संविधान निर्माण
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1. संविधान
निर्माण Class 9: दक्षिण अफ्रीका
में लोकतांत्रिक संविधान/ Democratic Constitution
in SA(भाग-1)
2. संविधान
निर्माण Class 9: हमें संविधान की जरुरत क्यों है? / Why Do We Need a
Constitution (भाग-2)
3. संविधान
निर्माण Class 9: भारतीय संविधान
का निर्माण/संविधान निर्माण का रास्ता और संविधान सभा (भाग - 3)
4. संविधान
निर्माण Class 9: भारतीय संविधान के बुनियादी मूल्य और संविधान का दर्शन
(भाग - 4)
कक्षा 10 के राजनीति
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महत्वपूर्ण तथ्य :
· रंगभेदः
दक्षिण अफ्रीका की सरकार की 1948 से 1989 के बीच काले लोगों के साथ नस्ली-अलगाव और
खराब व्यवहार करने वाली शासन व्यवस्था।
· धाराः
किसी दस्तावेज का खास हिस्सा, अनुच्छेद।
· संविधानः
देश का सर्वोच्च कानून। इसमें किसी देश की राजनीति और समाज को चलाने वाले मौलिक
कानून होते हैं।
· संविधान
संशोधनः देश की सर्वोच्च विधायी संस्था द्वारा उस देश के संविधान में किया जाने
वाला बदलाव।
· संविधान
सभाः जनप्रतिनिधियों की वह सभा जो संविधान लिखने का काम करती है।
· प्रारूपः
किसी कानूनी दस्तावेज का प्रारंभिक रूप।
· दर्शनः
किसी सोच और काम को दिशा देने वाले सबसे बुनियादी विचार।
· प्रस्तावनाः
संविधान का वह पहला कथन जिसमें कोई देश अपने संविधान के बुनियादी मूल्यों और
अवधारणाओं को स्पष्ट ढंग से कहता है।
· देशद्रोहः
देश की सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश करने का अपराध।
· व्यापार
करने आई यूरोप की कम्पनियों ने दक्षिण अफ्रीका को गुलाम बनाया और काफी बड़ी संख्या
में यहाँ गोरे लोग बस गए और यहाँ के स्थानीय काली चमड़ी वाले लोगों के साथ रंगभेद
शुरू कर दिया।
· रंगभेद
नसली भेदभाव पर आधारित उस व्यवस्था का नाम है जो दक्षिण अफ्रीका में विशिष्ट तौर
पर चलायी गई।
· अफ्रीकन
नेशनल कांग्रेस के झंडे तले दक्षिण अफ्रिकियों ने 1950 से ही गोरों के विरुद्ध
आजादी की लड़ाई लड़ी, आखिरकार 26 अप्रैल 1994 को दक्षिण अफ्रीका गणराज्य का नया
झंडा लहराया और यह एक लोकतांत्रिक देश बन गया ।
· नेल्सन
मंडेला को 7 अन्य नेताओं सहित 1964 में देश में रंगभेद से चलने वाली शासन व्यवस्था
का विरोध करने के लिए आजीवन कारावास की सजा दी गई, वह 28
वर्षों तक जेल में रहे।
· नेल्सन
मंडेला द्वारा लिखित आत्मकथा का नाम “द लांग वॉक टू फ्रीडम’ है।
· 1928 में
मोतीलाल नेहरु और कांग्रेस के अन्य आठ सदस्यों ने भारत का एक संविधान लिखा था।जिसे
नेहरू रिपोर्ट कहते हैं।
· भारत का
संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे जिन्होंने 26 नवम्बर 1949 में अपना कार्य
पूरा कर लिया ।
· 26 जनवरी
1950 को संविधान लागू हुआ इसीलिए इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
· बंधुता, समानता, न्याय
आदि मूल्यों को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में सम्मिलित किया गया । इसके
अतिरिक्त सार्वभौमिक मताधिकार, धर्मनिरपेक्षता,
प्रभुत्वसम्पन्नता आदि का प्रावधान भी संविधान में है।
· डॉ.
भीमराव अम्बेडकर भारतीय संविधान प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष थे।
· डॉ.
राजेंद्र प्रसाद भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष थे।
· गाँधी जी
ने 1934 में ’यंग इंडिया’ नामक पत्रिका लिखी ।
· संविधान
लिखित नियमों की एक ऐसी पुस्तक है, जिसे किसी देश के निवासी सामुहिक रूप से मानते हैं।
· संविधान
सर्वोच्च कानून है जिससे किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के मध्य के आपसी संबंध
तय होने के साथ-साथ लोगों और सरकार के मध्य के संबंध भी निर्धारित होते हैं।
प्रश्नावली (पाठ्यपुस्तक आधारित )
प्रश्न 1.
नीचे कुछ गलत वाक्य है। हर एक वाक्य में की गई गलती पहचाने और इस अध्याय के आधार
पर उसको ठीक करके लिखेंः
(क)
स्वतंत्रता के बाद देश लोकतांत्रिक हो या नहीं, इस विषय पर स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने अपना दिमाग खुला
रखा था।
(ख) भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान में कही गई हरेक बात पर सहमत थे।
(ग) जिन देशों में संविधान है वहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ही होगी।
(घ) संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है, इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता।
उत्तर- (क) यह वाक्य गलत
है। स्वतंत्रता के लिए आंदोलन करने वाले नेताओं को इस बारे में लगभग साफ था कि
स्वतंत्रता के बाद देश में लोकतंत्र ही होगा। चूँकि उन्हें अंग्रेजी शासन से
स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए एक लंबा और कठिन संघर्ष करना पड़ा था, स्वतंत्रता
के पश्चात् वे देश में लोकतंत्र की स्थापना के लिए वचनबद्ध थे और इसके लिए
राष्ट्रीय सहमति बनाने का काम पूर्ण हो चुका था।
(ख) यह भी गलत है। भारतीय
संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान की सभी व्यवस्थाओं के बारे में समान विचार नहीं
रखते थे, कई सदस्य देश में एकात्मक शासन प्रणाली का समर्थन करते थे
जबकि अन्य संघीय व्यवस्था के पक्ष में थे। संविधान सभा में सभी विषयों पर खुलकर
विचार-विमर्श किया जाता था और निर्णय प्रायः बहुमत या पारस्परिक सहमति से लिए जाते
थे।
(ग) यह आवश्यक नहीं है कि
जिस देश में संविधान है-वहाँ पर लोकतंत्रीय व्यवस्था ही होगी। संविधान में
तानाशाही अथवा सैनिक शासन की व्यवस्था भी की जा सकती है। फ्रांस में संविधान के
होते हुए भी नेपोलियन ने लोकतांत्रिक तानाशाही स्थापित की थी। पाकिस्तान में भी
संविधान के होते हुए परवेज मुशर्रफ ने तानाशाही स्थापित की।
(घ) यह बात ठीक नहीं है।
संसद दो- तिहाई के बहुत से किसी धारा में भी संशोधन कर सकती है। भारतीय संविधान के
अनुच्छेद 368 में भी संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है।
सन् 1950 में संविधान के लागू होने से लेकर अब तक इसमें लगभग 100 बार संशोधन किया
जा चुका है। विष्व के सभी देशों में समयानुसार संविधान संशोधन की व्यवस्था है
तरीके भले अलग अलग हों।
प्रश्न 2. दक्षिण अफ्रीका को लोकतांत्रिक संविधान बनाने में इनमें से कौन-सा
टकराव सबसे महत्वपूर्ण थाः
(क)
दक्षिण अफ्रीका और उसके पड़ोसी देशों का टकराव।
(ख)
स्त्रियों और पुरुषों का टकराव।
(ग) गोरे
अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का टकराव।
(घ)
रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का टकराव।
उत्तर- (ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का टकराव।
प्रश्न 3. लोकतांत्रिक संविधान में इनमें से कौन-सा प्रावधान नहीं रहता?
(क) शासन
प्रमुख के अधिकार
(ख) शासन
प्रमुख का नाम
(ग)
विधायिका के अधिकार
(घ) देश
का नाम
उत्तर- (ख) ‘शासन प्रमुख का नाम’ का प्रावधान नहीं है।
प्रश्न 4. संविधान निर्माण में इन नेताओं और उनकी भूमिका में मेल बैठाएँः
(क) मोतीलाल नेहरू 1.
संविधान सभा के अध्यक्ष
(ख) बी. आर. अंबेडकर 2.
संविधान सभा की सदस्य
(ग) राजेंद्र प्रसाद 3.
प्रारूप समिति के अध्यक्ष
(घ) सरोजिनी नायडू 4.
1928 में भारत का संविधान बनाया
उत्तर-
(क)
मोतीलाल नेहरू 4. 1928 में भारत का संविधान बनाया
(ख) बी.
आर. अंबेडकर 3. प्रारूप
समिति के अध्यक्ष
(ग)
राजेंद्र प्रसाद 1.
संविधान सभा के अध्यक्ष
(घ)
सरोजिनी नायडू 2. संविधान सभा की सदस्य
प्रश्न 5.
जवाहर लाल नेहरू ने नियति के साथ साक्षात्कार वाले भाषण के आधार पर निम्नलिखित
प्रश्नों का जवाब देंः
(क) नेहरू ने क्यों कहा कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम करने का नहीं है?
(ख) नए भारत के सपने किस तरह विश्व से जुड़े हैं?
(ग) वे संविधान निर्माताओं से क्या शपथ चाहते थे?
(घ) “हमारी
पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की कामना हर आँख से आँसू पोंछने की है।” वे इस कथन में
किसका जिक्र कर रहे थे?
उत्तर- (क) ये शब्द
जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त, 1947 की मध्य रात्रि के समय संविधान सभा में दिए गए अपने
प्रसिद्ध भाषण में कहे थे उन्होंने कहा था कि भारत का भविष्य, जब भारत
स्वतंत्र हो रहा है, आराम करने या सुस्ताने का नहीं है बल्कि उन वायदों को पूरा
करने के लिए निरंतर प्रयास करने का है जो लोगों से किए गए है। उनके अनुसार भारत की
सेवा करने का अर्थ है, दुख और परेशानियों में पड़े लाखों करोडों लोगों की सेवा करना
जो दरिद्रता, अज्ञान और बीमारियों, अवसर की
असमानता से जूझ रहे हैं।
(ख) जवाहरलाल ने कहा था हम
भारत और उसके लोगों तथा उससे भी अधिक मानवता की सेवा (सारे विश्व के लिए) में
समर्पित करें, यही हमारे लिए उचित है। अर्थात नए भारत में सम्पूर्ण मानवता
को साथ लेकर चलने की बात कही है।
(ग) वे चाहते थे कि
संविधान निर्माता यह शपथ ले कि वे अपने आपको भारत और उसके लोगों तथा मानवता की
सेवा के लिए समर्पित करें।
(घ) वे
इस कथन में महात्मा गांधी का जिक्र कर रहे हैं।
प्रश्न 6.
हमारे संविधान को दिशा देने वाले ये कुछ मूल्य और उनके अर्थ हैं। उन्हें आपस में
मिलाकर दोबारा लिखिए।
(क) संप्रभु (सार्वभौम) 1. सरकार किसी धर्म के निर्देशों के
अनुसार काम नहीं करेगी।
(ख) गणतंत्र 2.
फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है।
(ग) बंधुत्व 3.
शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है।
(घ) धर्मनिरपेक्ष 4. लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना
चाहिए।
उत्तर-
(क)
संप्रभु (सार्वभौम) 2. फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों
के पास है।
(ख)
गणतंत्र 3. शासन
प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है।
(ग)
बंधुत्व 4. लोगों
को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए।
(घ)
धर्मनिरपेक्ष 1. सरकार किसी धर्म के निर्देशों के
अनुसार काम नहीं करेगी।
प्रश्न 7.
कुछ दिन पहले नेपाल से आपके एक मित्र ने वहाँ की राजनैतिक स्थिति के बारे में आपको
पत्र लिखा था। वहाँ अनेक राजनैतिक पार्टियाँ राजा के शासन का विरोध कर रही थीं।
उनमें से कुछ का कहना था कि राजा द्वारा दिए गए मौजूदा संविधान में ही संशोधन करके
चुने हए प्रतिनिधियों को ज्यादा अधिकार दिए जा सकते हैं। अन्य पार्टियाँ नया
गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए नई संविधान सभा गठित करने की मांग कर रही थीं। इस
विषय में अपनी राय बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें।
उत्तर-
प्रिय
मित्र,
नेपाल की राजनीतिक स्थिति
के बारे में आपने मुझे जो लिखा था उस संबंध में मेरा विचार यह है कि लोगों को एक
नई संविधान सभा की स्थापना की माँग करनी चाहिए जो नेपाल के लिए गणतंत्रीय संविधान
का निर्माण करे और वहाँ पर राजतंत्र को समाप्त कर दे।
सन् 2005 में नेपाल के
सम्राट ने जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को बर्खास्त कर दिया था और लोगों से सारे
अधिकार तथा स्वतंत्रता वापस छीन लिए थे,
जो उन्हें एक दशक पहले प्राप्त हुए थे।
प्रश्न 8.
