संसाधन के रूप में लोग


संसाधन के रूप में लोग

अध्याय अंतर्गत महत्वपूर्ण विषय वस्तु –

·    लोग का संसाधन के रूप में प्रयोग

·    पुरुषों और महिलाओं के आर्थिक क्रियाकलाप

·    आर्थिक क्रियाएँ

·    जनसंख्या की गुणवत्ता

·    शिक्षा

·    स्वास्थ्य

·    साक्षरता दर

·    बेरोजगारी

    अध्याय सारांश -

         · जनसँख्या को, अर्थव्यवस्था पर दायित्व से अधिक परिसंपत्ति के रूप में, व्याख्या करने का प्रयास।

        परिचय –

· अन्य संसाधनों की भांति जनसँख्या भी एक संसाधन है। इसे मानव संसाधन कहते हैं ।

मानव पूँजी –

· भौतिक पूँजी पर लगने वाले श्रम को मानव पूँजी कहते हैं।

· मानव पूँजी में निवेश शिक्षा, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सेवा के द्वारा किया जाता है ।

· इस निवेश से मानव पूँजी का निर्माण होता है।

· मानव पूँजी भी भौतिक की तरह प्रतिफल प्रदान करती है।

जनसंख्या का महत्व-

· अनेक दशकों से भारत में जनसँख्या को परिसंपत्ति की अपेक्षा दायित्व माना जाता रहा है।

· जापान जैसे देशों ने मानव संसाधन पर निवेश किया है ।

आर्थिक क्रियाकलाप –

· अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्रियाकलापों को तीन भागों में विभाजित किया गया है।

· (1) प्राथमिक क्षेत्रक (2) द्वितीयक क्षेत्रक (3) तृतीयक क्षेत्रक

· प्राथमिक क्षेत्रक (सीधे भूमि और प्रकृति से जुडी क्रियाएं) – कृषि, वानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन, मुर्गीपालन, और खनन एवं उत्खनन। इस क्षेत्र में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है।

· द्वितीयक क्षेत्रक (उद्योग) – विनिर्माण। इस क्षेत्र में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है।

· तृतीयक क्षेत्रक (सेवा )– व्यापार, परिवहन, संचार, बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, स्वास्थ्य सेवाएँ इत्यादि। इस क्षेत्र में सेवाओं का उत्पादन होता है।

आर्थिक क्रियाएं –

· जो क्रियाकलाप राष्ट्रीय आय में मूल्य-वर्धन करते हैं , आर्थिक क्रियाकलाप कहलाते हैं ।

· आर्थिक क्रियाओं के दो भाग होते हैं – 1. बाज़ार क्रियाएं 2. गैर-बाज़ार क्रियाएं ।

· बाज़ार क्रियाएं – वेतन या लाभ के उद्देश्य से की गई क्रियाओं के पारिश्रमिक का भुगतान किया जाता है । इनमें सरकारी सेवा सहित वस्तु या सेवाओं का उत्पादन शामिल होता है ।

· गैर-बाज़ार क्रियाएं – इसके अंतर्गत प्राथमिक उत्पादों का उपभोग और प्रसंस्करण तथा अचल संपत्तियों का स्वलेखा उत्पादन आता है

श्रम का विभाजन –

· श्रम के विभाजन का लैंगिक आधार ।

· महिलाओं की गतिविधियाँ – आमतौर पर घर के काम काज जैसे – खाना बनाना, कपडे धोना, बच्चों की देखभाल, सहित घर की चहारदीवारी के भीतर के काम ।

· पुरुषों की गतिविधियाँ – घर से बहार के कार्य जिनसे आमदनी होती है।

जनसंख्या की गुणवत्ता –

· जनसँख्या की गुणवत्ता निर्धारित करने वाले कारक – 1. साक्षरता 2. स्वास्थ्य

· शिक्षा – साक्षरता प्रत्येक नागरिक का न केवल अधिकार है अपितु नागरिकों द्वारा कर्तव्यों और अधिकारों के पालन करने का माध्यम भी है ।

· भारत में साक्षरता दर – 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल साक्षरता 74.04 प्रतिशत है ।जिसमें पुरुषों की साक्षरता 82.14 तथा महिलाओं की 65.46 प्रतिशत है ।

· स्वास्थ्य – स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी जीवन प्रत्याशा , जन्म दर तथा मृत्यु दर से ज्ञात होती है ।

· जन्म दर – एक विशेष अवधि में प्रति एक हजार व्यक्तियों के पीछे जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या ।

· मृत्यु दर -  एक विशेष अवधि में प्रति एक हजार व्यक्तियों के पीछे मरने वाले लोगों की संख्या ।

· शिशु मृत्यु दर – एक विशेष अवधि में प्रति हजार शिशुओं पर एक वर्ष से कम आयु में मरने वाले शिशुओं की संख्या ।

· बेरोजगारी – वह स्थिति जब प्रचलित दर पर काम करने वाले लोगों को काम नहीं मिलता हो ।

· बेरोजगारी के प्रकार – 1. मौसमी बेरोजगारी 2. प्रछन्न बेरोजगारी 3. शिक्षित बेरोजगारी

· मौसमी बेरोजगारी – जब लोग वर्ष के कुछ महीनों में रोज़गार प्राप्त नहीं कर पाते, उस स्थिति को मौसमी बेरोजगारी कहते हैं ।

· प्रछन्न बेरोज़गारी – जब लोग किसी कार्य में नियोजित तो दिखाई देते हैं किन्तु उससे उत्पादकता में कोई अंतर नहीं अत ऐसी स्थिति को प्रछन्न बेरोजगारी कहते हैं ।

· शिक्षित बेरोजगारी – जब मेट्रिक, स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्रीधारी अनेक युवक रोजगार पाने में असमर्थ हों तो इस स्थिति को शिक्षित बेरोजगारी कहते हैं । शहरी क्षेत्रों में यह एक सामान्य परिघटना बन गई है ।

बेरोजगारी के दुष्प्रभाव –

· जनशक्ति की बर्बादी ।

· आर्थिक बोझ में वृद्धि

· समग्र विकास पर अहितकर प्रभाव ।

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अध्याय के अंत में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर –

1.  “संसाधन के रूप में लोग” से आप क्या समझते हैं?

उत्तर - “संसाधन के रूप में लोग’ वे वस्तुएं या पदार्थ जो मानव कि आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं उन्हें संसाधन कहते  हैं। किन्तु जब मानव स्वयं ही अपनी क्षमता और कौशल से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने लगे वह स्वय ही एक संसाधन हो जाता है ।  अतः “संसाधन के रूप में लोग” वर्तमान उत्पादन कौशल और क्षमताओं के संदर्भ में किसी देश के कार्यरत लोगों का वर्णन करने का एक तरीका है। दूसरे संसाधनों की भाँति ही जनसंख्या भी एक संसाधन है-’एक मानव संसाधन’। जो भौतिक पूँजी निर्माण की ही भाँति देश की उत्पादक शक्ति में वृद्धि करता है। मानव संसाधन के निर्माण में शिक्षा और स्वास्थ्य की भूमिका महत्वपूर्ण होती है । इनके आभाव में फिर लोग संसाधन न होकर जिम्मेदारी हो जाते हैं ।

2. मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कैसे भिन्न है?

