की कमजोरियों को भी स्पष्ट कर दिया । कांग्रेस के पास भविष्य के लिये आर्थिक, सामाजिक कार्यक्रम न होने के कारण वह भारतीय जनता में व्याप्त रोष का पूर्णतया उपयोग न सकी ।
प्र.22- लोकतंत्र की सफलता में बाधक किन्हीं चार तत्वों को लिखिए। 4
अथवा
लोकतंत्र की बाधाओं को दूर करने के कोई चार उपाय लिखिए।
उत्तर : भारतीय प्रजातंत्र का आधार भारतीय संविधान है और राजनीतिक दलों के सहयोग से भारत में यह व्यवस्था क्रियाशील है। समय के साथ साथ इस व्यवस्था में कुछ कमियों भी आ जाती हैं जो विद्यमान व्यवस्था को चुनौती पेष करने लगती हैं। भारतीय प्रजातंत्र को भी ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जो कि निम्नलिखित हैं -
अ. निर्धनता और बेरोजगारी - देश की जनसंख्या का एक चौाई से भी ज्यादा हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करता है। गरीबी का एक मुख्य कारण गरीबी भी है। देश में शिक्षित और अशिक्षित करोड़ों ऐसे नागरिक हैं जिनके पास नियमित रोजगार का कोई साधन नहीं है। नागरिकों का यही एक बड़ा वर्ग लोकतंत्र के समक्ष बड़ी चुनौती पेश करता है।
ब. निरक्षरता - किसी भी देश में लोकतंत्र की सफलता के लिए वहाँ के नागरिकों का साक्षर होना जरूरी है। अशिक्षित लोग न तो अपने अधिकरों व कर्त्तव्यों को जानते हैं न ही अपने मत का ठीक से प्रयोग कर पाते हैं। इसलिए निरक्षरता प्रजातंत्र के लिए अभिशाप है।
स. जनसंख्या विसफोट - जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के परिणामस्वरूप देश में उपलब्ध संसाधन आवश्यकताओं की पूर्ति नही कर पाते हैं और संसाधनों पर कब्जा जमाने की होड़ में देश नुकसान होने लगता है।
द. साम्प्रदायिकता - राष्ट्रहित को भुलाकर एक पंथ अथवा एक सम्प्रदाय विशेष के प्रति निष्ठा रखकर उसके विस्तार के लिए कार्य करना तथा अन्य सम्प्रदायों से घृणा करना साम्प्रदायिकता है। इससे देश में दंगे भड़क जाते हैं और राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान होता है।
अथवा
उत्तर - लोकतंत्र को अन्य शासन-पद्धतियों से श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह अनेक गुणों से परिपूर्ण है । परंतु, ऐसा नहीं कहा जा सकता कि लोकतंत्र बिलकुल दोषमुक्त है । इसमें भी अनेक-त्रुटियाँ मौजूद हैं जिन्हें यदि दूर कर दिया जाए तो यह सोने में सुहागा बन जाएगा । भारत में लोकतांत्रिक सुधार के निम्नांकित चार मुख्य उपाय हैं -
1. बेरोजगारों को रोजगार - जब तक नागरिकों को काम नहीं मिलता तब तक लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता । बोरोजगारों को रोजगार देने की कोशिश की जा रही है । लघु एवं कुटीर-उद्योगों के विकास पर जोर दिया जा रहा है । शिक्षित बेरोजगारों को अपना व्यवसाय आरंभ करने के लिए ऋण की व्यवस्था की गई है । पंचवर्षीय योगनाओं में बोरोजगारी की समस्या के समाधान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ।
2. पंचायती राज - लोकतंत्र को समस्याओं का सामना तब करना पड़ता है जब लोग सजग नहीं रहते हैं । सतत जागरूकता ही लोकतंत्र को सफलता के मार्ग पर ले जाती है । लोगों को शासन के काम में दिलचस्पी लेनी चाहिए । पंचायती राज की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई है । ग्राम पंचायतें लोकतंत्र के मुख्य आधार हैं । ग्राम पंचायतों के कामों में भाग लेने से सामान्य लोगों में भी लोकतंत्र मुख्य आधार हैं । ग्राम पंचायतों के कामों में भाग लेने से सामान्य लोगों में भी लोकतंत्र के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है । यह लोकतंत्र की सफलता के लिए शुभ लक्षण है ।