भारत के लोकतंत्र के स्वरूप में विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग
विचार इस प्रकार हैं। आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए
कितना महत्वपूर्ण कारण मानते हैं?
(क) अंग्रेज
शासकों ने भारत को उपहार के रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था दी। हमने ब्रिटिश हुकमत
के समय बनी प्रांतीय असेंबलियों के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का
प्रशिक्षण पाया।
(ख) हमारे
स्वतंत्रता संग्राम ने औपनिवेशिक शोषण और भारतीय लोगों को तरह-तरह की आजादी न दिए
जाने का विरोध किया। ऐसे में स्वतंत्र भारत को लोकतांत्रिक होना ही था।
(ग) हमारे राष्ट्रवादी नेताओं की आस्था लोकतंत्र में थी। अनेक नव स्वतंत्र राष्ट्रों में लोकतंत्र का न आना हमारे नेताओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका की रेखांकित करता है।
उत्तर- (क) ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी प्रांतीय असेंबलियों के जरिए दिखावे वाली लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करते हुए एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के संचालन का प्रशिक्षण तो पाया परंतु भारत को लोकतंत्रीय व्यवस्था अंग्रेजी शासकों से उपहार के रूप में नहीं मिली है। अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए भारतीयों को इसके साथ एक लंबा संघर्ष करना पड़ा और अनेक कुरबानियाँ देनी पड़ी थी।
(ख) चूंकि अंग्रेजों के
अलोकतंत्रीय शासन काल के दौरान भारत के सभी लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में
बढ़-चढ़कर भाग लिया था और इकट्ठे मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य का मुकाबला किया था इसलिए
भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था लाना आवश्यक बन गया था।
(ग) यह बात सच है कि
भाग्यवान भारतीयों को ऐसे नेता मिले जिनकी सोच लोकतंत्रीय थी। इसलिए स्वतंत्रता के
पश्चात लोकतांत्रिक व्यवस्था का लाया जाना स्वाभाविक ही था।
प्रश्न 9. 1912 में प्रकाशित ‘विवाहित महिलाओं के लिए आचरण पुस्तक के
निम्नलिखित अंश को पढ़ेंः
“ईश्वर ने
औरत जाति को शारीरिक और भावनात्मक, दोनों ही तरह से ज्यादा
नाजुक बनाया है, उन्हें आत्म रक्षा के भी योग्य नहीं बनाया
है। इसलिए ईश्वर ने ही उन्हें जीवन भर पुरुषों के संरक्षण में रहने का भाग्य दिया
है कभी पिता के, कभी पति के और कभी पुत्र के। इसलिए महिलाओं
को निराश होने की जगह इस बात से अनुगृहीत होना चाहिए कि वे अपने आपको पुरुषों की
सेवा में समर्पित कर सकती हैं।” क्या इस अनुच्छेद में व्यक्त मूल्य संविधान के
दर्शन से मेल खाते हैं या वे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं?
उत्तरः इस अनुच्छेद में
व्यक्त मूल्य संविधान में दिए गए मूल्यों से मेल नहीं खाते. इन मूल्यों का वर्णन
संविधान की प्रस्तावना में किया गया है। प्रस्तावना के आरंभिक शब्द हैं- “हम भारत
के लोग” जिसका अर्थ है पुरुष तथा महिलाएँ दोनों। यह सभी नागरिकों (दोनों महिलाएँ
एवं पुरुषों) को सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक न्याय दिलाने की बात करती है, इसमें
कहा गया है कि नागरिकों के साथ जाति,
धर्म तथा लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं
किया जाएगा। सामाजिक असमानताओं को कम किया जाएगा और सरकार सभी की भलाई के लिए
कार्य करेगी, कानून की दृष्टि में सभी समान होंगे। ऊपर दिए गए पहरे में
महिलाओं की जिस स्थिति का वर्णन किया गया है वह संविधान में दिए गए मूल्यों के
अनुसार नहीं है।
प्रश्न 10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप उनसे सहमत है? अपने कारण भी बताइए।
(क) संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून के बराबर है।
(ख ) संविधान बताता है कि शासन व्यवस्था के विविध अंगों का गठन किस तरह होगा।
(ग) नागरिकों के अधिकार और सरकार की सत्ता की सीमाओं का उल्लेख भी संविधान में
स्पष्ट रूप से है।
(घ) संविधान संस्थाओं की चर्चा करता है, उसका मूल्यों से कुछ लेना-देना नहीं है।
उत्तर-
(क) यह कथन ठीक नहीं है, एक
साधारण कानून संसद द्वारा पास किया जाता है और संसद जब चाहे उसमें अपनी इच्छानुसार
परिवर्तन कर सकती है। इसके विपरीत संविधान के नियमों का महत्त्व अधिक होता है
जिन्हें संसद को भी मानना पड़ता है। इन नियमों में परिवर्तन करने के लिए एक विशेष
प्रक्रिया को अपनाना पड़ता है।
(ख) ठीक।
(ग) ठीक।
(घ) यह
बात सत्य नहीं है क्योंकि संविधान जितना संस्थाओं से संबंधित है उतना ही वह
मूल्यों से संबंधित भी है।
अति लघुत्तरीय प्रश्न (01 अंक हेतु)
1. नेल्सन मंडेला द्वारा लिखित आत्मकथा का नाम क्या है?
उत्तर :
“द लांग वॉक टू फ्रीडम’
2. नेल्सन मंडेला कितने वर्षो तक जेल में रहे?
उत्तर :
28 वर्ष
3. दक्षिण अफ्रीका गणराज्य का नया झंडा कब लहराया?
उत्तर :
26 अप्रैल 1994
4. किस पार्टी ने दक्षिण अफ्रीका में आज़ादी की लड़ाई लड़ी?
उत्तर :
अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस
5. दक्षिण अफ्रीका में किस नेता ने नस्ली रंगभेद का विरोध किया?
उत्तर :
नेल्सन मंडेला
6. मोतीलाल नेहरू और कांग्रेस के अन्य आठ नेताओं ने भारत का एक संविधान किस सन
में लिखा?
उत्तर :
1928
7. 1934 में गाँधी जी ने संविधान से अपनी अपेक्षा के बारे में किस पत्रिका में
लिखा था?
उत्तर :
यंग इंडिया
8. भारतीय संविधान प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर :
डॉ. भीम राव अम्बेडकर
9. भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर :
डॉ. राजेंद्र प्रसाद
10. भारतीय संविधान कब तैयार हो गया था?
उत्तर :
26 नवम्बर 1949
11. भारतीय संविधान कब लागू हुआ?
उत्तर :
26 जनवरी 1950
12. भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में कुल कितने
सदस्य थे?
उत्तर :
299
13. किस औपनिवेशिक कानून से भारतीय संविधान ने
बहुत सी धाराओं को अपनाया?
उत्तर :
1935 का भारतीय सरकार कानून
14: संविधान-सभा क्या है ?
उत्तरः
जनप्रतिनिधियों की वह सभा जो संविधान लिखने का काम करती है संविधान सभा कहलाती है
।
15: संविधान की प्रस्तावना या उदेश्यिका के आप क्या समझते हैं
उत्तरः संविधान की शुरुआत
बुनियादी मूल्यों की एक संक्षिप्त विवरणिका के साथ होती है जिसमें संविधान के
उदेश्य लिखे होते हे इसे ही संविधान की प्रस्तावना या उदेश्यिका कहते हैं।
16: संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई ?
उत्तरः 9
दिसंबर 946 को
17: संविधान निर्माण के कितने दिन लगे थे ?
उत्तरः 2
वर्ष 11 महीने 18 दिन लगे
18: संविधान लिखने वाली सभा में कितने सदस्य थे ?
उत्तरः
299 सदस्य थे
19: संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे ?
उत्तरः
डॉ० राजेंद्र प्रसाद
20: प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे ?
उत्तरः
डॉ0 भीम राव अम्बेडकर
21: नेल्सन मंडेला पर किस आधार पर मुकदमा चलाया गया और वह कितने वर्ष तक जेल
में रहे?
उत्तरः
नेल्सन मंडेला पर देशद्रोह के आधार पर मुकदमा चलाया गया और वह 28 वर्ष तक जेल में
रहे ।
22: रंगभेद क्या हैं?
उत्तरः रंगभेद नस्ली
भेदभाव पर आधारित उस व्यवस्था का नाम हैं जो दक्षिण अफ्रीका में विशिष्ट तौर पर
चलाई जाती हैं।
23: सविधान क्या होता हैं?
उत्तरः संविधान लिखित
नियमो का संग्रह हैं जिसके अनुसार सरकार का निर्माण होता हैं तथा नागरिकों और
सरकार के मध्य संबंध निश्चित होते हैं।
24: संविधान सभा क्या होती हैं?
उत्तरः चुने हुए
जनप्रतिनिधियों की जो सभा संविधान नामक विशाल दस्तावेजों को लिखने का कार्य करती
हैं, उसे संविधान सभा कहते हैं।
25: भारतीय संविधान कब पूरा हुआ और इसे कब लागू किया गया?
उत्तरः
भारतीय संविधान 26 नवंबर 949 को पूरा हुआ और इसे 26जनवरी 950 को लागू किया गया।
26: संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तरः
डा0. राजेन्द्र प्रसाद
27: संविधान सभा के प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष कौन थे ?
उत्तरः
डा0. भीमराव अम्बेडकर
28: गणराज्य से क्या अभिप्राय हैं ?
उत्तरः गणराज्य में शासन
का प्रमुख लोगो स्वर चुना हुआ व्यक्ति होता हैं न कि किसी वंश परंपरा या राज
खानदान का।
29: संविधान संशोधन से क्या अभिप्राय है?
उत्तरः देश की सर्वोच्च
विधायी संस्था (संसद) द्वारा देश के संविधान में किया जाने वाला परिवर्तन संविधान
संशोधन कहलाता हैं।
30: भारत के संविधान की उद्देशिका की एक मुख्य विशेषता का उल्लेख कीजिए।
उतरः संविधान भारत को एक
प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और लोकतंत्रात्मक गणराज्य बने के लिए
दृढप्रतिज्ञ हैं।
31. हम जब चाहे अपने संविधान को बदल सकते हैं । इस प्रक्रिया को क्या कहते है ?
उत्तरः
संविधान-संशोधन।
लघु उत्तरीय प्रश्न ( 02 अंकों हेतु)
1.
रंगभेद से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
रंगभेद - रंगभेद नस्ली भेदभाव पर आधारित उस व्यवस्था का नाम है जो दक्षिण अफ्रीका
में विशिष्ट तौर पर चलायी गई, दक्षिण अफ्रीका पर यह व्यवस्था यूरोप के गोरे लोगों ने लादी
थी।
2.
दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्रता संग्राम के बारे में लिखें।
उत्तर :
दक्षिण अफ्रीका का स्वतंत्रता संग्राम :-
1. 1950 से
ही स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी, 1994 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई ।
2. यूरोपीय
अल्पसंख्यक गोरों की सरकार स्थानीय काले लोगों पर अत्याचार करती रहीं।
3. दक्षिण
अफ्रीकी नेता नेल्सन मंडेला ने रंगभेद से चलने वाली शासन की व्यवस्था के विरुद्ध
आवाज उठाई।
4. अफ्रीकन
नेशनल कांग्रेस के झंडे तले गोरों के विरुद्ध मजदूर संघटन और कम्यूनिस्ट पार्टी भी
शामिल ।
5. 1994 में
चुनाव की घोषणा की गई जिसमें लोकप्रिय अफ्रीकी नेता नेल्सन मंडेला की जीत हुई, उन्हें
स्वतंत्र दक्षिण अफ्रीका का पहला राष्ट्रपति चुना गया।
3. संविधान के प्रमुख कार्य क्या हैं?