उत्तर - मानव संसाधन बाकी सभी पूंजी जैसे भूमि और भौतिक पूंजी से अनेक प्रकार से भिन्न है

    (i) मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूंजी का उपयोग कर सकता है।वे अपने आप उपयोगी नहीं हो सकती। मानव संसाधन शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण के द्वारा अनेक संसाधनों का निर्माण करता है।

    (ii) भूमि और भौतिक संसाधनों से भिन्न मानव संसाधन का आर्थिक विकास में दोहरा महत्व है। लोग विकास के साधन और साध्य दोनों होते हैं ।

   (iii) मानव संसाधन भूमि और भौतिक संसाधनों से भी श्रेष्ठ होते हैं क्योंकि शिक्षित और स्वस्थ मानव संसाधन लाभ उन लोगों को भी होता है जो अपेक्षाकृत कम शिक्षित और कम स्वस्थ होते हैं ।

3. मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका है?

उत्तर - शिक्षा मानव संसाधन विकास का एक महत्वपूर्ण घटक है । जो कर्मचारियों को नए कौशल और ज्ञान प्राप्त करने, उनके करियर को आगे बढ़ाने, उत्पादकता बढ़ाने, नवाचार को बढ़ावा देने, परिवर्तन का प्रबंधन करने, कर्मचारी जुड़ाव में सुधार करने और संगठनात्मक विकास को आगे बढ़ाने में मदद करती है। इससे राष्ट्र की समृद्धि और सामाजिक प्रगति होती है । शिक्षा से व्यक्तिगत विकास भी होता है ।

·       शिक्षा अच्छी नौकरी व अच्छे वेतन के रूप में फल देती है।

·       शिक्षा आर्थिक व सामाजिक विकास का एक मुख्य तत्व है।

·       शिक्षा श्रमिकों की कार्यकुशलता को बढ़ाती है।

·       शिक्षा विज्ञान की तकनीकी के विकास में सहायक सिद्ध होती है।

·       शिक्षा सभी व्यक्तियों की मानसिक क्षमता को बढ़ाती है।

·       शिक्षा राष्ट्रीय आय को बढ़ाती है, सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ाती है तथा प्रशासन की कार्य-क्षमता को बढ़ाती है।

·       शिक्षा व्यक्तियों की आर्थिक विकास की प्रक्रियाओं में सक्रिय भागीदारी द्वारा आर्थिक विकास की दर को बढ़ाती है।

4. मानव पूँजी निर्माण में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है?

उत्तर – मानव पूंजी निर्माण में स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अच्छा स्वास्थ्य श्रमिकों की निपुणता को बढ़ाता है। किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य उसे अपनी क्षमता को प्राप्त कटने और बीमारियों से लड़ने को शक्ति प्रदान कटता है। स्वास्थ्य किसी व्यक्ति के कल्याण को मापने का अपरिहार्य आधार है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ्य मस्तिष्क का वास होता है। अच्छा स्वास्थ्य श्रमिकों की कुशलता को बढ़ाता है। किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य उसे अपनी क्षमता को प्राप्त करने और बीमारियों से लड़ने को शक्ति प्रदान करता है। स्वास्थ्य किसी व्यक्ति के कल्याण को मापने का अपरिहार्य आधार है। मानव पूंजी निर्माण में स्वास्थ्य की अहम भूमिका है। स्वस्थ व्यक्ति ज़्यादा उत्पादक होते हैं और अपने काम को बेहतर ढंग से कर पाते हैं। इसलिए स्वास्थ्य में सुधार करना मानव विकास के लिए अहम रणनीति है।

5. किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है?

उत्तर - एक व्यक्ति का स्वास्थ्य उसे उसकी क्षमता का एहसास करने में मदद करता है और उसे बीमारी से लड़ने की क्षमता भी देता है। एक अस्वस्थ व्यक्ति संगठन और राष्ट्र के लिए एक दायित्व है। किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य सीधे उसकी कार्यक्षमता से जुड़ा होता है। अस्वस्थ व्यक्ति की तुलना में, एक स्वस्थ व्यक्ति अधिक कुशलता से और अधिक उत्पादकता के साथ काम कर सकता है।स्वास्थ्य किसी व्यक्ति के कामयाबी में अहम भूमिका निभाता है. स्वस्थ शरीर और मन से व्यक्ति अपने लक्ष्यों को हासिल करने में सक्षम होता है। स्वस्थ व्यक्ति ज़्यादा ऊर्जा, ध्यान और मानसिक स्पष्टता के साथ काम कर सकता है। एक अस्वस्थ व्यक्ति राष्ट्र के लिए परिसंपत्ति न होकर दायित्व और बोझ हो जाता है । अर्थव्यवस्था के अंतर्गत आर्थिक विकास व्यक्तिगत हो अथवा राष्ट्रीय दोनों ही स्थिति में स्वस्थ्य व्यक्ति सदैव ही उन्नतिशील होता है। स्वास्थ्य व्यक्तिगत स्तर पर अर्जित किया जाता है जिसका लाभ समाज और राष्ट्र दोनों को ही प्राप्त होता है। अच्छा स्वास्थ्य केवल शरीर को रोगों से बचाना मात्र नहीं होता है अपितु जनसँख्या नियंत्रण , परिवार कल्याण, खाद्य शुद्धता , स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आदि आता है।

        6. प्राथमिक , द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में किस तरह की  विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ संचालित  की जाती हैं?

    उत्तर – आर्थिक क्रियाओं को मुख्य रूप से तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है –

1. प्राथमिक क्रियाएं - प्राथमिक क्षेत्रक के अंतर्गत कृषि, वानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन, मुर्गीपालन और खनन एवं उत्खनन शामिल हैं। इनको कृषि एवं सहायक क्रियाएं भी कहते हैं। इस क्षेत्रक में क्रियाकलाप के फलस्वरूप वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है।                          

2. द्वितीयक क्षेत्रक में विनिर्माण शामिल हैं। इनको औद्योगिक क्रियाएं भी कहते हैं । इस क्षेत्रक में क्रियाकलाप के फलस्वरूप वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है।                          

3. तृतीयक क्षेत्रक में व्यापार, परिवहन, संचार, बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन सेवाएँ इत्यादि शामिल किए जाते हैं। इस क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहते हैं । इस क्षेत्रक में क्रियाकलाप के फलस्वरूप सेवाओं का उत्पादन होता है। जो वस्तुओं के उत्पादन में सहायक होता है ।                          

7. आर्थिक और गैर-आर्थिक क्रियाओं में क्या अंतर है?

उत्तर - आर्थिक क्रियाओं के दो भाग होते हैं- बाज़ार क्रियाएँ और गैर- बाज़ार क्रियाएँ। इनमें प्रमुख अंतर निम्नलिखित हैं -

आर्थिक क्रियाएं

गैर – आर्थिक क्रियाएं

आर्थिक क्रियाएँ व्यक्तिगत आय को बढ़ाती हैं।  

गैर- आर्थिक क्रियाएँ व्यक्तिगत आय को घटाती हैं।

आर्थिक क्रियाएँ अर्थव्यवस्था में वस्तुओं व  सेवाओ का प्रवाह करती हैं।

गैर-आर्थिक क्रियाएँ अर्थव्यवस्था में वस्तुओं व सेवाओ का प्रवाह रोकती करती हैं।

यदि आर्थिक क्रियाओं में वृद्धि होती है तो समझना चाहिए कि अर्थव्यवस्था समृद्ध हो रही है।        

गैर-आर्थिक क्रियाओं में वृद्धि अर्थव्यवस्था के पतन को दर्शाती है।

क्रियाओं में वेतन या लाभ के उद्देश्य से की गई क्रियाओं के लिए पारिश्रमिक का भुगतान किया जाता है।

क्रियाओं में किसी प्रकार का आर्थिक लेन-देन नहीं होता है । ऐसे कार्य संतुष्टि के लिए किये जाते हैं ।

इनमें सरकारी सेवा सहित वस्तु या सेवाओं का उत्पादन शामिल है।

गैर-आर्थिक क्रियाओं से अभिप्राय स्व-उपभोग के लिए उत्पादन है।

जैसे – कृषि, उद्योग, खनन, परिवहन इत्यादि

जैसे – परिवार के लिए भोजन पकाना, अपने बच्चों को पढाना, घर की साफ़ सफाई करना


        8. महिलाएँ क्यों निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती हैं?