3. असमानता का अंत - सामाजिक और आर्थिक असमानता दूर करने का भी जोरों से प्रयास चल रहा है । सामाजिक भेदभाव बहुत सीमा तक मिट चुके हैं । अमीर-गरीब के आर्थिक समानता लाकर ही लोकतंत्र को सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ाया जा सकता है । इससे भी सामाजिक भेदभाव मिट रहे हैं ।
4. नागरिकों में राजनीतिक सजगता - लोगों में राजनीतिक सजगता बढ़ी है । देश में निर्वाचन का दौर बराबर चलता रहा है । इससे लोग राजनीतिक दलों के कार्यक्रमों की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं । रेडियो, टेलीविजन और समाचारपत्र के माध्यम से लोग सरकार के प्रतिदिन के कामों के बारे में जानने लग गए हैं । प्रेस स्वतंत्रता से समाचारपत्र भी निष्पक्ष होते जा रहे हैं।
प्र.23- उपभोक्ता जागरूकता का महत्व चार बिंदुओं में लिखिए। 4
अथवा
उपभोक्ता शोषण के चार बिंदु लिखिए।
उत्तर : उपभोक्ता जागरूकता का महत्व
अधिकांशत उपभोक्ता को बाजार में सही वस्तुएँ एवं सेवाएँ प्राप्त नहीं होती हैं। उससे बहुत ही अधिक कीमत ले ली जाती है या मिलावटी तथा कम गुणवत्ता वाली वस्तुएँ बेच दी जाती हैं। परिणामस्वरूप यह आवश्यक है कि उसे जागरूक किया जाए। उपभोक्ता को जागरूक बनाने का महत्व निम्नलिखित बातों से स्पष्ट हो जाते हैं -
(1) अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करना - प्रत्येक व्यक्ति की आय सीमित होती है। वह अपनी आय से अधिक वस्तुएँ व सेवाएँ खरीदना चाहता है। इससे ही उसे पूर्ण सन्तुष्टि प्राप्त होती है। अतः यह आवश्यक है कि उसे वस्तुएँ सही माप-तोल के अनुसार प्राप्त हों और उसके साथ किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी न हो। इसके लिए उसे जागरूक बनाना आवश्यक है।
(2) उत्पादकों के शोषण से बचाव - उत्पादक एवं विक्रेता उपभोक्ताओं का कई प्रकार से शोषण करते हैं; जैसे-कम तोलना, अधिक कीमत लेना, बिल न देना, मिलावट करना, नकली वस्तु देना आदि । बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ भी अपने विज्ञापनों से उपभोक्ताओं को भ्रमित करती हैं। उपभोक्ता जागरूकता ही उन्हें उत्पादकों विक्रेताओं के शोषण से बचाती है।
(3) बचत को प्रोत्साहन - जागरूकता व्यक्तियों को फिजूलखर्ची तथा अपव्यय से रोकती है और उसे सही निर्णय लेने की प्रेरणा देती है। ऐसे उपभोक्ता सेल, छूट, मुफ्त उपहार, आकर्षक पैकिंग आदि के लालच में नहीं फँसते। इससे वे अपनी आय का सही उपयोग करने एवं अधिक बचत करने में सफल रहते हैं।
(4) समस्याओं को हल करने की जानकारी - अशिक्षा, अज्ञानता एवं जानकारी के अभाव में उपभोक्ता वर्ग धोखा खा जाता है। अतः आवश्यक है कि उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों की जानकारी दी जाए जिससे वे उत्पादकों एवं विक्रेताओं द्वारा ठगे न जाएँ। उपभोक्ता जागृति के द्वारा उन्हें कानूनी प्रक्रिया से भी अवगत कराया जाता है जिससे वे अपनी समस्याओं को हल कर सकें।