उत्तर :
संविधान के प्रमुख कार्य :
1. साथ रह
रहे विभिन्न तरह के लोगों के बीच जरूरी भरोसा और सहयोग विकसित करना।
2. स्पष्ट
करना की सरकार का गठन कैसे होगा और किसे फैसले लेने का अधिकार होगा।
3. सरकार के
अधिकारों की सीमा तय करना और नागरिकों के अधिकार बताना ।
4. अच्छे
समाज के गठन के लिए लोगों की आकांक्षाओं को व्यक्त करना।
4. भारतीय संविधान को दिशा देने वाले शब्द ’पंथ-निरपेक्ष’, गणराज्य’, लोकतंत्रात्मक’,बंधुता’ और समता का अर्थ लिखिए।
उत्तर :
भारतीय संविधान को दिशा देने वाले शब्द :
1.पंथ
-निरपेक्ष : नागरिकों को किसी भी धर्म को मानने की पूरी स्वतंत्रता है, लेकिन
कोई धर्म अधिकारिक नहीं ।
2. गणराज्यः
शासन का प्रमुख लोगों द्वारा चुना हुआ व्यक्ति होगा।
3. लोकतंत्रात्मक
: सरकार का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोगों को समान राजनैतिक अधिकार प्राप्त रहते हैं
।
4. समताः
कानून के समक्ष सभी लोग बराबर हैं।
5. बंधुताः
हम सब ऐसा आचरण करें जैसा के एक परिवार के सदस्य हों । कोई भी नागरिक किसी दूसरे
नागरिक को अपने से कमतर न माने ।
5. संविधान क्या है?
उत्तर :
संविधान :
1. संविधान
लिखित नियमों की एक ऐसी किताब है जिसे किसी देश में रहने वाले लोग सामूहिक रूप से
मानते है।
2. संविधान
सर्वोच्च कानून है।
3. संविधान
लोगों के बीच आपसी सम्बन्ध तथा लोंगों और सरकार के बीच के सम्बन्ध तय करता है।
6. संविधान क्यों आवश्यक है?
उत्तर :
संविधान की आवश्यकता :
1. लोकतान्त्रिक
सरकार का निर्माण और उसके कार्य तय करने के लिए।
2. सरकार के
विभिन्न अंगो के अधिकार क्षेत्र तय करने के लिए।
3. सरकार को
अपनी शक्तियों के दुरूपयोग से रोकने के लिए ।
4. नागरिकों
के अधिकार सुरक्षित करने के लिए (या अन्य कोई)।
7. संविधान संशोधन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर : संविधान संशोधन : देश
के सर्वोच्च विधायी संस्था द्वारा उस देश के संविधान में किए जाने वाले बदलाव को
संविधान संशोधन कहते है।
8. भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर :
भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएँ :
1. संघीय
सरकार।
2. संसदात्मक
सरकार।
3. प्रभुत्व
संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य ।
4. पंथ-निरपेक्ष
राज्य ।
5. स्वतंत्र
और निष्पक्ष न्यायपालिका ।
6. मूल
अधिकार ।
7. राज्य के
नीति निर्देशक सिद्धांत ।
9. किसी
क्लब, सहकारी संगठन या राजनैतिक दल के लिए लिखित
नियम या उनका संविधान होना चाहिए । स्पष्ट करें।
उत्तर :
लिखित नियम या संविधान होना चाहिए
1. यह लोगों
में भरोसा और सहयोग विकसित करता है।
2. यह
अधिकारों और जिम्मेदारियों को तय करता है।
3. सभी
लोगों की मान्यता होती है।
10. संघीय सरकार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तरः भारतीय संविधान में
शासन चलाने के लिए दो प्रकार की सरकारों की व्यवस्था है एक केन्द्रीय सरकार और
दूसरी राज्य सरकारें जो मिलकर भारत संघ का निर्माण करती हैं । इस प्रकार की
व्यवस्था को संघीय सरकार कहते हैं।
11: राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत से आप क्या समझते हैं।
उत्तरः भारतीय संविधान की
वह सिद्धांत जो केंद्र और राज्य सरकारों के लिए पथ-प्रदर्शन का कार्य करते हैं
राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत कहलाते हैं
12. संविधान सभा को मिनी भारत (लघु भारत) क्यों कहा जाता है ?
उत्तरः संविधान सभा में
भारत के सभी धर्मों तथा सभी समाज के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया गया था । यही कारण
है कि संविधान सभा को लघु भारत कहा जाता है।
13. संविधान किसे कहते है ?
उत्तरः एक ऐसे सभी
बुनियादी नियमों एवं कानून की किताब जिसके द्वारा किसी देश की सरकार चलायी जाती है
संविधान कहलाता है । इसका पालन सरकार एवं नागरिकों दोनों को करना होता है ।
14. रंगभेद की निति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तरः रंगभेद की नीति
नस्ली भेदभाव पर आधारित उस व्यवस्था को कहते हैं जो विशिष्ट तौर पर दक्षिणी
अफ्रीका में 1948 से 1994 के बीच चलाई गई थी।
15. संविधान-संशोधन से आप क्या समझते है ?
उत्तरः
समय-समय पर संविधान में जो परिवर्तन लाया जाता है उसे संविधान-संशोधन कहते हैं।
16. पंथ-निरपेक्षता या धर्म-निरपेक्षता से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तरः पंथ-निरपेक्षता या
धर्म-निरपेक्षता वह विचारधारा है जिसके अंतर्गत धर्म या पंथ के आधार पर कोई राज्य
किसी भी अपने नागरिक को विशेष अधिकार नहीं देती।
17. रंगभेद की नीति के अंतर्गत अश्वैतों पर क्या - क्या प्रतिबंध थे?
उत्तरः
1. गोरो
की बस्तियों में बसने की इजाजत नहीं थीद्य परमिट होने पर ही वहाँ काम करने जा सकते
हैं।
2. काले
लोग गोरों के लिए आरक्षित स्थानों पर नहीं जा सकते थेद्य इसमें गोरों के गिरजाघर
भी सम्मिलित थे ।
3.
अश्वेतों को संगठन बनाने और इस भेदभावपूर्ण व्यवहार का विरोध करने का भी अधिकार
था।
03 अंक के लिए प्रश्न -
प्रश्न 1. संविधान का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः संविधान देश का
सर्वोच्च कानून होता है। संविधान में किसी देश की शासन, राजनीति
और समाज को चलाने वाले मौलिक कानून होते हैं। वह सरकार के साथ नागरिकों के सम्बन्ध
भी निश्चित करता है, ऐसा कोई भी कानून नहीं बनाया जा सकता है जो संविधान के
अनुकूल न हो।
प्रश्न 2. भारत के संविधान का निर्माण किसके द्वारा किया गया और यह कब लागू
किया गया?
उत्तरः भारत के संविधान का
निर्माण एक संविधान सभा द्वारा किया गया जिसकी स्थापना सन् 1946 में की गयी थी।
संविधान सभा द्वारा संविधान को 26 नवम्बर, 1949 को
पास किया गया था। यह 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ।
प्रश्न 3. संविधान सभा के अध्यक्ष एवं सदस्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः संविधान सभा का
प्रथम अधिवेशन 9 दिसम्बर, 1946 को हुआ। इसके लिए डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा जो संविधान
सभा के सदस्यों में सबसे अधिक (82 वर्ष) आयु के थे, को
संविधान सभा का अस्थाई अध्यक्ष बनाया गया। 11 दिसम्बर, 1946 को
डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुन लिया गया। संविधान सभा
के प्रमुख सदस्यों का विवरण इस प्रकार है-
डॉ.
राजेन्द्र प्रसाद,
जवाहरलाल
नेहरू,
डॉ. बी.
आर. अम्बेडकर,
सरदार
बल्लभ भाई पटेल,
के. एम. मुंशी।
प्रश्न 4. रंगभेद से क्या आशय है?
उत्तरः दक्षिण अफ्रीका की
सरकार ने 1948 से 1989 के बीच काले लोगों के साथ नस्ली अलगाव और खराब व्यवहार करने
की नीति अपनायी जिसे रंगभेद कहते हैं।
प्रश्न 5. भारत का संविधान 26 जनवरी को ही क्यों लागू किया गया?
उत्तरः हमारे देश का
संविधान, संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर, 1949 को
पारित किया गया था लेकिन यह 26 जनवरी,
1950 से प्रभावी हुआ। इसे 26 जनवरी, 1950 को
ही लागू किया गया। प्रश्न उत्पन्न होता है कि इसी तिथि को क्यों चुना गया? इस तिथि
के चयन के पीछे भी देश का इतिहास है। दिसंबर 1929 को लाहौर अधिवेशन में भारतीय
नेशनल कांग्रेस (पार्टी) ने पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करने का संकल्प लिया था और 26 जनवरी, 1930 को
पहली बार तथा उसके उपरान्त हर वर्ष स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
यही कारण है कि हमारे नेताओं ने भारतीय संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी, 1950 की
तिथि निश्चित की, जो भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक है।
प्रश्न 6. प्रस्तावना का अर्थ बताएँ।।
उत्तरः संविधान का वह
प्रथम कथन जिसमें कोई देश अपने संविधान के आधारभूत मूल्यों और अवधारणाओं को स्पष्ट
ढंग से कहता है, प्रस्तावना कहलाता है।
प्रश्न 7. ‘संविधान सभा’ से क्या आशय है?
उत्तरः संविधान सभा से आशय
किसी देश के लिए संविधान का निर्माण करने वाली सभा से लिया जाता है।
एनसाइक्लोपीडिया ऑफ सोशल साइंसेज (म्दबलबसवचंमकपं वि ैवबपंस ैबपमदबमे) के अनुसार
संविधान सभा एक ऐसी प्रतिनिधि सभा होती है जिससे नवीन संविधान पर विचार करने और
अपनाने या मौजूदा संविधान में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन करने के लिए चुना जाए। भारत
के संविधान का निर्माण करने के लिए संविधान सभा की स्थापना सन् 1946 में की गई थी।
प्रश्न 8. भारतीय संविधान के निर्माण में कितना समय लगा? संविधान में कितने अनुच्छेद एवं अनुसूचियाँ हैं?
उत्तरः भारत के संविधान के
निर्माण में 2 वर्ष, 11 माह तथा 18 दिन का समय लगा। संविधान सभा द्वारा संविधान
को 26 नवम्बर, 1949 को पारित किया गया। भारत के संविधान में 395 अनुच्छेद
तथा 12 अनुसूचियाँ हैं।
प्रश्न 9. भारतीय संविधान की प्रस्तावना में शामिल ‘समाजवाद’ शब्द का क्या
अर्थ है?
उत्तरः समाजवाद का अर्थ है
भारत में शासन-व्यवस्था इस प्रकार चलाई जाए जिससे सभी वर्गों को, विशेष
रूप से पिछड़े वर्गों को, अपने विकास के लिए उचित वातावरण तथा परिस्थितियाँ मिलें, आर्थिक
असमानता कम हो और देश के विकास का फल थोड़े से लोगों के हाथों में न होकर समाज के
सभी लोगों को मिले। इसका उद्देश्य सभी प्रकार के सामाजिक, आर्थिक
तथा राजनीतिक शोषण से छुटकारा है।
समाजवादी
शब्द संविधान की प्रस्तावना में सन् 1976 में 42वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया था।
प्रश्न 10. भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः भारत की
संविधान-सभा द्वारा भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया। इसका आशय यह है
कि राज्य का कोई धर्म नहीं है और प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म
को मानने तथा उसका प्रचार करने की पूरी स्वतन्त्रता है। धर्म के आधार पर राज्य द्वारा
नागरिकों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता। राज्य द्वारा नागरिकों को
किसी एक धर्म को मानने तथा उसके लिए दान
अथवा चन्दा देने के लिए विवश नहीं किया जा सकता। भारत में हिन्दू समुदाय बहुसंख्यक
हैं किन्तु यहाँ तीन बार मुस्लिम एवं एक बार सिक्ख राष्ट्रपति बन चुके हैं। इस
उदाहरण से भारत की धर्मनिरपेक्षता प्रमाणित होती है।
प्रश्न 11. ‘यंग इण्डिया’ में गांधीजी ने 1931 में संविधान से अपनी क्या
अपेक्षा प्रस्तुत की थी?