    उत्तर – महिलाएं निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती है इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं 

1. शिक्षा में कमी – आंकड़े बताते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की साक्षरता दर कम है शिक्षा व्यक्ति के उपलब्ध आर्थिक अवसरों के बेहतर उपयोग में सहायता करती है। अधिकांश महिलाओं के पास बहुत कम शिक्षा हैं। अतः पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को कम पारिश्रमिक दिया जाता है।

2. कौशल की कमी – किसी भी कार्य को उचित ढंग से पूर्ण करने के लिए कार्य करने वाले की कुशलता महत्वपूर्ण होती है। अवसरों की कमी के कारण महिलाएं कौशल अर्जित नहीं कर पाती हैं। जिसके कारण नियोक्ता उनको कम वेतन भुगतान करता है।

3. स्वास्थ्य की स्थिति – महिलाएं, पुरुषों की तुलना में श्रम साध्य कार्य करने में पूर्ण सक्षम नहीं हो पाती हैं । इसकी वजह से भी उनको निम्न वेतन का भुगतान किया जाता है।

4. समय देना – चूंकि महिलाएं घरेलु जिम्मेफारियों का भी निर्वहन करती हैं अतः कार्य स्थल पर समय देना कठिन हो जाता है जिसके कारण जितने समय कार्य करती हैं उतने का वेतन भुगतान होता है जो कि पुरुषों की तुलना में कम होता है ।

9. “बेरोज़गारी’ शब्द की आप कैसे व्याख्या करेंगे?

उत्तर - बेरोजगारी उस समय विद्यमान कही जाती है, जब प्रचलित मज़दूरी की दर पर काम करने के लिए इच्छुक लोग रोज़गार नहीं पा सकें। अर्थात जब व्यक्ति काम करने के इच्छुक होते हैं और वे उसके लिए उपलब्ध भी होते हैं किन्तु उनको कार्य नहीं मिल पाता है । श्रम बल जनसंख्या में वे लोग शामिल किए जाते हैं, जिनकी उम्र 15 वर्ष से 59 वर्ष के बीच है। इसका अभिप्राय यह है कि 15 से 59 वर्ष की आयु के लोग जो प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने के लिए उपलब्ध हैं किन्तु उनको काम उपलब्ध नहीं है इस स्थिति को बेरोजगारी कहा जाता है।

10. प्रच्छन्न और मौसमी बेरोजगारी में क्या अंतर है?

उत्तर - प्रच्छन्न और मौसमी बेरोजगारी में निम्नलिखित अंतर है –

प्रछन्न बेरोजगारी

मौसमी बेरोजगारी

प्रछन्न बेरोजगारी में व्यक्ति कार्य करता हुआ दिखाई देता है किन्तु वास्तव में वह बेरोजगार होता है ।

जब लोगों को वर्ष के कुछ महीने ही काम मिलता है और शेष समय वे बेरोजगार होते हैं तो इसे मौसमी बेरोजगारी कहते हैं।

ऐसा प्रायः कृषि क्षेत्र में होता है ।

ऐसा प्रायः कृषि क्षेत्र में देखा जाता है।

इसमें नियोजित लोगों में से कुछ को काम से हटाने पर भी उत्पादकता प्रभावित नहीं होती है।

ऐसे में बाज़ार की माँग के आधार पर रोजगार उपलब्ध होते हैं प्रच्छन्न और मौसमी बेरोजगारी में क्या अंतर है?

       11. शिक्षित बेरोज़गारी भारत के लिए एक विशेष समस्या क्यों है?

उत्तर – शिक्षा मानव को संसाधन बनाने का महत्वपूर्ण टूल है किन्तु जब शिक्षा प्राप्त ककरने के बावजूद भी रोजगार न मिलना भारत जैसे विकासशील देश के लिए एक विशेष समस्या है क्योंकि - क्योंकि यह एक ऐसी समस्या है जो तेज़ी से बढ़ रही है। आज डिग्रीधारी भी रोज़गार पाने में असमर्थ है, युवा पढ़ लिख कर भी बेरोज़गार घूम रहें हैं। इसके मुख्य कारण है  जैसे:

1. शिक्षा पद्धत्ति में दोष।
2.
अव्यवस्थित तकनीकी विकास।
3.
जनसंख्या का तीव्रता से बढ़ना।

12. आप के विचार से भारत किस क्षेत्रक में रोज़गार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है?

उत्तर - तीनों क्षेत्रकों प्राथमिक , द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक में रोज़गार के परिदृश्य देखने के बाद यह स्पष्ट होता है कि  कृषि का सबसे अधिक अवशोषण करने वाला अर्थव्यवस्था का क्षेत्रक कृषि है। पिछले वर्षों में प्रच्छन्न बेरोज़गारी के कारण, कृषि पर जनसंख्या की निर्भरता में कुछ कमी आई है। कृषि अधिशेष श्रम का कुछ भाग द्वितीयक या तृतीयक क्षेत्रक में चला गया है। द्वितीयक क्षेत्रक में छोटे पैमाने पर होने वाले विनिर्माण में श्रम का सबसे अधिक अभिशोषण है। तृतीयक क्षेत्रक में जैव-प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी आदि सरीखी विभिन्न नयी सेवाएँ सामने आ रही हैं। उपरोक्त आधार पर मेरे विचार से प्राथमिक क्षेत्रक की तुलना में द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक में सर्वाधिक रोजगार सृजित किये जा सकते हैं। विशेषकर तृतीयक क्षेत्रक में।

13. क्या आप शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या दूर करने के लिए कुछ उपाय सुझा सकते हैं?

उत्तर – हां, शिक्षा प्रणाली में सुधार करके शिक्षित बेरोज़गारी की समस्या को कम किया जा सकता है. इसके लिए, पाठ्यक्रम में बदलाव करने, व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ाने, और कैरियर परामर्श को बढ़ावा देने जैसे उपाय किए जा सकते हैं. 

शिक्षा प्रणाली में सुधार के उपाय -

· पाठ्यक्रम में व्यावहारिक कौशल और उद्यमशीलता को शामिल करना चाहिए। 

· माध्यमिक स्तर की शिक्षा को करियर-उन्मुख बनाना चाहिए। 

· स्कूल स्तर पर नए विषयों और अध्ययन के क्षेत्रों की शुरूआत करनी चाहिए। 

· बहुविषयक विश्वविद्यालयों को बढ़ावा देना चाहिए। 

· छात्रों को व्यापक ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए STEM और उदार कलाओं को मिलाकर कार्यक्रम बनाने चाहिए। 

· छात्रों को पाठ्यक्रम से बाहर निकलने और फिर से प्रवेश करने की अनुमति देनी चाहिए।

· शैक्षणिक संस्थानों में नौकरी प्लेसमेंट सेल स्थापित करनी चाहिए।

· छात्रों के लिए नेटवर्किंग के अवसर पैदा करने के लिए कैम्पस भर्ती अभियान और कैरियर मेलों की सुविधा देनी चाहिए। 

शिक्षित बेरोज़गारी से निपटने के लिए अन्य उपाय 

· पूर्व छात्रों का डेटाबेस बनाए रखना चाहिए।

· स्नातकों के बीच आजीवन सीखने और कौशल उन्नयन की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए।

· व्यक्तियों को आगे की शिक्षा, विशेष पाठ्यक्रम और पेशेवर प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

14. क्या आप कुछ ऐसे गाँवों की कल्पना कर सकते हैं जहाँ पहले रोज़गार का कोई अवसर नहीं था, लेकिन बाद में बहुतायत में हो गया?