(5) हानिकारक वस्तुओं के उपयोग पर रोक - बाजार में अनेक ऐसी वस्तुएँ भी उपलब्ध रहती हैं जो कुछ उपभोक्ताओं को हानि पहुँचाती हैं। उदाहरण के लिए सिगरेट, शराब, तम्बाकू आदि को लिया जा सकता है। उपभोक्ता की जागरूकता एवं शिक्षा ऐसी वस्तुओं को न खरीदने की प्रेरणा देती है। इससे उन्हें बहुत लाभ होता है।
अथवा
उत्तरः सामान्यतः उत्पादक एवं व्यापारी उपभोक्ताओं का शोषण निम्नलिखित प्रकार से करते हैं -
(1) मिलावट एवं अशुद्धता - मिलावट का आशय है वस्तु में कुछ सस्ती वस्तु का मिला देना। इससे कई बार उपभोक्ता के स्वास्थ्य को हानि होती है। चावल में सफेद कंकड़, मसालों में रंग, तुअर दाल में खेसरी दाल तथा अन्य महँगे खाद्य पदार्थ में हानिकारक वस्तुओं की मिलावट अधिक लाभ अर्जन के उद्देश्य से की जाती है।
(2) अधिक मूल्य - प्रायः दुकानदार निर्धारित फुटकर कीमत से अधिक मनमानी कीमत ले लेते हैं। अक्सर देखा गया है कि जब हम एक दुकान से महँगी वस्तु खरीद लेते हैं और वही वस्तु दूसरी किसी दुकान में कम कीमत में मिल जाती है। यदि हम अंकित मूल्य दिखाते हैं तो वह कोई कारण बता देता है; जैसे - स्थानीय कर आदि।
(3) झूटी अथवा अधूरी जानकारी - उत्पादक एवं विक्रेता कई बार ग्राहकों को गलत या अधूरी जानकारी देते हैं। इससे ग्राहक गलत वस्तु खरीदकर फंस जाते हैं और उनका पैसा बेकार चला जाता है। वस्तु की कीमत, गुणवत्ता, अन्तिम तिथि, पर्यावरण पर प्रभाव, क्रय की शर्ते आदि के विषय में सम्पूर्ण जानकारी नहीं दी जाती है। वस्तु को खरीदने के बाद उपभोक्ता परेशान होता रहता है।
(4) घटिया गुणवत्ता - जब कुछ वस्तुएँ बाजार में चल जाती हैं तो कुछ बेईमान उत्पादक जल्दी धन कमाने की लालसा में उनकी बिल्कुल नकल उतारकर बाजार में नकली माल चला देते हैं। ऐसे में दुकानदार भी ग्राहक को घटिया सामान दे देते हैं क्योंकि ऐसी वस्तुएँ बेचने में उन्हें अधिक लाभ रहता है। इस प्रकार उपभोक्ता ठगा जाता है और उसका शोषण होता है।
(5) माप-तौल में गड़बड़ी - माप-तोल में विक्रेता कई प्रकार से गड़बड़ियाँ करते हैं; जैसे-बाँट के तले को खोखला करना, उसका वजन वांछित से कम होना, बाँट के स्थान पर पत्थर का उपयोग करना, लीटर के पैमाने का तला नीचे से मोटा या ऊपर की ओर उठा हुआ होना, तराजू के पलड़े के नीचे चुम्बक लगा देना आदि। इस प्रकार उपभोक्ता जितना भुगतान करता है उसके बदले में उसे वस्तु उचित मात्रा में प्राप्त नहीं होती है।
(6) बिक्री के पश्चात् असन्तोषजनक सेवा - जब तक उपभोक्ता वस्तु खरीद नहीं लेता, उसे तरह-तरह के लालच एवं बाद में प्रदान की जाने वाली सेवाओं का आकर्षण दिया जाता है किन्तु बाद में सेवाएँ उचित समय में प्रदान नहीं की जाती हैं तथा उपभोक्ताओं की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। परिणामस्वरूप उपभोक्ता परेशान होता रहता है।
(7) अनावश्यक शर्ते - बैंक, ऋण देने वाली संस्थाएँ आदि उपभोक्ता को वित्तीय सेवाएँ देती हैं परन्तु जमाकर्ताओं एवं ऋणदाताओं के साथ बैंक स्टाफ सहयोग नहीं करता। इसी प्रकार गैस कनेक्शन, नई टेलीफोन लाइन, लाइसेन्सशुदा सामान आदि प्राप्त करते समय विक्रेता अनावश्यक शर्ते लगाकर उपभोक्ताओं को परेशान करते हैं।
(8) कृत्रिम अभाव - कभी-कभी त्योहार, पर्व आदि के समय व्यापारी अनुचित लाभ अर्जित करने के लिए वस्तुओं की जमाखोरी कर वस्तु का कृत्रिम अभाव उत्पन्न कर देते हैं और फिर कालाबाजारी के द्वारा अधिक कीमतें वसूलते हैं।
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