उत्तरः मैं भारत के लिए
ऐसा संविधान चाहता हूँ जो उसे गुलामी और अधीनता से मुक्त करे। मैं ऐसे भारत के लिए
प्रयास करूंगा जिसे सबसे गरीब व्यक्ति भी अपना मानें और उसे लगे कि देश को बनाने
में उसकी भी भागीदारी है। ऐसा भारत जिसमें लोगों का उच्च वर्ग और निम्न वर्ग न रहे, ऐसा भारत
जिसमें सभी समुदाय के लोग पूरे मेल जोल से
रहें। ऐसे भारत में छुआछूत या शराब और नशीली चीजों के लिए कोई जगह न हो। औरतों को
भी मर्दो जैसे अधिकार हो। मैं इससे कम पर संतुष्ट नहीं होगा।
प्रश्न 12. भारत के संविधान निर्माता किन आदर्शों से प्रभावित थे?
उत्तरः भारत के संविधान
निर्माता फ्रांसीसी क्रांति के आदर्शों,
ब्रिटेन के संसदीय लोकतंत्र के कामकाज और अमेरिका के
अधिकारों की सूची से काफी प्रभावित थे। रूस में हुई समाजवादी क्रांति ने भी अनेक
भारतीयों को प्रभावित किया और वे सामाजिक और आर्थिक समता पर आधारित व्यवस्था बनाने
की कल्पना करने लगे थे।
प्रश्न 13. भारतीय संविधान के आधारभूत मूल्य कौन-से हैं?
उत्तरः भारतीय संविधान के
आधारभूत मूल्य या दर्शन में भारत को प्रभुत्व-सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक
न्याय, स्वतन्त्रता, समानता, व्यक्ति की गरिमा,
राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता को
बढ़ावा दिया गया है।
प्रश्न 14. भारतीय संविधान निर्माण की प्रक्रियाओं के बारे में वर्णन करें।
उत्तरः जुलाई, 1946 में
भारतीय संविधान सभा के लिए चुनाव हुए थे। संविधान सभा की प्रथम बैठक दिसम्बर, 1946 में
हुई थी।
भारतीय संविधान सभा में
299 सदस्य थे। संविधान निर्माण के लिए 166 बैठकें हुईं और 114 दिनों तक इस पर
चर्चा हुई। 26 नवम्बर, 1949 को संविधान बनकर तैयार हो गया। इस निर्माण प्रक्रिया
में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन लगें। संविधान 26 जनवरी, 1950 को
लागू कर दिया गया।
प्रश्न 15. भारत के प्रमुख संविधान निर्माताओं के बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तरः डॉ. राजेन्द्र
प्रसाद ने भारत के संविधान सभा की अध्यक्षता की थी। संविधान की रूपरेखा तैयार करने
के लिए एक प्रारूप समिति का गठन किया गया था। प्रारूप समिति के सात सदस्य थे।
प्रारूप समिति का अध्यक्ष डॉ. भीम राव अम्बेडकर को बनाया गया था। संविधान सभा के लिए
299 सदस्यों का चुनाव किया गया था। संविधान के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका
निभाने वाले नेताओं में अबुल कलाम आजाद,
टी.टी. कृष्णमचारी, डॉ.
राजेन्द्र प्रसाद, जयपाल सिंह, एच. सी. मुखर्जी,
जी. दुर्गाबाई देशमुख, बलदेव
सिंह, कन्हैया मानिक लाल मुंशी, श्यामा
प्रसाद मुखर्जी, भीम राव अम्बेडकर,
जवाहर लाल नेहरू,
सोमनाथ लाहिड़ी,
सरदार बल्लभभाई पटेल, सरोजनी
नायडू प्रमुख थीं।
प्रश्न 16. उन तीन प्रक्रियाओं का वर्णन करो जिससे संविधान में संशोधन होता है
?
उत्तरः
1) संसद में उपस्थित मतदान
करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से प्रस्ताव पास कर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के
पश्चात संविधान में संशोधन किया जा सकता है।
2) “न वाले दो तिहाई सदस्यों का बहुमत प्राप्त हो
तथा राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से संशोशन किया जा सकता है।
3) मतदान करने वाले दो
तिहाई सदस्यों का बहुमत के अलावा कुल राज्यों की 50 प्रतिशत विधायिकाओं का बहुमत
से संशोधन किया जा सकता है ।
प्रश्न 17. संविधान के कार्य लिखिए?
उत्तरः
संविधान के निम्नलिखित कार्य हैंः
1) देश
के लोगो के बीच विश्वास और सहयोग विकसित करना।
2) सरकार
का गठन कैसे करना हैं और किसे निर्णय लेने का अधिकार होगा ।
3) सरकार
के अधिकारों की सीमा निश्चित करता हैं तथा नागरिको के अधिकारों का वर्णन करता हैं।
4) अच्छे
समाज के गठन के लिए लोगो की आकांक्षाओ को व्यक्त करता हैं।
प्रश्न 18. गाँधी जी किस प्रकार का संविधान चाहते थे?
उत्तरः
गाँधी जी निम्न प्रकार का संविधान चाहते थे :-
1)
गुलामी और अधीनता से मुक्त करने वाला।
2) उच्च
वर्ग और निम्न वर्ग न रहना।
3) आपसी
मेलजोल, छुआछूत का अन्त,
शराब व नशीली वस्तुओ का प्रयोग न होना।
4) गरीब
व्यक्ति की देश को बनाने में भागीदारी होना।
5)
स्त्री-पुरुष को समान अधिकार।
प्रश्न 19. हम भारतीय संविधान को क्यों मानते हैं?
उत्तरः
भारतीय संविधान को मानने के निम्नलिखित कारण हैंः-
1) किसी
भी बड़े सामाजिक समूह या राजनैतिक दल द्वारा संविधान की वैधता पर प्रशन नहीं उठाया
गया हैं।
2) संविधान सभा भारत के
लोगो का ही प्रतिनिधित्व कर रही थी। इसमें सभी भौगोलिक क्षेत्रो, समूहों, जाति.वर्ग, धर्म और
पेशो का प्रतिनिधित्व थाद्य उस समय सार्वभीमिक व्यसक मताधिकार नहीं था इसलिए
संविधान सभा का चुनाव देश की जनता प्रत्यक्ष रूप से नही कर सकती थीद्य अतः उसका
चुनाव मुख्य रूप से प्रांतीय असेंबलीयों के सदस्यों द्वारा किया गया।
3) इस
सभा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य का प्रभुत्व था जिसने राष्ट्रीय
आन्दोलन की अगुवाई की।
4) संविधान सभा का कार्य
काफी व्यवस्थित, खुला और सर्वसम्मिति बनाने के प्रयास पर अधारित था। यह इसको
पवित्रता और वैधता प्रदान करता हैं।
प्रश्न 20. भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज है ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारतीय
संविधान एक जीवित आलेख है । कैसे ?
उत्तरः भारतीय संविधान एक
जीवंत दस्तावेज है क्योंकि इसमें समय की गति को देखते हुए इसके कुछ भागों को बदलने
की प्रक्रिया है । हम जब चाहे अपने संविधान को बदल सकते है इसमें संसोधन कर सकते
है । यही कारण है कि इसे एक जीवंत दस्तावेज कहा है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (04 अंक के लिए)
प्रश्न 1. ‘भारतीय संविधान’ के आधारभूत ढाँचे से आप क्या समझते हैं?
उत्तरः ‘भारतीय संविधान
संविधान के आधारभूत ढाँचे को स्पष्ट नहीं करता, परन्तु
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ‘केशवानन्द भारती मुकदमे का निर्णय सुनाते हुए यह कहा था
कि संविधान की प्रत्येक धारा में संशोधन किया जा सकता है। यद्यपि संविधान के मूल
ढाँचे में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए। संविधान के मूल ढाँचे में निम्नलिखित
बातों को शामिल किया जा सकता है
·
विधानमण्डल, कार्यपालिका
तथा न्यायपालिका के बीच शक्तियों का पृथक्करण।
·
संविधान
का संघीय स्वरूप।
·
संविधान
की सर्वोच्चता।
·
सरकार का
गणतंत्रात्मक और लोकतंत्रीय स्वरूप।
·
संविधान
का धर्म-निरपेक्ष स्वरूप।
प्रश्न 2.
लचीले अथवा कठोर संविधान में अन्तर स्पष्ट कीजिए। भारत का संविधान लचीला है अथवा
कठोर? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः उस संविधान को
लचीला संविधान कहते हैं जिसमें संविधान संशोधन उसी प्रक्रिया से किया जा सके जो एक
साधारण कानून को पास करने के लिए अपनाई जाती है। जबकि कठोर संविधान उस संविधान को
कहते हैं जिसमें संशोधन करने के लिए किसी विशेष प्रक्रिया को अपनाना पड़ता है।
उसमें संशोधन साधारण कानून को पास करने की प्रक्रिया से नहीं किया जा सकता।
भारत का संविधान न तो पूरी
तरह से लचीला है और न ही कठोर। यह अंशतः लचीला और अंशतः कठोर है। इसका कारण यह है
कि संशोधन के कार्य के लिए भारत के संविधान को तीन भागों में बाँटा गया है
संविधान
की कुछ धाराओं में संसद अपने साधारण बहुमत से संशोधन कर सकती है।
कुछ धाराओं में संशोधन
संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत तथा आधे राज्यों की स्वीकृति से किया जा
सकता है।
शेष
धाराओं में संशोधन संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत से किया जा सकता है।
प्रश्न 3.
“26 जनवरी, 1950 को हम विरोधाभास से भरे जीवन में प्रवेश
करने जा रहे हैं।” डॉ. अम्बेडकर उक्त पंक्तियों में क्या कहना चाह रहे हैं?
उत्तरः 26 जनवरी, 1950 को
हमारा संविधान लागू हुआ। इसी दिन संविधान निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने
वाले डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने संविधान सभा में एक भाषण दिया। अपने निष्कर्ष भाषण
में उन्होंने दलितों के समाज में असमान स्थान पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि
राजनीति में दलित समानता का दर्जा पाएँगे किन्तु सामाजिक एवं आर्थिक स्तर पर 299
असमान रहेंगे। उन्होंने कहा कि राजनीति
में वे एक व्यक्ति एक वोट एक मूल्य के सिद्धान्त का पालन करेंगे। दूसरी ओर, उनके
सामाजिक व आर्थिक जीवन में, वे एक व्यक्ति एक मूल्य के सिद्धान्त से वंचित रहेंगे और इस
प्रकार वे विरोधाभास से भरे जीवन को जीते रहेंगे।
प्रश्न 4. संविधान निर्माताओं ने संविधान संशोधन के लिए क्या प्रावधान किए हैं?