उत्तर – हाँ, हमारे आसपास ऐसे बहुत सारे गाँव हैं जहाँ पर लोगों को रोजगार कृषि से मिलता है किन्तु कृषि में प्रछन्न बेरोजगारी की स्थति दिखाई देती है। मै एक ऐसे गाँव की कल्पना कर सकता हूँ जहां पर लोग प्रछन्न और मौसमी बेरोजगारी से जूझते दिखाई देते थे। किन्तु गाँव के एक किसान का बेटा जब बड़े विश्वविद्यालय से कृषि प्रौद्योगिकी में उच्च शिक्षित होकर वापस आया तो उसने गाँव में रहकर ही उन्नत खेती और प्रसंस्करित उत्पाद बनाने हेतु ग्रामीण मित्रों का समूह बनाकर काम करने का निर्णय लिया।

          समूह ने गाँव में खेती के उन्नत तरीके बताये तथा तकनीक का प्रयोग करना सिखाया जिसके कारण अनेक युवा बिजली उपकरण, इलेक्ट्रोनिक उपकरण के रखरखाव में काम आने लगे। महिलाओं को भी पापड़, मुरब्बा, आचार इत्यादि बनाने का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया गया। समूह ने स्वयं की एक उत्पादक इकाई स्थापित की जिसमें गुड बनाना, दलिया बनाना , धान से चावल निकालना , इत्यादि कार्य आरंभ किये जिसके कारण गाँव के अनेक युवाओं को अपने – अपने कौशल अनुरूप काम मिलने लगे। इस तरह बेरोजगारी की चिंता से मुक्त हुआ गाँव।

   अन्य उत्तरः- हां, हम कुछ ऐसे गांव की कल्पना कर सकते हैं। जिनके पास शुरुआत में कोई रोजगार का अवसर नहीं था। परंतु बाद में कई अवसर पैदा हुए। इस काल्पनिक गांव के लोगों को शिक्षण एवं प्रशिक्षण के माध्यम से संभव बनाया गया। वहां शिक्षित लोगों को अध्यापन के कार्यों में लगाया गया। लड़कियों को सिलाई का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। और दर्जी का कार्य प्रारंभ किया गया। गांव के लड़के कृषि इंजीनियर बनकर फसलों की उत्पादकता को बढ़ाया। इससे कृषि क्षेत्र में उत्पादन में वृद्धि हुई। इससे विपणन और अधिशेष की बिक्री से रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हुए। ये सभी कार्य मानव संसाधन की गुणवत्ता में वृद्धि करने के बाद प्राप्त किए गए।

अथवा

उत्तरः हाँ, मुझे अपने पड़ौसी के द्वारा सुनाई गई कहानी याद आती है। उन्होंने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व उनके गाँव में सभी मूलभूत सुविधाओं जैसे कि स्कूल, अस्पताल, सड़कों, बाजार और यहाँ तक कि पानी व बिजली की उचित आपूर्ति का भी अभाव था। गाँव के लोगों ने पंचायत का ध्यान इन सभी समस्याओं की ओर आकृष्ट किया। पंचायत ने एक स्कूल खोला जिसमें कई लोगों को रोजगार मिला। जल्द ही गाँव के बच्चे वहाँ पढने लगे और वहाँ कई प्रकार की तकनीकों का विकास हुआ। अब गाँव वालों के पास बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ एवं पानी एवं बिजली की भी अचित आपूर्ति उपलब्ध थी। सरकार ने भी जीवन स्तर को सुधारने के लिए विशेष प्रयास किए थे। कृषि एवं गैर कृषि क्रियाएँ भी अब आधुनिक तरीकों से की जाती हैं।

अथवा

उत्तर- 1. हमारे बहुत से गांव में लोग अपने कपड़े स्वयं धोते है, कपड़े स्वयं सिलते है और घर की लीपा-पोती भी स्वयं करते है। यदि उन्हें बच्चो को थोड़ा - बहुत पढ़ाना होता है तो वे यह काम स्वयं या गांव वाले किसी आम पढ़े - लिखे सदस्य की सहायता से पूरा कर लेते है।परंतु यदि वे थोड़ा सा प्रयत्न करें तो उसी गांव में जहां पहले रोजगार के अवसर नहीं थे, वहां रोजगार के अनेक अवसर पैदा किए जा सकते है।

2. यदि वे अपने गांव में कोई भी स्कूल खोले तो गांव के अनेक पढ़े-लिखे लोगो को अपने ही गांव में, अध्यापक के पद पर काम करने के अवसर प्राप्त हो सकते हैं।

3. इसी प्रकार गांव की कोई लड़की या लड़का दर्जी के कार्य का शहर से प्रशिक्षण लेकर अपने गांव में ही दर्जी की दुकान खोल लेता है। तो उस गांव में दर्जी का काम करने वालों को, रोज़गार के नए अवसर प्राप्त हो जाएंगे।

15. किस पूँजी को आप सबसे अच्छा मानते हैं-भूमि, श्रम, भौतिक 

उत्तर -  मानव पूँजी को सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि यह अन्य पूंजीगत साधनों, जैसे भूमि, श्रम और भौतिक पूँजी का उपयोग करके उत्पादन को सक्षम बनाता है। मानव पूँजी के बिना, अन्य पूंजीगत साधन अपने आप में उपयोगी नहीं हो सकते। उदाहरण के लिए, भूमि तभी उत्पादक हो सकती है जब कोई व्यक्ति उस पर काम करे और भौतिक पूँजी तभी उपयोगी हो सकती है जब कोई व्यक्ति उसका उपयोग करे। 

·      मानव पूँजी: मानव पूँजी में लोगों के ज्ञान, कौशल, अनुभव और क्षमताओं का समावेश होता है, जो उत्पादन के लिए आवश्यक हैं।

·      भूमि: भूमि एक प्राकृतिक संसाधन है जो उत्पादन के लिए आवश्यक है।

·      श्रम: श्रम मानव प्रयास है जो उत्पादन में योगदान करता है।

·      भौतिक पूँजी: भौतिक पूँजी उन वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करती है जिनका उपयोग उत्पादन के लिए किया जाता है, जैसे कि मशीनें, उपकरण और भवन। 

यह तर्क दिया जा सकता है कि मानव पूँजी अन्य सभी पूंजीगत साधनों से श्रेष्ठ है क्योंकि यह अन्य साधनों का उपयोग करने और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और क्षमताओं के साथ आती है. उदाहरण के लिए, एक कुशल कर्मचारी खेत पर काम करके अधिक उत्पादन कर सकता है, या एक योग्य इंजीनियर एक नई मशीन का उपयोग करके उत्पादन प्रक्रिया में सुधार कर सकता है ।

       अध्याय के साथ दिए गए “आइये चर्चा करें” प्रश्नों के हल

1. डॉक्टर, अध्यापक, इंजीनियर और दर्जी अर्थव्यवस्था के लिए किस प्रकार की  परिसंपत्ति हैं?

उत्तर - डॉक्टर, अध्यापक, इंजीनियर और दर्जी अर्थव्यवस्था के लिए मानव पूंजी के रूप में एक मूल्यवान परिसंपत्ति हैं।

2. क्या सकल और विलास के बीच आप कोई अंतर पाते हैं? वे कौन से अंतर हैं ?

उत्तर – सकल और विलास के बीच प्रमुख अंतर –

सकल

विलास

सकल स्कूल जाता था ।

विलास स्कूल नहीं जाता था ।

सकल शारीरिक रूप से स्वस्थ और हृष्ट -  पुष्ट था ।

विलास गठिया का रोगी था ।

सकल के पास कंप्यूटर की डिग्री थी ।

विलास के पास कोई शैक्षणिक योग्यता नहीं थी ।

सकल को प्राइवेट फर्म में नौकरी मिल गई ।

विलास गाँव में मछली बेचता ।

शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता ने सकल की उत्पादकता में वृद्धि हुई ।

विलास के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ ।

सकल एक कुशल और प्रशिक्षित सेवा प्रदाता था ।

विलास अकुशल श्रमिक था ।

3. क्या 1951 से जनसँख्या की साक्षरता बढ़ी है ?

उत्तर – हाँ , साक्षरता दर 1951 को 18 प्रतिशत से बढ़कर 2011 में 74 प्रतिशत हुई है ।

4. किस वर्ष भारत में साक्षरता – दर सर्वाधिक रही है ?

उत्तर – वर्ष 2011 में भारत में सर्वाधिक साक्षरता दर 74.04 प्रतिशत रही है ।

5. भारत में पुरुषों की साक्षरता दर अधिक क्यों है ?

उत्तर - भारतीय समाज पुरुष प्रधान, रूढ़िवादी और परम्परावादी है। यहाँ एतिहासिक और सांस्कृतिक कारणों से महिलाओं और पुरुषों के बीच श्रम का विभाजन होता है जिसमें आमदनी वाले कार्य पुरुषों द्वारा किये जाते हैं । जिस कारण से यहाँ पुरुषों को महिलाओं की अपेक्षा अधिक सुविधा दी जाती है। अतः लिंग-भेद के कारण पुरुषों की साक्षरता दर अधिक है। 

6. पुरुषों की अपेक्षा महिलाएँ कम शिक्षित क्यों हैं?

उत्तर - भारत में स्त्रियों का परम्परागत कार्य क्षेत्र घर की चार-दीवारी के कार्य माने गये हैं। जिसके लिए पढाई – लिखी की आवश्यकता नहीं होती है। लिंग-भेद, परम्परागत सोच आदि के कारण भारत में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएँ कम शिक्षित हैं।

7. आप भारत में लोगों की साक्षरता दर का परिकलन कैसे करेंगे? 

उत्तर - साक्षरता दर का आकलन करने हेतु साक्षर लोगों का देश की कुल जनसंख्या से अनुपात निकाला जाता है। साक्षर लोगों में उन लोगों को शामिल किया जाता है जिनकी आयु 7 वर्ष या उससे अधिक होती है तथा वे किसी भी भाषा को समझने के साथ-साथ एक साधारण परिच्छेद को पढ़ एवं लिख सकते हैं। इन साक्षर लोगों का कुल जनसंख्या से अनुपात ही साक्षरता दर कहलाती है। इस हेतु निम्न सूत्र प्रयोग किया जाता है- 

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8. वर्ष 2020 में भारत की साक्षरता दर का आपका पूर्वानुमान क्या है?

उत्तर - वर्ष 2020 में भारत की साक्षरता दर लगभग 85 प्रतिशत रहेगी। 

9. क्या विद्यार्थियों की बढती हुई संख्या को प्रवेश देने के लिए कॉलेजों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हुई है?

उत्तर – नहीं, विद्यार्थियों की बढ़ती हुई संख्या को प्रवेश देने के लिए कालेजों की संख्या में वृद्धि पर्याप्त नहीं है। 

10. क्या आप सोचते हैं कि हमें विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ानी चाहिए?

उत्तर - भारत में विद्यार्थियों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है तथा अब विद्यार्थी उच्च शिक्षा की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं जबकि देश में विश्वविद्यालयों की संख्या बहुत ही कम है। वर्ष 2016-17 में देश में मात्र 795 विश्वविद्यालय ही हैं । अतः देश में विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है।

11.  वर्ष 1950-51 से वर्ष 1998-99 तक शिक्षकों की संख्या में कितनी वृद्धि हुई?

उत्तर - भारत में वर्ष 1950-51 से वर्ष 1998-99 तक शिक्षकों की संख्या काफी बढ़ी है। वर्ष 1950-51 में देश में शिक्षकों की कुल संख्या 24000 थी, वह बढ़कर वर्ष 1998-99 में 342000 हो गई है। इस प्रकार इस अवधि में 318000 शिक्षक बढ़े हैं।

12. भावी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के बारे में आपका क्या विचार है?

उत्तर -  भारत में साक्षरता दर में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है तथा विद्यार्थियों की संख्या भी बढ़ रही है जबकि महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों की संख्या इस बढ़ती हुई विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार काफी कम है अतः देश में महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों की संख्या में तीव्र गति से विस्तार किया जाना चाहिए। विशेष रूप से तकनीकी एवं प्रबन्ध शिक्षण संस्थाओं में वृद्धि करनी चाहिए तथा दूरस्थ शिक्षा को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। साथ ही जिन महाविद्यालयों में विद्यार्थियों को बहुत-सी सुविधाएँ नहीं, उन सुविधाओं को उपलब्ध कराया जाये। 

13. वर्ष 1951 से 2015 तक औषधालयों की संख्या में कितने प्रतिशत की वृद्धि हुई है?

उत्तर - वर्ष 1951 में औषधालयों की संख्या 9209 थी, वह बढ़कर वर्ष 2015 में 29957 हो गई। अतः देश में इस अवधि में औषधालयों की संख्या में 225.30 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 

14. क्या आपको लगता है कि डॉक्टरों और नौं की संख्या में वृद्धि पर्याप्त है?यदि नहीं तो क्यों?

उत्तर - भारत में देश की कुल जनसंख्या की दृष्टि से डॉक्टरों व नौं की संख्या बहुत कम है। इनकी संख्या कम होने के अनेक कारण हैं । एक तो देश में साक्षरता दर कम रही है तथा दूसरे, चिकित्सा की शिक्षा काफी खर्चीली होती है जिसके कारण हर कोई विद्यार्थी इसे ग्रहण नहीं कर पाता तथा सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि देश में चिकित्सा एवं नर्सिंग महाविद्यालयों की संख्या बहुत कम है।

15.  किसी अस्पताल में आप और कौनसी सुविधाएँ उपलब्ध कराना चाहेंगे?

उत्तर - भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रायः छोटे स्वास्थ्य केन्द्र हैं जहाँ मरीजों को कोई सुविधाएँ प्राप्त नहीं हो पाती हैं तथा शहरी क्षेत्रों में भी अनेक सरकारी अस्पतालों में कई सुविधाओं का अभाव है। हमारे अनुसार अस्पताल में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर एवं नर्सिंगकर्मी होने चाहिए तथा अस्पताल में एम्बुलेन्स, जांच सम्बन्धी सभी उपकरण, सभी प्रकार की जाँचों की व्यवस्था, पौष्टिक भोजन, दवाइयों तथा सफाई की व्यवस्था होनी चाहिए। 

01 अंक हेतु प्रश्नोत्तर –

(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर -

(1) मानव पूंजी में निवेश किस रूप में होता है ?

(अ) शिक्षा                                              (ब) प्रशिक्षण

(स) स्वास्थ्य सेवा                                      (द) उपरोक्त सभी

(2) मानव पूंजी इनमें से क्या है ?