उत्तरः भारत का संविधान एक
विस्तृत दस्तावेज है। इसे वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक बनाए रखने के लिए
इसमें अनेक बार संशोधन करने पड़ते हैं। भारत के संविधान निर्माताओं ने अनुभव किया
कि इसे लोगों की आकांक्षाओं एवं समाज के बदलाव के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने इसे
एक पवित्र, स्थाई
एवं अपरिवर्तनीय कानून की नजर से नहीं देखा। इसलिए उन्होंने समय-समय पर इसमें
बदलाव समाहित करने के लिए प्रावधान किया। इस बदलाव को संविधान संशोधन कहा जाता है।
प्रश्न 5. हमारे लिए संविधान क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः किसी भी देश के
नागरिकों के लिए उस देश का संविधान महत्त्वपूर्ण होता है। संविधान सरकार की
शक्तियों को निश्चित करता है तथा उन पर नियंत्रण लगाता है। संविधान सरकार के
विभिन्न अंगों की शक्तियों को भी निश्चित करता है जिससे उनमें झगड़े की संभावना
नहीं रहती। यह नागरिकों के अधिकारों तथा सरकार के साथ नागरिकों के सम्बन्ध भी
निश्चित करता है। संविधान के द्वारा लोग
अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं तथा सरकार पर अंकुश लगा सकते हैं। संविधान के
अभाव में शासन के सभी कार्य शासकों की इच्छानुसार ही चलाए जाएँगे, जिससे
नागरिकों पर अत्याचार होने की संभावना बनी। रहेगी। ऐसे शासक से छुटकारा पाने के
लिए नागरिकों को विद्रोह का सहारा लेना पड़ेगा जिससे देश में अशांति और अव्यवस्था
का वातावरण बना रहेगा।
प्रश्न 6. ‘संविधान’ का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः प्रत्येक देश का
अपना संविधान होता है। संविधान उन मौलिक नियमों, सिद्धान्तों
तथा परम्पराओं का संग्रह होता है, जिनके अनुसार राज्य की सरकार का गठन, सरकार के
कार्य, नागरिकों के अधिकार तथा नागरिकों और सरकार के बीच सम्बन्ध
को निश्चित किया जाता है। शासन का स्वरूप लोकतांत्रिक हो या अधिनायकवादी, कुछ ऐसे
नियमों के अस्तित्व से इन्कार नहीं किया जा सकता जो राज्य में विभिन्न राजनीतिक
संस्थाओं तथा शासकों की भूमिका को निश्चित करते हैं। इन नियमों के संग्रह को ही
संविधान कहा जाता है।
संविधान में शासन के
विभिन्न अंगों तथा उसके पारस्परिक सम्बन्धों का विवरण होता है। इन सम्बन्धों को
निश्चित करने हेतु कुछ नियम बनाए जाते हैं, जिनके
आधार पर शासन का संचालन सुचारू रूप से संभव हो जाता है तथा शासन के विभिन्न अंगों
में टकराव की संभावनाएँ कम हो जाती हैं। संविधान के अभाव में शासन के सभी कार्य
निरंकुश शासकों की इच्छानुसार ही चलाए जाएँगे जिससे नागरिकों पर अत्याचार होने की
संभावना बनी रहेगी। ऐसे शासक से छुटकारा पाने के लिए नागरिकों को अवश्य ही विद्रोह
का सहारा लेना पड़ेगा जिससे राज्य में
अशांति तथा अव्यवस्था फैल जाएगी। इस प्रकार एक देश के नागरिकों हेतु एक सभ्य समाज
एवं कुशल तथा मर्यादित सरकार का अस्तित्व एक संविधान की व्यवस्थाओं पर ही निर्भर
करता है।
प्रश्न 7. संविधान सभा में प्रस्तुत किए गए ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ पर संक्षिप्त
नोट लिखिए।
उत्तरः पं. जवाहरलाल नेहरू
द्वारा संविधान सभा की पहली बैठक में उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था। इस
उद्देश्य प्रस्ताव में मुख्य रूप से निम्नलिखित बातें शामिल थीं।
अल्पसंख्यक वर्गों, पिछड़ी
जातियों, जनजातियों, दलित तथा अन्य पिछड़े वर्गों के हितों की सुरक्षा की समुचित
व्यवस्था की जाएगी।
भारतीय गणतन्त्र की
भौगोलिक अखण्डता तथा इसके भू-भाग, समुद्र तथा वायुमण्डल क्षेत्र पर इसकी प्रभुसत्ता की रक्षा
न्यायोचित तथा सभ्य राष्ट्रों के कानूनों के अनुसार की जाएगी।
यह राज्य विश्व शांति तथा
मानव मात्र के कल्याण की उन्नति में अपना सम्पूर्ण तथा स्वैच्छिक योगदान करेगा। इस
प्रस्ताव को संविधान सभा द्वारा सर्वसम्मति से पास कर दिया गया था।
भारत एक
प्रभुसत्ता-सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य होगा।
भारत ब्रिटिश भारत कहे
जाने वाले क्षेत्र, भारतीय रियासतों के क्षेत्र और भारत के ऐसे अन्य क्षेत्र, जो इस
समय ब्रिटिश भारत तथा भारतीय रियासतों के क्षेत्र से बाहर हैं और जो भारत में
शामिल होना चाहते हैं, उन सबका एक संघ बनेगा।
स्वतन्त्र एवं
प्रभुसत्ता-सम्पन्न भारत संघ और उसके अन्तर्गत आने वाले विभिन्न घटकों की शक्ति का
स्रोत जनता होगी।
भारत के सभी लोगों को
सामाजिक, आर्थिक न्याय का आश्वासन, कानून के
सामने समानता, विचार, विश्वास, धर्म, पूजा, व्यवसाय की स्वतन्त्रताएँ प्राप्त होंगी।
प्रश्न 8. भारत में संसदीय शासन-प्रणाली को स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः संसदीय
शासन-प्रणाली, उस शासन प्रणाली को कहते हैं जिसमें राज्य का अध्यक्ष
नाममात्र का अध्यक्ष होता है जबकि वास्तविक शासन का संचालन प्रधानमंत्री तथा
मंत्रिमण्डल के अन्य सदस्यों द्वारा चलाया जाता है। मंत्रिमण्डल का निर्माण
सांसदों में से किया जाता है और मंत्रिगण संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं। भारत में राज्य का अध्यक्ष
अर्थात् राष्ट्रपति नाममात्र का अध्यक्ष है। यद्यपि संविधान द्वारा उसे अनेक
शक्तियाँ प्राप्त हैं परन्तु वह वास्तव में उनका प्रयोग नहीं करता। इसकी शक्तियों
का वास्तविक प्रयोग मंत्रिमण्डल के सदस्यों द्वारा किया जाता है। यद्यपि शासन
राष्ट्रपति के नाम पर चलाया जाता है,
परन्तु उसका वास्तविक संचालन मंत्रिमण्डल द्वारा किया जाता
है। मंत्रिमण्डल का निर्माण संसद में से किया जाता है और इसके सदस्य संसद के प्रति
सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं। मंत्रिमण्डल के सदस्य उतने समय तक अपने पद पर
बने रहते हैं जब तक उन्हें संसद में बहुमत का समर्थन प्राप्त रहता है। उपर्युक्त
विवरण से यह स्पष्ट है कि भारत में संसदीय शासन प्रणाली है।
प्रश्न 9. भारत में संघीय शासन प्रणाली को स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः संघीय शासन
व्यवस्था में शासन की शक्तियों का केन्द्रीय सरकार तथा राज्य सरकारों के बीच
विभाजन किया जाता है। भारतीय संविधान के अनुसार देश में संघीय सरकार की स्थापना की
गयी है, जो इस प्रकार है
1. लिखित तथा कठोर
संविधान- भारतीय संविधान एक लिखित संविधान है जिसमें 395 धाराएँ हैं। इसके
अतिरिक्त संविधान का एक भाग ऐसा है जिसमें संशोधन करने के लिए कम-से-कम आधे
राज्यों की स्वीकृति लेनी आवश्यक है। अतः यह एक कठोर संविधान है।
2.
शक्तियों का विभाजन- संविधान द्वारा शासन की शक्तियों का तीन सूचियाँ-
1. संघीय
सूची,
2. राज्य
सूची तथा
3.
समवर्ती सूची, में विभाजन किया गया है।
3. सर्वोच्च न्यायालय-
संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करने के लिए एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना
की गयी है।
4. द्विसदनीय विधानमण्डल-
भारतीय संसद के दो सदन हैंदृलोकसभा तथा राज्यसभा। लोकसभा में जनता द्वारा
निर्वाचित प्रतिनिधि बैठते हैं और राज्यसभा में राज्यों को प्रतिनिधित्व दिया गया
है।
उपरोक्त
विवरण से यह स्पष्ट है कि भारत में संघीय सरकार की व्यवस्था की गई है।
प्रश्न 10. दक्षिण अफ्रीका हेतु नया संविधान बनाने में आने वाली कठिनाइयों का
उल्लेख कीजिए।
उत्तरः दक्षिण अफ्रीका में
संविधान निर्माताओं को नया संविधान बनाने में निम्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ा
:-
अश्वेत बहुसंख्यक यह
सुनिश्चित करने को आतुर थे कि बहुमत के लोकतंत्रात्मक सिद्धान्त के साथ कोई समझौता
न किया जाए। वे मूलभूत सामाजिक एवं आर्थिक अधिकारों को पाना चाहते थे। वहीं दूसरी
ओर गोरे अल्पसंख्यक अपने विशेषाधिकारों एवं संपत्ति की रक्षा करना चाहते थे।
दमन करने वालों एवं जिनका
दमन किया गया था, दोनों समानता के आधार पर नए लोकतांत्रिक दक्षिण अफ्रीका में
एक साथ रहने की योजना बना रहे थे।
गोरों एवं अश्वेतों में
परस्पर विश्वास नहीं था। उन्हें अपने-अपने डर सता रहे थे। वे अपने हितों की रक्षा
करना चाहते थे।
प्रश्न 11. अफ्रीका सरकार की रंगभेद नीति का विवेचन कीजिए।
उत्तरः
अफ्रीका अश्वेत लोगों के साथ निम्न रूप में रंगभेद नीति अपनायी जाती थी
· श्वेत
एवं अश्वेत लोगों के लिए रेलगाड़ियाँ,
बसें, टैक्सियाँ, होटल, अस्पताल, स्कूल व कॉलेज,
पुस्तकालय, सिनेमा हाल, थियेटर, समुद्र तट, तरण ताल, जन-शौचालय आदि अलग-अलग थे।
· यहाँ तक
कि गिरजाघरों में भी उनका प्रवेश वर्जित था जहाँ पर श्वेत लोग पूजा करते थे।
· अश्वेतों
को संगठन बनाने या इस भयानक बर्ताव का विरोध करने की अनुमति नहीं थी।
· रंगभेद
प्रणाली अश्वेतों के प्रति दमनकारी थी।
· उन्हें
गोरे लोगों के लिए आरक्षित क्षेत्रों में रहने की मनाही थी।
· वे गोरे
लोगों के लिए आरक्षित क्षेत्रों में तभी काम कर सकते थे जब उनके पास इसका अनुमति
पत्र हो।
प्रश्न 12. दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति के विरुद्ध लोगों के संघर्ष का
विश्लेषण कीजिए।
उत्तरः दक्षिण अफ्रीका में
यूरोपीय लोगों द्वारा अश्वेत लोगों के साथ रंगभेद की नीति अपनायी गयी थी। यूरोप की
दक्षिण अफ्रीका में व्यापार करने वाली कम्पनियों ने 17वीं एवं 18वीं शताब्दी में
बलपूर्वक इस देश पर अधिकार कर लिया और वहाँ की शासक बन गयी। रंगभेद की नीति के
आधार पर दक्षिण अफ्रीकी लोगों को श्वेत और अश्वेत में बाँट दिया गया। दक्षिण
अफ्रीका के मूल निवासी काले रंग के हैं। ये पूरी आबादी का तीन-चौथाई हिस्सा थे और
इन्हें अश्वेत कहा जाता था। इन दो समूहों के अतिरिक्त (श्वेत एवं अश्वेत) मिश्रित
नस्ल वाले लोग भी थे जिन्हें रंगीन चमड़ी वाले कहा जाता था। गोरे (श्वेत)
अल्पसंख्यक लोगों ने सरकार बनाई और रंगभेद की नीति अपनाई।
वे अश्वेतों को हीन समझते
थे। अश्वेतों को वोट का अधिकार नहीं दिया गया था। रंगभेद नीति अश्वेतों के लिए
विशेष रूप से दमनकारी थी। उन्हें गोरों के लिए आरक्षित क्षेत्रों में रहने का
अधिकार नहीं था। वे गोरों के लिए आरक्षित क्षेत्रों में तभी काम कर सकते थे यदि उनके
पास उसका अनुमति-पत्र हो। श्वेत एवं अश्वेत लोगों के लिए रेलगाड़ियों, बसें, टैक्सियाँ, होटल, अस्पताल, स्कूल व
कॉलेज, पुस्तकालय, सिनेमा हाल, थियेटर, समुद्र तट, तरण ताल, जन-शौचालय आदि अलग-अलग थे। यहाँ तक कि गिरजाघरों में भी
उनका प्रवेश वर्जित था जहाँ पर श्वेत लोग पूजा करते थे। अश्वेतों को संगठन बनाने
या इसे भयानक बर्ताव का विरोध करने की अनुमति नहीं थी।
1950 तक अश्वेत, रंगीन
चमड़ी वाले लोग एवं भारतीय मूल के लोग रंगभेद नीति के विरुद्ध लड़ते रहे। उन्होंने
विरोध यात्राएँ निकालीं एवं हड़तालें कीं। अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस नामक दल ने
इस संघर्ष का नेतृत्व किया जिसने जल्दी ही गति पकड़ ली। बढ़ते हुए विरोधों एवं
संघर्षों से सरकार को यह अहसास हो गया कि वे अश्वेतों को और अधिक समय तक दमन करके
अपने शासन के अधीन नहीं रख सकते अतः श्वेतों की हुकूमते अपनी नीतियाँ बदलने के लिए
विवश हो गयीं। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद वाले कानून को समाप्त कर दिया गया।
राजनैतिक दलों एवं संचार माध्यमों पर लगे प्रतिबन्ध हटा लिये गए। अश्वेतों के
मानवाधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले नेता नेल्सन मण्डेला को 28 वर्ष तक जेल में
बंद रखने के बाद मुक्त कर दिया गया। 26 अप्रैल, 1994 की
अर्द्धरात्रि के बाद दक्षिण अफ्रीका गणराज्य में नया लाल ध्वज फहराया गया। इसने
विश्व में एक नए लोकतन्त्र के जन्म को इंगित किया। इस तरह दक्षिण अफ्रीका में
रंग-भेद की नीति अपनाने वाली सरकार का अन्त हो गया, जिससे
वहाँ एक समान मानवाधिकार वाली लोकतांत्रिक सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ।
प्रश्न 13. भारत के संविधान की प्रमुख विशेषताओं को वर्णन कीजिए।
उत्तरः
भारत के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं
(i) लिखित एवं विस्तृत
संविधान- भारत का संविधान एक लिखित एवं विस्तृत संविधान है। इसमें 395 अनुच्छेद और
12 अनुसूचियाँ हैं, जिन्हें 25 भागों में विभक्त किया गया है। अब तक इसमें 100
से अधिक संशोधन हो चुके हैं। भारत के संविधान को विश्व का सबसे विस्तृत संविधान
कहा जाता है क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में 7, चीन के
संविधान में 138, जापान के संविधान में 103 तथा कनाडा के संविधान में 197 अनुच्छेद हैं। इस
संविधान के अनुसार भारत को एक प्रभुसत्ता-सम्पन्न, समाजवादी, धर्म
निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य घोषित किया गया है।
(ii) इकहरी
नागरिकता- अमेरिका जैसी संघात्मक शासन-व्यवस्था में नागरिकों के पास दोहरी
नागरिकता है। एक ओर नागरिक अपने इकाई राज्य का नागरिक है और दूसरी ओर संघ का।
परन्तु भारत में ऐसा नहीं है। भारत का नागरिक संघ या केंद्र दोनों का ही नागरिक
है। कश्मीरी, गुजराती, पंजाबी, मद्रासी सभी भारतीय नागरिक हैं। यह इकहरी नागरिकता भारतीय
संविधान की एकात्मक भावना का प्रमाण है।
(iii)
संयुक्त चुनाव प्रणाली तथा वयस्क मताधिकार- अंग्रेजी शासनकाल में भारत में
सांप्रदायिक चुनाव प्रणाली को लागू किया गया था। हिन्दू मतदाता हिन्दुओं को चुनते
थे, मुसलमान मतदाता मुसलमानों को लेकिन नए संविधान ने यह
सांप्रदायिक चुनाव प्रणाली समाप्त कर दी है। अब किसी भी क्षेत्र में हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई कोई
भी उम्मीदवार खड़ा हो सकता है। सभी सम्प्रदायों के लोग मतदान करते हैं। प्रत्येक
मतदाता उस क्षेत्र में खड़े किसी भी उम्मीदवार को मत दे सकता है। वयस्क मताधिकार का
अर्थ है कि एक निश्चित आयु पर पहुँचने पर हर नागरिक को मत देने का अधिकार दिया
जाता है। भारत में 18 वर्ष की आयु का प्रत्येक नागरिक मत देने का अधिकार रखता है।
(iv) अंशतः
कठोर तथा अंशतः लचीला संविधान- भारतीय संविधान कठोर तथा लचीले संविधान का मिला
जुला रूप है। एक ओर तो उसने राज्यों के नाम बदलने, उनकी
सीमाओं में परिवर्तन करने, नए राज्यों का गठन करने, भारतीय
नागरिकता के नियम निश्चित करने आदि के मामलों में संसद को साधारण बहुमत से ही
संशोधन करने की शक्ति दी है। दूसरी ओर राष्ट्रपति के निर्वाचन के तरीके, केन्द्र
तथा राज्यों के बीच अधिकार क्षेत्र के मामले, सर्वोच्च
न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों की शक्तियों तथा अधिकार क्षेत्र आदि से संबंधित मामले संसद के दो-तिहाई बहुमत से संशोधन होने
पर कम-से-कम आधे राज्यों के विधानमंडलों द्वारा उनका अनुमोदन होना जरूरी है। शेष
मामलों में संसद के 2/3 बहुमत से संशोधन किया जा सकता है। संशोधन की यह प्रक्रिया
ब्रिटेन के संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया की तरह सरल अथवा लचीला न होने पर
भी संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान जितनी कठोर नहीं है।
(v) संसदीय
शासन-प्रणाली- भारतीय संविधान की एक मुख्य विशेषता यह भी है कि यह संसदीय सरकार की
स्थापना करता है। भारत का राष्ट्रपति केवल नाममात्र का राज्य अध्यक्ष है। शासन
उसके नाम पर चलता है, परन्तु शासन का कार्य वास्तव में प्रधानमन्त्री अपने
मंत्रिमण्डल की सहायता से करता है। प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रिमण्डल विधानमण्डल
के प्रति उत्तरदायी होता है। यदि मंत्रिमण्डल विधानमण्डल में बहुमत का समर्थन खो
बैठे तो (प्रधानमंत्री सहित सारे मंत्रिमण्डल को) त्याग-पत्र देना पड़ता है।
(vi)
धर्म-निरपेक्ष राज्य- संविधान के अनुसार भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है। राज्य की
दृष्टि में सब धर्म समान हैं। नागरिकों को अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को मानने
और उसका प्रचार करने का अधिकार है। धर्म के नाम पर किसी भी व्यक्ति को किसी भी
अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा। सरकार अपनी नीति के निर्धारण 303 में किसी
धर्म-विशेष का अनुसरण नहीं करेगी।
धर्म-निरपेक्षता का अर्थ धर्म-विरोध नहीं है। सरकार सभी धर्मों को समान
दृष्टि से देखती है, यही धर्म-निरपेक्षता है। संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक
धार्मिक स्वतन्त्रता प्रदान की गयी है।
प्रश्न 14. उन परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए जिसमें भारत के संविधान का
निर्माण हुआ।
उत्तरः
विभाजन संबंधित हिंसा में सीमा के दोनों ओर लगभग 10 लाख लोग मारे गए थे।
अंग्रेजों ने रियासतों के
शासकों को उनकी इच्छा पर छोड़ दिया था कि वे भारत में विलय चाहते हैं या पाकिस्तान
में अथवा वे स्वतन्त्र रहना चाहते हैं। इन रियासतों का विलय कठिन एवं अनिश्चय भरा
काम था।
भारत जैसे विशाल एवं
विविधता भरे देश के लिए संविधान बनाना कोई आसान काम नहीं था। उस समय भारत देश के
लोग प्रजा की हैसियत से नागरिक की हैसियत पाने जा रहे थे।
देश ने अभी-अभी धार्मिक
विविधताओं के आधार पर विभाजन झेला था। यह भारत एवं पाकिस्तान के लोगों के लिए एक
डरावना अनुभव था।
प्रश्न 15.
“संविधान सभा ने एक व्यवस्थित, खुले एवं सहमतिपूर्ण
तरीके से कार्य किया।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तरः सर्वप्रथम कुछ
मूलभूत सिद्धान्त निर्धारित किए गए और उन पर सहमति कायम हुई। तत्पश्चात् डॉ.
भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता वाली एक प्रारूप कमेटी ने परिचर्चा के लिए संविधान
का मसौदा तैयार किया। संविधान के मसौदे की एक-एक धारा पर गहन चर्चा के कई दौर हुए।
दो हजार से अधिक संशोधनों पर विचार किया
गया।
सदस्यों ने 3 वर्षों के
दौरान 114 दिन विचार-विमर्श किया। सभा में प्रस्तुत किए गए प्रत्येक दस्तावेज और
संविधान सभा में बोले गए प्रत्येक शब्द को रिकार्ड रखा गया और सहेज कर रखा गया।
इन्हें ‘कांस्टीट्युएंट असेम्बली डीबेट्स’ कहा जाता है। मुद्रण के उपरान्त ये 12
विशाल खण्डों में समाहित हैं। इन अभिभाषणों (डीबेट्स) की सहायता से प्रत्येक
प्रावधान के पीछे की सोच और तर्क को समझा जा सकता है। इनका प्रयोग संविधान के अर्थ
की व्याख्या करने के लिए किया जाता है।
उपरोक्त के प्रकाश में हम
कह सकते हैं कि भारत की संविधान सभा ने एक व्यवस्थित, खुले एवं
सहमतिपूर्ण तरीके से कार्य किया।
प्रश्न 16. भारतीय संविधान की प्रस्तावना पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तरः भारतीय संविधान की
शुरुआत प्रस्तावना से होती है जिसमें संविधान के मूल आदर्शों और उद्देश्यों का
वर्णन किया गया है। प्रस्तावना किसी भी संविधान का प्रारम्भिक कथन होता है जिसमें
उसके निर्माण के कारणों का उल्लेख किया जाता है तथा उन उद्देश्यों एवं आकांक्षाओं
का संक्षिप्त वर्णन किया जाता है, जिन्हें
वह प्राप्त करना चाहता है। संविधान की प्रस्तावना एक ऐसा झरोखा होती है जिसमें
संविधान के निर्माताओं की भावनाओं तथा उनकी आशाओं का दृश्य देखा जा सकता है। इसी
कारण से भारतीय संविधान की प्रस्तावना को संविधान निर्माताओं के दिलों की कुंजी
कहा जाता है।
यद्यपि प्रस्तावना संविधान
का भाग नहीं होता, क्योंकि संविधान का आरम्भ उसके बाद होता है, परन्तु
कई देशों में संसद को प्रस्तावना में संशोधन करने का अधिकार प्राप्त होता है।
भारतीय संसद को भी यह अधिकार प्राप्त है। सन् 1976 में भारतीय संसद ने प्रस्तावना
में संशोधन करके इसमें समाजवादी’ तथा ‘धर्म-निरपेक्ष’ शब्द जोड़ दिए थे। इसके
अतिरिक्त जहाँ, ‘राष्ट्र की एकता’ के शब्द का प्रयोग किया गया, वहाँ ‘एकता तथा अखण्डता’ का भी प्रयोग किया गया। संविधान की
प्रस्तावना इसलिए महत्त्वपूर्ण होती है क्योंकि इसमें उन उद्देश्यों-आकांक्षाओं
एवं आदर्शों का वर्णन किया जाती है जिन्हें वह प्राप्त करना चाहती है। इसमें
संविधान के स्रोतों को उल्लेख किया गया होता है तथा उस तिथि का भी उल्लेख किया
जाता है जब संविधान को स्वीकार और अधिनियमित किया जाता है।
प्रश्न 17. ‘भारत एक प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतंत्रीय गणराज्य है।” व्याख्या करो।
उत्तरः भारत के संविधान की
प्रस्तावना में भारत को एक प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतंत्रीय
गणराज्य घोषित किया गया है।
(i) सम्पूर्ण
प्रभुसत्ता सम्पन्न- सम्पूर्ण-प्रभुसत्ता सम्पन्न का आशय यह है कि भारत एक
स्वतन्त्र देश है और इस पर आन्तरिक एवं बाह्य दृष्टि से किसी विदेशी शक्ति का
अधिकार नहीं है। भारत का संयुक्त-राष्ट्र संघ तथा राष्ट्रमण्डल का सदस्य होना इसकी
प्रभुसत्ता पर कोई प्रभाव नहीं डालता।
इस बात को स्पष्ट करते हुए
पं. जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, “भारत एक क्षण के लिए भी राष्ट्रमण्डल में रहने के लिए बाध्य
नहीं है। हम अपनी इच्छा से राष्ट्रमण्डल के सदस्य बने हैं और अपनी इच्छानुसार उसे
छोड़ सकते हैं। कोई भी ताकत हमें अपनी इच्छा के विरुद्ध उसका सदस्य बने रहने के लिए
बाध्य नहीं कर सकती।
(ii)
समाजवादी- समाजवादी शब्द प्रस्तावना में 42वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया है। इसका
अर्थ है कि भारत में द्य शासन-व्यवस्था इस प्रकार चलाई जाए कि सभी वर्गों की विशेष
रूप से पिछड़े वर्गों को अपने विकास के लिए उचित वातावरण तथा परिस्थितियाँ मिलें, आर्थिक
असमानता कम हो और देश के विकास का फल थोड़े-से लोगों के हाथों में न होकर समाज के
सभी लोगों को मिले।
(iii)
धर्म-निरपेक्ष- धर्म-निरपेक्ष शब्द भी प्रस्तावना में सन् 1976 में 42वें संशोधन