(अ) सहज और उपलब्ध साधन भंडार          (ब) कुशल और उत्पादक ज्ञान का भंडार

(स) बेकार और अनुत्पादक ज्ञान भंडार         (द) लोगों की ज्यादा संख्या का भंडार

(3) सकल और विलास इस गाँव के निवासी थे -

(अ) पालमपुर                                           (ब) रायगंज

(स) सेमापुर                                             (द) साईखेड़ा

(4) सकल का चाचा  श्याम मेट्रिक की परीक्षा पास था किन्तु उसकी कोई नौकरी नहीं लगी थी , वह किस प्रकार की बेरोजगारी की स्थिति में था -

(अ) प्रच्छन्न बेरोजगार                                (ब) मौसमी बेरोजगार

(स) शिक्षित बेरोजगार                               (द) स्वैच्छिक बेरोजगार

(5) सकल ने किस विषय की शिक्षा हासिल की थी?

(अ) कंप्यूटर प्रौद्योगिकी                            (ब) कानून

(स) उद्यानिकी                                         (द) कोई सी नहीं

(6) सकल ने किस आर्थिक क्षेत्रक में रोजगार हासिल किया था?

(अ) प्राथमिक   क्षेत्रक                                (ब) द्वितीयक क्षेत्रक

(स) तृतीयक क्षेत्रक                                   (द) चतुर्थक क्षेत्रक

(7) विलास किस व्यवसाय से सम्बंधित था?

(अ) कृषि                                                (ब) मत्स्यपालन

(स) विनिर्माण                                          (द) बैंकिंग

(8) निम्न में से क्या प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि है ?

(अ) मुर्गीपालन                                        (ब) विद्यालय में अध्यापन

(स) गन्ने से गुड का निर्माण                         (द) वैज्ञानिक अनुसन्धान

(9) सर्व शिक्षा अभियान किस आयु वर्ग के बच्चों हेतु चलाया गया है ?

(अ) 6 से 14 वर्ष                                      (ब) 3 से 8 वर्ष

(स) 14 से 17 वर्ष                                    (द) 0 से 3 वर्ष

(10) कपास से कपडे बनाना किस क्षेत्रक की गतिविधि है ?

(अ) प्राथमिक                                           (ब) द्वितीयक

(स) तृतीयक                                           (द) चतुर्थक

(11) प्रायः नगरीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली बेरोजगारी कौन सी है ?

(अ) प्रच्छन्न                                            (ब) मौसमी

(स) शिक्षित                                           (द) उपरोक्त में से कोई नहीं

(12) किस प्रकार की जनसँख्या अर्थव्यवस्था के लिए परिसंपत्ति है ?

(अ) अशिक्षित और अस्वस्थ                     (ब) अनपढ़ और बेकार

(स) शिक्षित और स्वस्थ                           (द) उपरोक्त में से कोई नहीं

(B) सही जोड़ी बनाइये  -

सूची “अ”                      -                   सूची “ब”

(i) केरल                                 -                   (अ) उच्च साक्षरता दर

(ii) दोपहर का भोजन                -                   (ब) बच्चों का पोषण

(iii) श्रम बल जनसँख्या              -                   (स) 15 से 59 वर्ष तक

(iv) सेवा                                -                   (द) तृतीयक क्षेत्रक

(v) हरित क्रांति                       -                   (इ) कृषि

         (C) एक वाक्य में उत्तर लिखिए  -

(i) मानव पूँजी निर्माण कैसे होता है?

(ii) सकल के परिवार के सदस्यों के नाम लिखिए?

(iii) मानव संसाधन पर निवेश करने वाले प्रमुख देश का नाम लिखिए।

(v) महिलाओं और पुरुषों के बीच श्रम का विभाजन किस आधार पर किया गया है?

(vi) शिशु मृत्यु दर में कमी तथा जीवन प्रत्याशा में वृद्धि किस बात का संकेत है?

(vii) उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों का नामांकन प्रतिशत विश्व स्तर पर कितना है ?

(D) सत्य / असत्य लिखिए  -

(i) जब शिक्षा , प्रशिक्षण और चिकित्सा सेवाओं में निवेश किया जाता है तो जनसँख्या मानव पूंजी में बदल जाती है।

(ii) मानव पूंजी में निवेश भौतिक पूंजी की ही भांति प्रतिफल प्रदान करता है।

(iii) परिवार में दी गई सेवाओं के बदले महिलाओं को भुगतान किया जाता है।

(iv) परिवार में दी गई सेवाओं के मूल्य को राष्ट्रीय आय में जोड़ा जाता है।

(v) नवोदय विद्यालयों की स्थापना प्रत्येक जिले में की गई है।

(vi) दोपहर के भोजन का सम्बन्ध शालेय शिक्षा से है।

(vii) फर्म का उद्देश्य लाभ को कम करना होता है।

(E) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये –

(i) दूसरे संसाधनों की भांति जनसँख्या भी एक ............................. है।

(ii) मानव पूंजी , कौशल और उनमें निहित उत्पादन के ज्ञान का ................... है।  

(iii) 2011 की जनगणना के अनुसार महिलाओं और पुरुषों के बीच साक्षरता दर में अंतर ....... प्रतिशत है।    

(iv) वर्ष 2015-16 में भारत के .............. गावों में प्राथमिक विद्यालय हैं।  

उत्तरमाला

सही विकल्प

सही जोड़ी

सत्य - असत्य

1

7

i

i

सत्य

2

8

ii

ii

सत्य

3

9

iii

iii

असत्य

4

10

iv

iv

असत्य

5

11

v

v

सत्य

6

12

vi

असत्य

 

vii

असत्य

एक वाक्य में उत्तर

 

i

शिक्षा , स्वास्थ्य सेवा आदि में निवेश करके

ii

माँ - शीला, पिता - बूटा सिंह, भाई - जीतू, बहन - सीतू, चाचा - श्याम

iii

जापान

iv

एतिहासिक और सांस्कृतिक कारकों पर निर्भर है

v

अच्छी स्वास्थ्य सेवाओ का

vi

26 प्रतिशत

रिक्त स्थानों की पूर्ती

 

i

संसाधन

iii

16.60%

 

 

 

ii

स्टॉक

iv

8.41

 

 

 

01 अंक वाले अन्य प्रश्नोत्तर -

1. सर्वशिक्षा अभियान किस आयुवर्ग के बच्चों के लिए चलाया गया है?

 उत्तर - 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए

2. शिक्षित बेरोजगार कौन हैं?

उत्तर - जो युवक मैट्रिक, स्नातक, स्नातकोतर होने के बावजूद रोजगार प्राप्त नहीं कर पाते हैं, वे शिक्षित बेरोजगार है।

3. प्राथमिक क्षेत्रक में सम्पन्न की जाने वाली कोई दो क्रियाएँ लिखिए?

    उत्तर - कृषि, वानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन, मुर्गीपालन, खनन। (कोई दो)

4. जापान का किस संसाधन में अधिक निवेश है?

उत्तर - मानव संसाधन।

5. जनसंख्या की गुणवत्ता किन दो कारकों पर निर्भर है?

उत्तर - साक्षरता दर एवं जीवन प्रत्याशा।

6. प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने में राज्य और स्थानीय सरकारों ने कौन सा महत्वपूर्ण कदम उठाया है?

उत्तर - सर्वशिक्षा अभियान ।

7. प्राथमिक शिक्षा में नामाकंन बढ़ाने हेतु सरकार द्वारा कार्यान्वित की गई कोई एक योजना लिखो?

उत्तर - सेतु पाठ्यक्रम या स्कूल लौटे शिविर ।

8. “जी.एन.पी.’ से क्या अभिप्राय है?