द्वारा जोड़ा गया है। इसका अर्थ है कि देश के सभी नागरिकों को अपनी इच्छानुसार किसी
भी धर्म को अपनाने तथा उसका प्रचार करने की स्वतन्त्रता है।
राज्य-धर्म के आधार पर
नागरिकों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं कर सकता और राज्य किसी विशेष धर्म की
किसी विशेष रूप से सहायता नहीं कर सकता। धर्म के आधार पर किसी भी सरकारी शिक्षा
संस्था में किसी को दाखिला लेने से इंकार नहीं किया जा सकता।
(iv)
लोकतंत्रीय- लोकतंत्रीय शब्द का अर्थ यह है कि शासन-शक्ति किसी एक व्यक्ति या वर्ग
विशेष के हाथों में न होकर समस्त जनता के हाथों में है। शासन चलाने के लिए जनता
अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है जो अपने कार्यों के लिए जनता के प्रति
उत्तरदायी है।
देश के प्रत्येक नागरिक को, चाहे वह किसी धर्म, जाति
अथवा स्थान से सम्बन्ध रखता हो, सभी राजनीतिक अधिकार समान रूप से प्रदान किए हैं।
गणराज्य- गणराज्य का अर्थ
यह है कि भारत में राज्य के अध्यक्ष का पद वंशक्रमानुगत नहीं है, बल्कि
राज्य का अध्यक्ष-राष्ट्रपति एक निश्चित काल के लिए जनता के प्रतिनिधियों द्वारा
निर्वाचित किया जाता है। इंग्लैण्ड तथा जापान लोकतंत्रीय राज्य होते हुए भी
गणराज्य नहीं है, क्योंकि इन देशों में राजा को पद पैतृक आधार पर चलता है और
वह जनता अथवा उनके प्रतिनिधियों द्वारा निश्चित काल के लिए निर्वाचित नहीं किया
जाता।
प्रश्न 18. भारत के संविधान के प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तरः
भारत के संविधान की प्रस्तावना से यह बात स्पष्ट होती है कि संविधान द्वारा निम्न
उद्देश्यों की पूर्ति होती है
राष्ट्र की एकता व
अखण्डता- भारतीय संविधान के निर्माता अंग्रेजों की ‘फूट डालो व शासन करो’ की नीति
से अच्छी प्रकार परिचित थे। इसीलिए उनके मन और मस्तिष्क में राष्ट्र की एकता का
विचार बहुत प्रबल था। इसी कारण से संविधान की प्रस्तावना में राष्ट्र की एकता को
बनाए रखने की घोषणा की गई है। इस उद्देश्य
की प्राप्ति के लिए ही भारत को एक धर्म-निरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है तथा
इकहरी नागरिकता के सिद्धान्त को अपनाया गया है। समस्त देश का एक ही संविधान है और
प्रमुख 22 भाषाओं को संविधान द्वारा मान्यता प्रदान की गई है। संविधान के 42वें
संशोधन द्वारा राष्ट्र की ‘एकता’ के साथ ‘अखण्डता’ शब्द को जोड़ दिया गया है।
स्वतन्त्रता- भारतीय
संविधान का उद्देश्य नागरिकों को केवल न्याय दिलाना ही नहीं, बल्कि
उनकी स्वतंत्रता को भी सुनिश्चित करना है, जो
व्यक्ति के जीवन के विकास के लिए आवश्यक मानी जाती है। संविधान की प्रस्तावना में
नागरिकों को विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास तथा उपासना की स्वतन्त्रता का अश्वासन दिया गया है।
इसकी पूर्ति संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के द्वारा की गई है।
समानता- प्रस्तावना में
सामाजिक स्तर तथा अवसर की समानता का उल्लेख किया गया है। स्तर की समानता का अर्थ
यह है कि कानून की दृष्टि में देश के सभी नागरिक समान हैं तथा सभी को कानून की
समान सुरक्षा प्राप्त है। समाज में किसी को कोई विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है और धर्म, रंग, लिंग आदि
के आधार पर नागरिकों में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता। इन बातों का स्पष्टीकरण
संविधान की धाराओं 14 से 18 के द्वारा किया गया है। धारा 14 के अन्तर्गत सभी
नागरिकों को कानून के सामने समानता तथा सुरक्षा प्रदान की गई है। धारा 15 में यह
कहा गया है कि राज्य किसी नागरिक के साथ धर्म, रंग, जाति तथा
लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा। धारा 16 के द्वारा सभी नागरिकों को अवसर
की समानता प्रदान की गई है। धारा 17 के द्वारा छुआछूत को समाप्त कर दिया गया है
तथा धारा 18 के द्वारा शिक्षा तथा सेना की उपाधियों को छोड़ अन्य सभी उपाधियों को
समाप्त कर दिया गया है।
बंधुता- संविधान की
प्रस्तावना में बंधुता की भावना को विकसित करने पर भी बल दिया गया है। भारत जैसे
देश के लिए जिसमें दासता के लम्बे काल के कारण धर्म, जाति व
भाषा आदि के आधार पर भेदभाव उत्पन्न हो गए थे, बंधुता
की भावना के विकास का विशेष महत्त्व है। इसी उद्देश्य से साम्प्रदायिक चुनाव
प्रणाली तथा छुआछूत को समाप्त कर दिया गया है।
इसके साथ ही प्रस्तावना
में व्यक्ति की गरिमा शब्दों को रखा जाना इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति का
व्यक्तित्व बहुत पवित्र है। इसी धारणा से देश के सभी नागरिकों को समान मौलिक
अधिकार दिए गए हैं।
सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक
न्याय- संविधान का उद्देश्य यह है कि देश के सभी नागरिकों को जीवन के प्रत्येक
क्षेत्र,सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक क्षेत्रों में न्याय मिले। इस बहुमुखी
न्याय से ही नागरिक अपने जीवन का पूर्ण विकास कर सकता है।
सामाजिक न्याय का अर्थ है
कि किसी व्यक्ति के साथ धर्म, जाति, जन्म-स्थान, रंग तथा लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए देश के सभी नागरिकों के लिए संविधान के द्वारा
समानता का अधिकार सुरक्षित किया गया है। देश के सभी नागरिक कानून के सामने समान
हैं। सार्वजनिक स्थानों पर जाने के लिए नागरिकों में रंग, जाति तथा
धर्म आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। सरकारी नौकरी पाने के क्षेत्र में
सबको समानता के आधार पर स्थापित करने का प्रयत्न किया गया है।
आर्थिक न्याय का अर्थ है
कि सभी व्यक्तियों को अपनी आजीविका कमाने के समान तथा उचित अवसर प्राप्त हों तथा
उन्हें अपने कार्य के लिए उचित वेतन मिले। आर्थिक न्याय के लिए यह आवश्यक है कि
उत्पादन तथा वितरण के साधन थोड़ेसे व्यक्तियों के हाथों में न होकर समाज के हाथों
में हो और उनका प्रयोग समस्त समाज के
हितों को ध्यान में रखकर किया जाए। आर्थिक न्याय के इस लक्ष्य की प्राप्ति
समाजवादी ढाँचे के समाज की स्थापना के आधार पर ही की जा सकती है।
राजनीतिक न्याय का अर्थ है
कि राज्य के सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के सभी राजनीतिक अधिकार प्राप्त
हों। भारत में वयस्क मताधिकार प्रणाली को अपनाकर इस व्यवस्था को लागू किया गया है।
धर्म, जाति, रंग तथा लिंग आदि के आधार पर नागरिकों को राजनीतिक अधिकार
देने में कोई भेदभाव नहीं किया गया है और साम्प्रदायिक चुनाव-प्रणाली का अन्त कर
दिया गया है।
प्रश्न 19. भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है । कैसे ?
उत्तरः
भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है। भारतीय संविधान के अनुसार यहाँ किसी भी धर्म, पंथ, या जाति को
1. कोई
कोई विशेष अधिकार प्राप्त नहीं है।
2. पूर्ण
धार्मिक स्वतंत्रता और समानता प्रदान की गई है।
3. कोई
व्यक्ति अपनी इच्छानुसार किसी भी समय पंथ बदलकर दुसरे पंथ में जा सकता है।
4. कोई भी पंथ अपना धर्म
स्थल, पूजा स्थल स्वतंत्र रूप से बना सकता है और उसे किसी भी तरह
उपासना करने की स्वतंत्रता है।
5.सरकारी
नौकरियाँ योग्यता के अनुसार दी जाती है उसमें धर्म या पंथ का कोई भेदभाव नहीं है ।
प्रश्न 20. भारतीय संविधान की प्रस्तावना में कौन से चार मुख्य आदर्श दिए गए
हैं?
उत्तरः जिस प्रकार हर
पुस्तक से पहले भूमिका लिखी होती है। उसी प्रकार हर संविधान में शुरू होने से पहले
प्रस्तावना होता है । इससे पता चलता है कि संविधान के निर्माता क्या चाहते हैं या
उनके द्वारा बनाये गए इस संविधान का क्या उदेश्य है।
भारतीय संविधान के आरभ्भ
में दी गयी प्रस्तावना में राज्य के उदेश्यों और आदर्शों पर प्रकाश डाला गया है ।
इसके चार प्रमुख आदर्श इस प्रकार है
1. भारत
को एक सार्वभौमिक या प्रभुत्व संपन्न समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष
लोकतांत्रिक गणराज्य बनाना ।
2. यहाँ
समाजिक, आर्थिक एवं राजनितिक न्याय स्थापित करना
3. विचार
अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रदान करना ।
4.
प्रतिष्ठा और अवसर की क्षमता प्रदान करना।
प्रश्नः हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है ?
अथवा
प्रश्नः
संविधान के द्वारा ही किसी लोकतांत्रिक देश की सरकार का निर्माण होता है । कोई तीन
विन्दु देकर स्पष्ट कीजिए कि हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तरः
(1) सरकार के विभिन्न
अंगों में संविधान के कारण मतभेद नहीं होते हैं । यदि मतभेद होते भी है तो उसे
संविधान के अनुसार सुलझा लिया जाता है।
(2)
सरकार अपनी शक्तियों का दुरूपयोग नहीं कर सकती है।
(3)
नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा संविधान के द्वारा ही होता है।
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क्रियाकलाप
क्रियाकलाप 1.
(i) नेल्सन मंडेला के जीवन और संघर्ष पर एक
पोस्टर बनाएं।
(ii) यदि उपलब्ध हो, तो कक्षा में उनकी आत्मकथा, द लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम के कुछ अंश पढ़ें।
उत्तर :-
(i) नेल्सन मंडेला
1.
नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को हुआ था।
2. वह एक उग्रवादी रंगभेद
विरोधी कार्यकर्ता और अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (एएनसी) की सशस्त्र शाखा
’उमखोंटो वी सिज़वे’ के सह-संस्थापक हैं।
3. 1962
में, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 28 साल जेल की सजा काटनी
पड़ी।
4. उन्होंने 11 फरवरी 1990
को रिहा किया और देश के पहले बहु-नस्लीय चुनावों के कारण बहुदलीय वार्ता में
पार्टी का नेतृत्व किया।
5. 10 मई, 1994 को
वे दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने। वह 1999 में सेवानिवृत्त हुए और
दूसरे कार्यकाल के लिए खड़े नहीं होने का फैसला किया।
6.
दक्षिण अफ्रीका में, मंडेला को अक्सर मदीबा के नाम से जाना जाता है।
7.
उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार (1993) सहित 250 से अधिक पुरस्कार मिले हैं।
आज़ादी की
लंबी यात्रा
1. में
नेल्सन मंडेला द्वारा लिखित एक आत्मकथात्मक कृति है। यह 1995 में प्रकाशित हुआ था।
2. यह
पुस्तक उनके प्रारंभिक जीवन की उम्र,
शिक्षा और 28 साल की जेल की रूपरेखा बताती है।
3. उन्होंने दक्षिण
अफ्रीका में रंगभेद के राजनीतिक और सामाजिक पहलुओं और उनके विश्वास का वर्णन किया
कि दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ संघर्ष जारी है।
क्रियाकलाप 2.
यह तस्वीर आज के दक्षिण अफ्रीका की सोच को उजागर करती है। आज का दक्षिण अफ्रीका
खुद को इन्द्रधनुषी देश कहता है।क्या आप बता सकते हैं क्यों?
हल :- इंद्रधनुषी राष्ट्र, अफ्रीका
महाद्वीप के देश दक्षिण अफ्रीका को कहा जाता है। यहां 1994 के लोकतांत्रिक चुनाव
के बाद पहले से प्रचलित रंगभेद नीति की समाप्ति के बाद आर्कबिशप डेसमंड टूटू ने यह
वाक्यांश दक्षिण अफ्रीका के लिए प्रयोग किया था। इसके बाद इस वाक्यांश को
राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने अपनी घोषणा “हम में से प्रत्येक इस खूबसूरत देश की
मिट्टी से उतना ही जुड़ा हुआ है जितना कि प्रिटोरिया के प्रसिद्ध जेरकंडा पेड़ और
बुशवेल के मीमोसा पेड़ हैं। स्वयं और दुनिया में शांति के साथ एक इंद्रधनुषी
राष्ट्र” में भी किया।
पूर्व में एक रंगभेदी
सरकार के तहत नस्लीय अलगाव के एक दर्दनाक अतीत से जन्मा देश, दक्षिण
अफ्रीका, विविध संस्कृतियों और जीवंत लोगों का एक इंद्रधनुष देश है, जिसकी
आधिकारिक 11 राजभाषाएं हैं। इसने रंगभेद की एक घ्रणित प्रणाली से लोकतांत्रिक
व्यवस्था में सफलतापूर्वक अंतरण किया। 1994 में ऐतिहासिक चुनावों के बाद, महात्मा
गाँधी की दिखाई राह पर चलते हुए नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले लोकतांत्रिक
रूप से चुने गए और पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने।
और अंततः 1994 से दक्षिण
अफ्रीका ने राष्ट्र निर्माण के नाम पर एक नई विचारधारा की शुरुआत कीः
इंद्रधनुषवाद। इसने नस्ल के अंतर पर ध्यान देने के बजाय समानता पर जोर दिया। इस
दृष्टिकोण से एक ऐसी पीढ़ी, जो मानते हैं कि नस्ल, लिंग और
वर्ग में अन्तर से कोई फर्क नहीं पड़ता,
केवल एक “मानव जाति“ मौजूद है, सभी लोग
अंदर से एक जैसे हैं और सम्मिलित कठोर मेहनत से ही सफल होंगे।
आधुनिक इंद्रधनुषी राष्ट्र
शब्द एक समय में सफेद और काले रंग के सख्त विभाजन के साथ पहचाने जाने वाले देश में
बहु-सांस्कृतिकता की एकता वाले लोगों के एक साथ आने का ध्योतक है। इन्द्रधनुषी
राष्ट्र दक्षिण अफ्रीकी, एकता के लिए एक रूपक के रूप में इसके राष्ट्रीय ध्वज का
प्रतिनिधित्व करता है, जो छह अलग-अलग रंगों का मेल है।
क्रियाकलाप 3.
क्या दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्रता संग्राम से आपको भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन की
याद आई? इन बिन्दुओं के आधार पर दोनों संघर्षों में
समानताएं और असमानताएं बताएं
·
विभिन्न समुदायों के बीच संबंध।
·
नेतृत्वः गाँधी/मंडेला
·
संघर्ष का नेतृत्व करने वाली पार्टीः अफ्रीकी नेषनल कांग्रेस/भारतीय राष्ट्रीय
कांग्रेस
·
संघर्ष का तरीका
·
उपनिवेशवाद का चरित्र
उत्तर :-
हां, दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी मुझे भारतीय
राष्ट्रीय आंदोलन की याद दिलाती है।
विभिन्न
समुदायों के बीच संबंध
समानताएं |
असमानताएं |
गोरे शासकों ने दोनों देशों में सभी गैर-गोरों को हीन
माना। गोरे लोग भारतीयों और
अफ्रीकियों को असभ्य लोगों से हीन समझते थे। |
भारत में विभिन्न धर्मों और क्षेत्रीय समुदायों के बीच
संबंध सौहार्दपूर्ण थे। वे सभी अपने को भारतीय मानते थे। लेकिन दक्षिण अफ्रीका
में, गोरे, काले, रंगीन लोगों और भारतीयों जैसे विभिन्न समुदायों के बीच
सौहार्दपूर्ण संबंध और एक-दूसरे के प्रति सम्मान नहीं था। |
नेतृत्वः
गाँधी/मंडेला
समानताएं |
असमानताएं |
दोनों सत्य और अहिंसा के
दूत थे। |
नेल्सन मंडेला को आजीवन
कारावास की सजा सुनाई गई थी, हालांकि गांधी जी को कई बार सलाखों के पीछे भी डाला गया
था, लेकिन उन्हें आजीवन कारावास की सजा नहीं दी गई थी। |
संघर्ष
का नेतृत्व करने वाली पार्टीः अफ्रीकी नेषनल कांग्रेस/भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
समानताएं |
असमानताएं |
दोनों अफ्रीकी राष्ट्रीय
कांग्रेस (एएनसी) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस संगठन (INC) राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे हैं। |
दोनों पार्टियों का मकसद अलग था. एएनसी रंगभेद और नस्लीय
अफ्रीकी सरकार की अलगाव नीतियों के खिलाफ लड़ रही थी, जहां
आईएनसी भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ रही थी। |
संघर्ष
का तरीका
समानताएं |
असमानताएं |
दक्षिण अफ्रीका का
संघर्ष और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन दोनों में समान नीति का पालन किया, अर्थात अहिंसा की नीति। |
लेकिन, दक्षिण अफ्रीका में, नरमपंथियों का केवल एक
ही समूह था, जिन्होंने सरकार के
खिलाफ शांतिपूर्ण साधन अपनाया जबकि भारत में नरमपंथियों के अलावा उग्रवादी भी थे, जो अपने लक्ष्य की
स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए हिंसक तरीकों का इस्तेमाल करते थे। |
उपनिवेशवाद
का चरित्र।
समानताएं |
असमानताएं |
17 वीं और 18 वीं
शताब्दी के दौरान यूरोप की व्यापारिक कंपनियों ने दक्षिण अफ्रीका पर उसी तरह
जबरन कब्जा कर लिया, जिस तरह उन्होंने भारत पर कब्जा कर लिया था। |
भारत के विपरीत, बड़ी संख्या में गोरे
दक्षिण अफ्रीका में बस गए और स्थानीय शासक बन गए। |
क्रियाकलाप 4. दक्षिण अफ्रीका में ऐसा क्या होता कि अश्वेत
बहुसंख्यकों ने गोरों से उनके सभी उत्पीड़न और शोषण का बदला लेने का फैसला किया
होता?
उत्तर :- यदि अश्वेतों ने
गोरों को उनके सभी उत्पीड़न और शोषण के लिए माफ नहीं किया होता और उनसे बदला लेने
का फैसला किया होता, तो हर जगह रक्तपात होता। यह देश के विभाजन का कारण बन सकता
था और हमने एक संयुक्त और शांतिपूर्ण दक्षिण अफ्रीका को नहीं देखा होगा जो अभी
मौजूद है। सौभाग्य से, अश्वेत समुदाय ने अपने स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा की
नीति का पालन किया।
क्रियाकलाप
5. यह उचित नहीं है! भारत में एक संविधान सभा होने का क्या मतलब था यदि सभी मूल
बातें पहले ही तय कर ली गई थीं?
उत्तर :- हम यह नहीं कह
सकते कि यदि मूल बातें पहले ही तय कर ली गई होतीं तो संविधान पर चर्चा करने और उसे
तैयार करने के लिए एक संविधान सभा होने का कोई मतलब नहीं था। मूल बातें स्वतंत्रता
के अधिकार, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, अल्पसंख्यकों
के अधिकारों से संबंधित थीं जो किसी भी लोकतांत्रिक समाज का आधार हैं।
ये मूल बातें मार्गदर्शक
सिद्धांत थे जिन्हें कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए और विकसित और विस्तारित
किया गया था। एक लोकतंत्र में, यह संविधान सभा है जो बुनियादी बातों की मदद से संविधान
बनाती है। इसलिए, भारत में संविधान सभा की स्थापना हुई, भले ही
सभी मूल बातें पहले ही तय कर ली गई हों।
क्रियाकलाप
6. साइड कॉलम में दी गई भारतीय संविधान के निर्माताओं के बारे में जानकारी यहाँ
पढ़ें। आपको यह जानकारी याद रखने की आवश्यकता नहीं है। निम्नलिखित कथनों का समर्थन
करने के लिए इनमें से केवल उदाहरण दें
1. संविधानसभा में कई सदस्य थे जो कांग्रेस के साथ नहीं थे।
2. सभा ने विभिन्न सामाजिक समूहों के सदस्यों का प्रतिनिधित्व किया।
3. संविधानसभा के सदस्य विभिन्न विचारधाराओं में विश्वास करते थे।
उत्तर :-
1. जयपाल
सिंह (1903-70)। भीमराव रामजी अम्बेडकर (1891-1956), श्यामा
प्रसाद मुखर्जी (1901-53)।
2.
वल्लभभाई झावेरभाई पटेल - किसान सत्याग्रह के नेता।
अबुल
कलाम आज़ाद - धर्मशास्त्री, अरबी के विद्वान।
जयपाल
सिंह - आदिवासी महासभा के अध्यक्ष।
भीमराव रामजी अम्बेडकर
सामाजिक क्रांतिकारी विचारक और जाति विभाजन और जाति आधारित असमानताओं के खिलाफ
आंदोलनकारी।
श्यामा
प्रसाद मुखर्जी हिंदू महासभा में सक्रिय।
3. राजेंद्र प्रसाद
(1884-1963), एमसी मुखर्जी (1887-1956), जवाहरलाल
नेहरू (1889-1964), सरोजिनी नायडू (1879-1949), सोमनाथ
लाहिड़ी (1901-1984), बलदेव सिंह (1901-1961)।
क्रियाकलाप 7. गाँधी जी, डॉ0 अम्बेडकर और नेहरू
जी के उद्धरणों को गौर से पढ़ें.
(i) क्या आप एक ऐसे विचार की पहचान कर सकते हैं
जो इन तीनों उद्धरणों में समान है?
उत्तर :-
एक विचार जो इन तीनों उद्धरणों में समान है, वह है
भारतीय समाज में असमानता का अंत।
(ii) उस सामान्य विचार को व्यक्त करने के उनके
तरीकों में क्या अंतर हैं?
उत्तर :- पहले उद्धरण में, गांधीजी
ने एक ऐसे भारत के लिए प्रयास किया जिसमें लोगों का कोई उच्च या निम्न वर्ग न हो
और सभी समुदायों को पूर्ण सद्भाव में रहना चाहिए।
दूसरे उद्धरण में, बीआर
अंबेडकर ने कहा, “हम अंतर्विरोधों के जीवन में प्रवेश करने जा रहे हैं।
राजनीति में, हमारे पास समानता होगी लेकिन सामाजिक और आर्थिक जीवन में
हमारे पास असमानता होगी।“
तीसरे उद्धरण में, जवाहरलाल
नेहरू ने असमानता को समाप्त करने के बारे में कहा, भारत की
सेवा का अर्थ है गरीबी, अज्ञानता, बीमारी और अवसर की असमानता का अंत।
क्रियाकलाप 8. प्रस्तावना की तुलना
संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत और दक्षिण अफ्रीका
के संविधानों से करें।
(i) उन विचारों की सूची बनाइए जो इन तीनों में
समान हों।
उत्तर :- (क) इनमें से
प्रत्येक प्रस्तावना “हम, लोग“ से शुरू होती है। इसका मतलब है कि इन देशों पर शासन
करने के सभी अधिकार का स्रोत इन देशों के लोग हैं।
(ख) इन
तीनों में न्याय का विचार सन्निहित है,
(ii) उनमें से कम से कम एक प्रमुख अंतर को नोट
करें।
उत्तर :- संयुक्त राज्य
अमेरिका के संविधान की प्रस्तावना में,
संघ के गठन के लिए एक बयान है, जो
भारतीय और दक्षिण अफ्रीकी संविधान की प्रस्तावना में नहीं है।
(iii) तीनों में से कौन अतीत का संदर्भ देता है?
उत्तर :-
दक्षिण अफ्रीका के संविधान की प्रस्तावना अतीत का संदर्भ देती है।
(iv) इनमें से कौन ईश्वर का आह्वान नहीं करता है?
उत्तर :- संयुक्त राज्य
अमेरिका और भारत के संविधान की प्रस्तावना ईश्वर का आह्वान नहीं करती है। दोनों
प्रस्तावना का सुझाव है कि नागरिकों को किसी भी धर्म का पालन करने की पूर्ण
स्वतंत्रता है। कोई आधिकारिक धर्म नहीं है।
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