उत्तर - सकल राष्ट्रीय उत्पाद ।

9. विद्यालयों में ’दोपहर’ के भोजन की योजना का क्या लक्ष्य है?

उत्तर - विद्यालयों में बच्चो की उपस्थिति को बढ़ावा और उनके पोषण स्थिति में सुधार ।

10. गैर बाजार क्रिया कलाप क्या हैं?

उत्तर - स्वयं उपभोग के लिए उत्पादन करना ।

02 अंकों के प्रश्नोत्तर -

1. ग्रामीण क्षेत्र में पाई जाने वाली बेरोजगारी कौन सी हैं? नाम लिखिए।

उत्तर – ग्रामीण क्षेत्र में पाई जाने वाली बेरोजगारी प्रमुख रूप से निम्न हैं – प्रच्छन्न बेरोजगारी , मौसमी बेरोजगारी

2. मानव पूंजी को परिसंपत्ति में कैसे बदला जा सकता है ?

उत्तर - मानव पूँजी में निवेश द्वारा इसे एक उत्पादक परिसंपत्ति में बदला जा सकता है (उदाहरण के लिए, सबके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य, आधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग में औद्योगिक और कृषि श्रमिकों के प्रशिक्षण, उपयोगी वैज्ञानिक अनुसंधान आदि पर संसाधनों के व्यय द्वारा)।

3. स्वलेखा उत्पादन क्या होता है?

उत्तर - स्व-लेखा उत्पादन एक ऐसी उत्पादन प्रक्रिया है जहाँ कोई व्यक्ति या संगठन अपनी ही सेवाओं या उत्पादों को बनाता है और बेचता है, बजाय कि दूसरों से खरीदने या सेवाएं लेने के। यह उत्पादन, जिसमें व्यक्ति अपने श्रम, कौशल और संसाधनों का उपयोग करता है, राष्ट्रीय आय में योगदान नहीं करता क्योंकि यह बाजार में नहीं बिकता है।

उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति अपने घर में भोजन बनाता है या अपने बगीचे में सब्जियां उगाता है, तो यह स्व-लेखा उत्पादन है। इसी तरह, यदि कोई परिवार अपने कपड़े स्वयं बनाता है या अपने घर की मरम्मत स्वयं करता है, तो यह भी स्व-लेखा उत्पादन है।

4. संगठित क्षेत्रक और असंगठित क्षेत्रक में क्या अंतर है ?

संगठित क्षेत्रक

असंगठित क्षेत्रक

नियमित रोजगार

अनियमित रोजगार

नौकरी की सुरक्षा

नौकरी असुरक्षित

नियमित आमदनी

अनियमित आमदनी

समान कार्य – समान वेतन

महिला – पुरुष के वेतन में अंतर

विभिन्न प्रकार के संवेतनिक अवकाश

अवकाश अवधि में वेतन कटौती

कुशल मानव संसाधन

अकुशल मानव संसाधन

 

5. जनसँख्या की गुणवत्ता किन बातों पर निर्भर करती है ?

उत्तर - जनसंख्या की गुणवत्ता साक्षरता-दर, जीवन-प्रत्याशा से निरूपित व्यक्तियों के स्वास्थ्य और देश के लोगों द्वारा प्राप्त कौशल निर्माण पर निर्भर करती है। जनसंख्या की गुणवत्ता अंतत: देश की संवृद्धि-दर निर्धारित करती है। साक्षर और स्वस्थ जनसंख्या परिसंपत्तियाँ होती हैं।

6. सर्व शिक्षा अभियान क्या है ?

उत्तरः यह एक शिक्षा अभियान है जिसने उद्देश्य है कि 200 तक 6 से १४ वर्ष आयु वर्ग सभी स्कूली बच्चे को प्राथमिक शिक्षा अवश्य प्रदान कि जाए ।

7.  शिशु मृत्यु दर को कैसे घटाया जा सकता है ?

उत्तरः शिशु मृत्यु दर को घटाया के निम्नलिखित कारण के :-

(1) शिशुओं को संक्रमण ऐ रक्षा कि जाते है ।

(2) बच्चे के लिए अच्छे भोजन और पोषण की व्यवस्था की जानी चाहिए ।

(3) माताओं को शिशु पालन में प्रशिक्षित करना चाहिए ।

8. बेरोजगारी से आप क्या समझाते है ?

उत्तरः बेरोजगारी उस समय विद्यमान कही जाती है जब प्रचलित मजदुर कि दर पर काम करने के इच्छुक लोग रोजगार नही पा सकते

9. आर्थिक और गैर आर्थिक क्रियाओ में क्या अंतर है ?

उत्तरः धन या आय कमाने के उद्देश्य से की गई क्रियाएँ कहते है । इसके विपरीत अन्य उदेश्यों जैसे प्यार, सहानुभूति, कर्तव्य, देशप्रमे के लिय कि जाने वाली क्रियाएँ गैर आर्थिक क्रियाएँ कहलाती है ।

10. शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिए एक विशेष समस्या है कैसे ?

उत्तरः भारत में हर वर्ष 5 लाख युवक रोजगार की तलाश में निकलते है जबकि भारत में रोजगार के अवसर निम्न है जिससे प्रतिवर्ष लाखों शिक्षित बेरोजगार की संख्या में निरंतर वृद्धि होती चली जा रही है । अतः शिक्षित बेरोजगार कि संख्या में बेतहासा वृद्धि एक समस्या है ।

11. शिक्षित बेरोजगार भारत के लिए समस्या है कैसे ?

उत्तरः भारत में हर वर्ष 5 लाख युवक रोजगार की तलाश में निकलते है, जबकि भारत में रोजगार के अवसर निम्न है जिससे प्रतिवर्ष लाखों शिक्षित बेरोजगारों कि संख्या में निरंतर वृद्धि होती चली जा रही है । अतः शिक्षित बेरोजगार कि संख्या में बेतहासा वृद्धि एक समस्या है ।

12. किस पूँजी को आप सबसे अच्छी मानते है ?- भूमी, श्रम, भौतिक पूँजी और मानव पूँजी

उत्तरः मानव पूँजी सबसे अच्छी पूँजी है क्योंकि यह पूँजी लोगों की भौतिक क्षमता, निपुणता, ज्ञान, आदि जो उसे और अधिक उत्पादन में सहायक करते है. यह पूँजी श्रम, भूमी, भौतिक पूँजी से भी श्रेष्ठ है । इस पूँजी के बिना अन्य पूँजियाँ व्यर्थ है।

03 एवं 04 अंकों के प्रश्नोत्तर -

1. मानव पूंजी का निर्माण किस प्रकार किया जा सकता है?

उत्तर - विद्यमान मानव संसाधन को और अधिक शिक्षा तथा स्वास्थ्य द्वारा और विकसित किया जाता है, तब हम इसे मानव पूँजी निर्माण कहते हैं, जो भौतिक पूँजी निर्माण की ही भाँति देश की उत्पादक शक्ति में वृद्धि करता है। मानव पूँजी में निवेश (शिक्षा, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सेवा के द्वारा) भौतिक पूँजी की ही भाँति प्रतिफल प्रदान करता है। अधिक शिक्षित या बेहतर प्रशिक्षित लोगों की उच्च उत्पादकता के कारण होने वाली अधिक आय और साथ ही अधिक स्वस्थ लोगों की उच्च उत्पादकता के रूप में इसे प्रत्यक्षत: देखा जा सकता है।

2. मानव पूंजी को भौतिक पूंजी से श्रेष्ठ क्यों माना गया है?

उत्तर - मानव पूँजी एक तरह से अन्य संसाधनों जैसे- भूमि और भौतिक पूँजी से श्रेष्ठ है, क्योंकि मानव संसाधन भूमि और पूँजी का उपयोग कर सकता है। भूमि और पूँजी अपने आप उपयोगी नहीं हो सकते।

3. भारत की विशाल जनसँख्या को दायित्व की जगह पूंजी में कैसे बदल सकते हैं?

उत्तर - अनेक दशकों से भारत में विशाल जनसंख्या को एक परिसंपत्ति की अपेक्षा एक दायित्व माना जाता रहा है। लेकिन, यह आवश्यक नहीं कि एक विशाल जनसंख्या देश के लिए दायित्व ही हो। मानव पूँजी में निवेश द्वारा इसे एक उत्पादक परिसंपत्ति में बदला जा सकता है (उदाहरण के लिए, सबके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य, आधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग में औद्योगिक और कृषि श्रमिकों के प्रशिक्षण, उपयोगी वैज्ञानिक अनुसंधान आदि पर संसाधनों के व्यय द्वारा)। मानव संसाधन में (शिक्षा और चिकित्सा सेवा के द्वारा) निवेश से भविष्य में उच्च प्रतिफल प्राप्त हो सकते हैं। लोगों में यह निवेश भूमि और पूँजी में निवेश की ही तरह है।

4. बच्चों के पालन-पोषण में माता-पिता के शिक्षित होने का किस तरह से प्रभाव पड़ता है?

उत्तर - यह देखा जाता है कि शिक्षित माँ-बाप अपने बच्चों की शिक्षा पर अधिक निवेश करते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्होंने स्वयं भी शिक्षा के महत्त्व को अनुभव किया होता है। वे उचित पोषण और स्वच्छता के प्रति भी सचेत होते हैं। इसी प्रकार वे अपने बच्चों की स्कूली शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखते हैं। इस तरह इस मामले में एक अच्छा चक्र बन जाता है। इसके विपरीत, स्वयं भी अशिक्षित और अस्वच्छता तथा सुविधावंचित स्थिति में रहने वाले माँ-बाप एक दुष्चक्र सृजित कर लेते हैं और अपने बच्चों को अपनी ही तरह सुविधाओं से वंचित स्थिति में रखते हैं।

5. वर्तमान समय में भारत में शिक्षा की क्या स्थिति है?

उत्तर - साक्षरता प्रत्येक नागरिक का न केवल अधिकार है बल्कि यह नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्यों का ठीक प्रकार से पालन करने तथा अपने अधिकारों का ठीक प्रकार से लाभ उठाने के लिए अनिवार्य भी है। तथापि, जनसंख्या के विभिन्न भागों के बीच व्यापक अंतर पाया जाता है। इससे साक्षरता-दर 1951 के 18 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 85 प्रतिशत हो गई है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में साक्षरता-दर करीब 14.4 प्रतिशत अधिक है और ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा नगरीय क्षेत्रों में साक्षरता-दर करीब 14.2 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2011 केरल के कुछ ज़िलों में साक्षरता-दर 96.2 प्रतिशत है जबकि बिहार में 70.9 प्रतिशत ही है।

6. स्वस्थ जनसँख्या का देश की प्रगति में किस प्रकार योगदान करती है?

किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य उसे अपनी क्षमता को प्राप्त करने और बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है। ऐसा कोई भी अस्वस्थ स्त्री /पुरुष संगठन वे समग्र विकास में अपने योगदान को अधिकतम करने में सक्षम नहीं होगा। वास्तव में, स्वास्थ्य अपना कल्याण करने का एक अपरिहार्य आधार है। इसलिए जनसंख्या की स्वास्थ्य स्थिति को सुधारना किसी भी देश की प्राथमिकता होती है। हमारी राष्ट्रीय नीति का लक्ष्य भी जनंसख्या के अल्प सुविधा प्राप्त वर्गों पर विशेष ध्यान देते हुए स्वास्थ्य सेवाओं, परिवार कल्याण और पौष्टिक सेवा तक इनकी पहुँच को बेहतर बनाना है। पिछले पाँच दशकों में भारत ने सरकारी और निजी क्षेत्रकों में प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक सेवाओं के लिए अपेक्षित एक विस्तृत स्वास्थ्य आधारिक संरचना और जनशक्ति का निर्माण किया है।

7. राष्ट्रीय नीति का क्या लक्ष्य है?

उत्तर - राष्ट्रीय नीति का लक्ष्य :- जनसंख्या के अल्प सुविधा प्राप्त वर्गों पर विशेष ध्यान देते हुए स्वास्थ्य सेवाओं, परिवार कल्याण और पौष्टिक सेवा तक इनकी पहुँच को बेहतर बनाना है।

8. भारत में साक्षरता दर का वर्णन कीजिए तथा शिक्षा के माध्यम से सरकार ने क्या प्रयास किए है।

उत्तर - साक्षरता प्रत्येक नागरिक का न केवल अधिकार है बल्कि यह नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्यों व अधिकारों का पालन करने व लाभ उठाने का माध्यम भी हैं। जनगणना 2011 के अनुसार भारत की कुल साक्षरता दर 74.04 प्रतिशत हो गई है जिसमें पुरूषों की साक्षरता दर 82.14 प्रतिशत तथा महिलाओं की साक्षरता दर 65.46 प्रतिशत हो गई है।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम :-

(i)  प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने की दिशा में सर्वशिक्षा अभियान एक महत्वपूर्ण कदम है।

(ii) प्राथमिक शिक्षा में नामांकन बढ़ाने के लिए ’सेतु पाठ्यक्रम’ और स्कूल लौटो शिविर प्रारम्भ किए गए।

(iii) विद्यालयों में दोपहर के भोजन’ (मीड-डे-मील) की व्यवस्था की गई।

9. शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिये किस प्रकार एक चुनौती बन गई है? क्या आप कोई समाधान सुझा सकते है?

उत्तर - प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र में विकास की गुजांइश है अधिकाशतः शिक्षित लोग तृतीयक सेवाओं की ओर आकर्षित होते हैं जहाँ नौकरियाँ सीमित हैं अतः शिक्षित युवक डिग्रियाँ होते हुए भी बेरोजगार हैं। विदेशों में नौकरी पाने वाले इच्छुक युवकों के पास इतनी सुविधाएँ नहीं है कि वह विदेश जा सकें । अतः यह समस्या भारत के लिये जटिल होती जा रही है।

उपाय :-

(i)  स्कूल और कालेजो में व्यवसायिक विषयों को पढ़ाने लिखने की व्यवस्था शुरू की जा सकती है ताकि वह अपना कोई काम शुरू कर सकें ।

(ii) ओद्योगिक प्रशिक्षण केन्द्र (आई.आई.टी) खोले जाएँ ताकि पढ़े लिखे विद्यार्थियों को वहाँ किसी व्यवसाय संबंधी ट्रेनिंग दी जा सके , फिर वह चाहें नौकरी प्राप्त करे या न करें अपना काम खोल सकते हैं।

10. भारत में बेरोजगारी के कारण लिखिए ? बेरोजगारी दूर करने के लिए कुछ उपाय लिखिए।

उत्तर -   भारत में बेरोजगारी के कारण

(i) बढ़ती जनसंख्या

(ii) कृषिक्षेत्र में विकास की धीमी गति

(iii) औद्योगिक और सेवा क्षेत्रक सीमित है।

(iv) शिक्षा पद्धति व्यवहारिक नहीं है।

(v) तकनीकी विकास अव्यवस्थित हैं।

(vi) ग्रामीण लागों का शहरों की ओर प्रस्थान।

 

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धन्यवाद

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